Bhagavad Geeta Lessons: भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को हर वो बात समझाई है जो हर किसी को जीवन में समझना बहुत जरूरी है l जीवन में आने वाली हर मुश्किल और चुनौतियों को स्थिरता से सुलझाने में यह बातें आपकी बहुत मदद करेंगी l आइए जानते हैं श्रीमद भगवद गीता सार |
मनुष्य के सारे दुखों का कारण

किसी भी व्यक्ति या वस्तु को अपना मानना ही जीवन में आने वाले हर दुख, परेशानी और चिंता का कारण है l अगर मनुष्य यह जान जाए कि जो भी मुझे जीवन में मिला है वो मेरे इस्तमाल के लिए है पर मेरा नहीं है l वो मेरे पास भगवान की अमानत है और परिवर्तनशील है l
इसे एक कहानी के द्वारा समझेंगे
एक नवयुवक समुन्दर के किनारे खड़ा था l अपने समीप आती हुई ऊंची ऊंची लहरों का आनंद ले रहा था l अचानक एक लहर के साथ एक चांदी की छड़ी उसकी तरफ आई जिसे पाकर वह बहुत खुश हो गया और समुंदर के किनारे उससे खेलने लगा l खेलते खेलते हैं अचानक वो छड़ी उसके हाथ से छूट गई और एक जाती हुई लहर उसे बहा कर ले गयी l वह बहुत दुखी होने लगा और अपने को कोसने लगा l इसका कारण यह था कि थोड़ी सी ही देर में उसके अंदर यह बात पक्की हो गई कि यह छड़ी मेरी है l हम सब भी संसार में ऐसे ही करते हैं l जो हमें यहां मिलता है, हम उसे अपना मान लेते है और उससे अटैच हो जाते हैँ l लेकिन क्योंकि परिवर्तन संसार का नियम है, जब वो चीज या व्यक्ति हमसे छूटता है हम स्वीकार नहीं कर पाते हैं और बहुत दुखी हो जाते हैं l
अपने वर्तमान में जियो कल की चिंता न करो

जो भी व्यक्ति अपने गुजरे हुए कल या आने वाले कल में जीता है, उसके विषय में ही सोचता रहता है वो ज़िन्दगी में कभी खुश नहीं रह सकता l देखा जाए तो बीते हुए कल और आने वाला कल का कोई अस्तित्व ही नहीं है l वह केवल आपकी सोच में विद्यमान है l अपने मन को सदा ऐसे शिक्षित करो कि आप अपने आज के आनंद में जी सको l अपने प्रत्येक पल की मौज ले सको l
जो आपके साथ अधर्म करें उसका विरोध अवश्य करो

जो आपके साथ गलत करते हैं उसका विरोध जरूर करें I अगर आप सामने वाले का गलत व्यवहार सहते रहेंगे तो वह आपके साथ गलत करता ही रहेगा जब अर्जुन ने भगवान कृष्ण से कहा कि जिससे मैं युद्ध करने जा रहा हूं वह मेरे भाई और गुरुजन हैँ और मेरे अंदर उनके साथ युद्ध करने का साहस नहीं है तो कृष्ण भगवान ने अर्जुन का विवेक जागृत किया कि जिन्हे तू अपना मान रहा है वह सब पाप के पक्ष में खड़े हैं और अगर तू इनसे युद्ध नहीं करेगा तो समाज में पाप बढ़ जाएगा क्योंकि जब गलत का कोई विरोध नहीं करता है तो सामने वाला गलत करने का जैसे हकदार हो जाता है और जब आप सब कुछ चुप चाप सहते रहते हो तो सामने वाले को बल मिलने लगता है, वह आपको कमजोर समझने लगता है l लेकिन जब आप उसके द्वारा किए गए अधर्म को रोक लेते हैं उसका विरोध करते हैं तब वह अपनी सीमा में रहना सीख जाता है l यह कलयुग है अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो आपको अपनी रक्षा खुद करनी होगी l
किसी से भी जरूरत से ज्यादा मोह

रिश्ते हमें दुख नहीं देते हैं पर उनके प्रति हमारा मोह हमें दुख देता है l आज से ही हम अपने मोह को छोड़कर प्रेम का सबक पक्का करें l मोह अपेक्षाओं से जुड़ा है जबकि प्रेम केवल देना जानता है l मोह एक-दो के लिए होता है जिन्हें हम अपना मानते हैं, प्रेम सबके लिए होता है l मोह से कमजोरी पैदा होती है इसके विपरीत प्रेम से ताकत महसूस होती है l मोह में इंसान एक दूसरे को बाँधने की कोशिश करता है जबकि प्रेम एक दूसरे को फ्रीडम देता है l
अपने द्वारा किए गए हर कर्म का फल
भगवत गीता हमें सिखाती है कि हमें सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए I परमात्मा की प्रकृति में इंसाफ अवश्य होता है l आपके द्वारा किए गए अच्छे कर्म आपको मुश्किल वक्त में परेशानी से बचाते हैं इसी तरह आपके द्वारा किए गए गलत कर्म की सजा भी आपको जरूर मिलती है l
इससे संबंधित एक प्रेरणादायक कहानी
एक बार एक गांव में रहने वाले दो दोस्त शहर गए l वहां उन्होंने काफी धन कमाया l अब दोनों ने वापस गांव जाने के बारे में विचार किया l रास्ते में एक दोस्त के मन में खोट आ गया कि मैं इसे मार दूं तो सारा धन मेरा हो जाएगा नहीं तो मुझे इसका आधा धन इसको देना पड़ेगा और उसने ऐसा ही किया l समय गुजरता गया l
अब उस व्यक्ति के घर में एक बेटा पैदा हुआ l वह बचपन से ही बीमार रहने लगा l उसके पिता उसका हर संभव इलाज कराते पर वो ठीक ही नहीं हो पाता था l एक दिन उसके पिता ने उससे कहा कि बेटा तू इतना बीमार क्यों रहता है l मैंने अपना सब कुछ तेरे इलाज में खर्च कर दिया पर फिर भी मैं तुझे ठीक नहीं कर सका l इस पर उसके बेटे ने जवाब दिया कि मैं आपका बेटा नहीं हूं बल्कि आपका वही मित्र हूँ जिसको आपने पैसों के वजह से मार दिया था lअब मेरे इलाज में आपका सारा पैसा खर्च हो गया l मेरा बदला पूरा हुआ, अब मैं जा रहा हूं l यह कहकर वह मर गया l
जो सब कर रहे हैं वह आप मत करो
भगवत गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यही सिखाया है कि क्षत्रिय होने के नाते जो तेरा कर्तव्य है, जो तेरे लिए सही है वही काम कर l दुनिया के लोग ज्ञान और अज्ञान दोनों से चलते हैं इसलिए तू दुनिया का अनुसरण ना कर बल्कि सत का अनुकरण कर I तेरा धर्म ,तेरा कर्म यही है कि तू अधर्म का नाश कर और धर्म की रक्षा कर l ऐसे ही हर इंसान का अलग-अलग कर्तव्य होता है l हम कभी भी कुछ भी इसलिए ना करें कि सब लोग यही करते हैं lअगर आप भी वही करोगे जो सारी भीड़ कर रही है तो आप उस भीड़ में कहीं खो जाओगे लेकिन अगर आप विवेक विचार करके वो काम करोगे जो आपके लिए सही है,जिसकी आपमें प्रतिभा है तो सारी भीड़ में भी आप अलग नजर आओगे l
गंदी आदत की लत न लगने दें
जहां युधिष्टिर सभी गुणों से संपन्न थे ,एक जुए की लत ने उनकी जिंदगी में कितनी मुश्किलें खड़ी कर दी l अपने भाई, अपनी पत्नी यहां तक कि अपना सब कुछ गवा दिया l भगवत गीता के इस उदाहरण से हम सीखें की जिंदगी में ऐसी कोई गंदी आदत, चाहे वह नशे की हो चाहे किसी और चीज की हमारी जिंदगी बर्बाद कर सकती है l इससे पहले हमारी गलत आदत हमें खत्म कर दे,हम अपनी उस गलत आदत को खत्म कर दें l
भगवत गीता हमें सिखाती है
इस बात का हम सदा विश्वास रखें कि जो चीज हमारी है वह कहीं ना कहीं से हमारे पास अवश्य पहुंच जाएगी और जिंदगी में जो कुछ भी आपको हासिल नहीं हुआ है उसका पछतावा करना और उसके लिए रोना छोड़ दें l प्रयास करना मनुष्य के हाथ में है पर उसका फल उसके हाथ में नहीं है l
किसी का भी दिल न दुखे
हम जीवन में किसी की मदद करें या ना करें पर किसी का भी दिल हमारी वजह से ना दुखे यह बात हमेशा हमें याद रहे l अगर हम किसी का भी दिल दुखाएंगे तो हमें भी उसका दर्द अवश्य मिलेगा l जब हमारी वजह से किसी का दिल दुखता है तो हमें पता नहीं चलता लेकिन जब हमारा दिल दुखता है तो हमें समझ में आता है l
जो होगा वह भी अच्छा ही होगा
भगवत गीता हमें सिखाती है कि जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए होता है, जो हो रहा है उसमें भी कोई भलाई अवश्य है और जो होगा उसमें दृढ़ विश्वास रखें ही अच्छा ही होगा l कभी-कभी हमारे जीवन में कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं कि हमारे अंदर ये ख्याल आता है कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ या मेरे साथ बहुत गलत हुआ लेकिन जब वक्त गुजर जाता है तब हमें एहसास होता है अगर हमारे साथ यह सब नहीं हुआ होता तो आज हम इस मुकाम पर नहीं होते l
संतुलन बनाए रखें
मनुष्य को किसी भी चीज की अति नहीं करनी चाहिए I ना किसी से अति का राग ना किसी से अति का वैर, हद से ज्यादा आराम आपको आलसी बना सकता है और हद से ज्यादा खाना आपको बीमार कर सकता है l बहुत ज्यादा भूखा रहना भी खराब है l पूरी नींद,पूरा विश्राम,पूरा भोजन हर व्यक्ति के लिए जरूरी है l जीवन को सदा संतुलन के साथ जीना चाहिए l
सत्य की राह
चाहे आपके पास कितनी भी शक्ति क्यों ना हो लेकिन सत्य और ईश्वर जिसके साथ खड़े हो जाएं उसे दुनिया की कोई भी ताकत नहीं हरा सकती l अर्जुन धर्म युद्ध लड़ रहा था ,भगवान कृष्ण उसके साथ थे और उसकी जीत निश्चित थी | महाभारत के युद्ध में यह उदाहरण स्पष्ट नजर आता है l मनुष्य को सदा धर्म के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए l
अपने हक के लिए लड़ना जरूरी है
अर्जुन युद्ध नहीं करना चाहता था क्योंकि सामने उसके पितामह और गुरु जन थे लेकिन श्री कृष्ण ने उसे ज्ञान दिया कि यहां पर बात तेरे अधिकारों की है l भरी सभा में द्रोपदी के साथ किया गया अपमान, पांडवों के साथ हुआ अधर्म, सहने योग्य बात नहीं है l जैसे हमें गलत करना नहीं चाहिए ऐसे ही गलत सहना भी बड़ा पाप है फिर चाहे वह अपना ही क्यों ना हो l
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जो भी व्यक्ति श्रीमद भगवत गीता से मिलने वाली इन सीखों का मनन चिंतन करेगा, इनके महत्व को समझेगा वो जिंदगी की हर परिस्थिति को स्थिरता के साथ पार कर पायेगा l जीवन मे आने वाले मुश्किल समय में भी उसे रास्ता अवश्य मिलेगा l
