Somvati Amavasya 2024: हिंदू धर्म में अमावस्या का बेहद ही महत्वपूर्ण स्थान है। हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या की रात होती है,। अगर यह सोमवार को पड़े तो इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। सनातन धर्म के अनुसार इस अवसर पर पितरों को तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। जिनके ऊपर पितृ दोष होता है। जीवन बधाओ व संकट से भरा होता है। उन्हें अपने पितरों को खुश करने के लिए इस दिन विधि विधान से तर्पण करने से सुख संपत्ति मिलती है। उनके जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होने लगती हैं। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत रखने का भी विधान है। भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से व्रत धारी का दांपत्य जीवन सुखी होता है। दुख ,संकट ,कष्ट एवं पीड़ा से छुटकारा मिलता है। आईए जानते हैं सोमवती अमावस्या के दिन पूजा के शुभ मुहूर्त एवं विधि विधान के बारे में।
सोमवती अमावस्या पर खास संयोग
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को सुबह 3:21 मिनट से शुरू होगी और 8 अप्रैल को ही रात 11:50 पर इसका समापन होगा। यानी की सोमवती अमावस्या अप्रैल महीने के 8 तारीख को मनाई जाएगी। सोमवती अमावस्या के दिन लोग गंगा स्नान एवं अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों को दान करते हैं। गंगा स्नान एवं दान का समय सुबह 4:32 से सुबह 5:18 तक है।
बन रहे हैं दुर्लभ इंद्र योग
इंद्रयोग में पूजा-पाठ, भजन, अर्चना और शुभ कार्य किया जाता है। इंद्र योग का मुहूर्त 8 अप्रैल को शाम 6:00 बज कर 14 मिनट तक है। ज्योतिषियों के अनुसार इस बार सोमवती अमावस्या के दिन इंद्र योग कई वर्षों बाद बन रहा है। जिस कारण यह योग इस सोमवती अमावस्या को बेहद खास बनाता है। इंद्रयोग में श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं। इससे भक्तों के जीवन में चल रही परेशानियां दूर होती हैं।
पूजा का विधि-विधान
शास्त्रों के अनुसार अमावस्या चंद्रमा की पूजा जातक की कुंडली में चंद्रमा की खराब स्थिति को सही करता है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से जीवन में शुभ फल मिलता है। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें एवं सूर्य देव को जल अर्पित करें। शक्तिशाली गायत्री मंत्र का पाठ करें एवं सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करें।
पितृदोष से मिलेगी मुक्ति
पितरों को खुश करने के लिए यह बेहद शुभ दिन है। पूजा अर्चना के बाद पितरों के लिए भोजन बनाएं एवं जरूरतमंदों को वस्त्र एवं भोजन का दान करें। सुहागन स्त्रियां इस दिन पीपल की पूजा अर्चना करती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है।
सोमवती अमावस्या के दिन क्या ना करें
ज्योतिष शास्त्र में सोमवती अमावस्या को लेकर कई नियम बनाए गए हैं। इस दिन शराब व मांस का सेवन न करें। हो सके तो प्याज व लहसुन का भी त्याग करें। मसूर दाल ,चना, सरसों का साग और मूली इत्यादि ना खाएं। किसी के बारे में भला बुरा ना कहें। किसी का भी अपमान न करें। किसी बेजुबान जानवर को परेशान ना करें , क्रोध करने से बचें और कोई भी ऐसा कार्य न करें,जिससे आपके पितृ आपसे नाराज हो। जरूरतमंदों और गरीबों को दान दक्षिणा देकर इस सोमवती अमावस्या पर अपने जीवन को सुखमय बनाएं।