Chaiti Chhath 2025 Date: छठ पूजा हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है जिसे लोकआस्था का महापर्व कहा जाता है। यह पर्व सूर्य देव और देवी षष्ठी को समर्पित है। साथ ही छठ को सबसे कठिन व्रतों में एक माना जाता है, जिसमें पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है इसके बाद खरना होता है फिर ढलते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इसका समापन होता है। ऐसे में यह पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। मान्यता है कि छठ व्रत करने से संतान और सुहाग की रक्षा होती है, परिवार में खुशहाली रहती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
वैसे तो छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर मनाया जात है। लेकिन आजकल देश से लेकर विदेशों में भी छठ पूजा को लेकर लोगों में भक्ति-भाव देखने को मिल रही है और इसे देशभर में मनाया जाता है। छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है, पहला चैत्र महीने में और दूसरा कार्तिक महीने में। चैत्र मास में पड़ने वाले छठ को चैती छठ कहा जाता है। आइए जानते हैं इस साल कब हो रही है चैती छठ की शुरुआत। जानिए नहाय खास से लेकर खरना और सूर्य अर्घ्य की तिथि।
चैती छठ का पूरा कैलेंडर यहां देखें

इस साल 2025 में चैती छठ की शुरुआत 1 अप्रैल से हो जाएगी और 4 अप्रैल को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पर्व संपन्न होगा। यहां देखिए चैती छठ व्रत पूरा कैलेंडर-
नहाय-खाय:- नहाय खाय छठ पूजा का पहला दिन होता है, जिसके साथ ही पर्व का आगमन होता है। हालांकि इस दिन व्रत नहीं रखा जाता, लेकिन पूजा से जुड़े अनुष्ठानों की शुरुआत हो जाती है। नहाय-खाय के दिन कद्दू चना दाल की सब्जी और अरवा चावल का शुद्ध प्रसाद बनता है, जिसे सबसे पहले छठ व्रत करने वाली व्रती ग्रहण करती है और इसके बाद परिवार के लोग इसे भोग स्वरूप ग्रहण करते है। इस साल चैती छठ का नहाय-खाय मंगलवार 1 अप्रैल 2025 को है।
खरना:- यह छठ पूजा का अहम दिन माना जाता है, जोकि 3 अप्रैल 2025 को है। खरना पर पूरे दिन उपवास रहना होता है और संध्या में गुड़ की खीर, रोटी और केला आदि प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। खरना प्रसाद खाने के बाद 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत भी हो जाती है।

संध्य अर्घ्य:- छठ सूर्य उपासना का महापर्व है और इसमें उगते और ढलते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। छठ एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दी जाती है। इस दिन शाम में नदी घाट या तालाब किनारे कमर तक पानी के भीतर रहकर अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देना यह सीख देता है कि जो अस्त हुआ है उसका उदय भी जरूर होगा। साथ ही सूप-डलिया में सजे नारियल, ठेकुआ, मैसमी फलों आदि का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है। बता दें कि इस साल चैती छठ का संध्या अर्घ्य 3 अप्रैल 2025 को है।
उषा अर्घ्य:- इसे उदयागामी अर्घ्य भी कहा जाता है। यह छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है, जोकि इस साल 4 अप्रैल 2025 को है। संध्या अर्घ्य पर सुबह सूर्योदय से पहले ही लोग नदी, तालाब और आसपास के सरोवर में पहुंच जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है और इसी के साथ पर्व का समापन हो जाता है।
