शाम के छ बज चुके थे। जैसे तैसे काम खत्म करके बस घर लौटी ही थी, तभी दरवाजे़ पर ही माजी ने याद दिला दिया कि बहू हमें सात बजे तक निकलना है। जल्दी से बैग रखकर रसोई में गई और सबके लिए चाय चढ़ा दी। दूसरी तरफ महक को गोद में लिया और उसको तैयार करने में जुट गई। अब एक एक कर आफिस से सब घर लौटने लगे और शाम के फक्ंशन की तैयार में जुट गए। कोई गाड़ी में तोहफे रख रहा था, तो कोई शगुन के लिफाफे तैयार कर रहा था। आखिर हो भी क्यों न पहली बार छोटी बहू के मायके से निमंत्रण जो आया था, उनके भतीजे के जन्मदिन का। महक को तैयार करने के बाद सभी को चाय की प्याली दी और तभी माजी से पूछा कि पायल कहीं नज़र नहीं आ रही माजी। कहने की देरी थी कि दूर से पायल जल्दबाज़ी में हेल्मेट उतारती हुई घर के दरवाज़े से एकदम अंदर आई। मैंने पूछा पायल तुम कहां थी, तो हांफते हुए बोली भाभी आफिस से सीधा पार्लर चली गई थी।

बस मैं अभी तैयार होकर आई, ये कहकर वो अपने कमरे में चली गई। अब माजी और पिताजी मन ही मन उसको देखकर परेशान हो रहे थे। हों भी क्यों न, जाने का वक्त जो हो रहा था। उसके जाते ही माजी ने एकदम से कहा अब भी कोई कसर रह गई है क्या, पायल बहू को मेकअप की दुकान बनकर जाने की क्या ज़रूरत पड़ गई थी। एक तो रंग वैसे ही सांवला है और उपर से मेकअप की परतें और भद्दी लग रही हैं। वहां वो हमारा इंतज़ार कर रहे हैं और यहां ये अब तक तैयार हो रही है। अब देवरजी भी वहीं खड़े थे और सब सुन रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं एक बार जाकर पायल को देखता हूं। वो जैसे ही कमरे में पहुंचे पायल अब भी इसी उधेड़बुन में थी कि मैं क्या पहनूं।

तभी देवरजी के कड़क आवाज़ में कहा कि ये क्या बन कर बैठी हो। भाभी को देखो कितनी सिंपल और संुदर लग रही हैं। तुम भी वैसी क्यों नहीं बनती। अब ये सुनकर पायल को मन ही मन गुस्सा तो आ ही रहा था। साथ ही एक अजीब सी जलन भी होने लगी थी। उसने उसी क्षण आवाज़ दी कि भाभी आकर मुझे तैयार कर दो प्लीज़। अब मैं फटाफट कमरे में गई, तो पायल के बाल बिखरे हुए थे और नाइट सूट में बैठी थी।  बोला कि भाभी मेरे बाल भी अपने जैसे टाई कर दो। बालों को संवारा ही था कि वो फिर से मेकअप करने लगी। तभी पिताजी की आवाज़ आई कि बहू हम निकलते हैं, तुम लोग दूसरी गाड़ी में आ जाना। अब घर में पायल के मेकअप से सब परेशान थे, सबसे ज्यादा देवरजी। मगर पायल कहां किसी की सुनने वाली थी। उसने चटक सी साड़ी पहली, हैंडबैग उठाया और मेकअप की कई परतों के साथ पार्टी के लिए निकल पड़ी। अब वहां पहुंचते ही सबका ध्यान पायल की ही ओर था। हर कोई यही फुसफुसा रहा था कि पूरी मेकअप की दुकान लग रही है। इसी बीच पायल के भाइयों ने उसे स्टेज पर बुलाया और केक कटिंग सेरेमनी शुरू हो गई। अब सबकी नज़र केक से ज्यादा पायल पर थी। दूसरी ओर मां और पिताजी पायल के मेकअप से बेहद नाराज़ नज़र आ रहे थें। अब पायल एक बिन मां की बेटी थी, उसकी मां कुछ साल पहले की गुज़र गईं थी, अब अगर मां होती तो अपनी बेटी को सही गलत का फरक समझा पातीं। अगर माजी उसे कुछ कहती, तो उसे बुरा लग जाता। तभी पायल की ताईजी ने केक सेरेमनी के बाद उसे अपने पास बुलाया और मुझेे भी अपनी ओर आने का इशारा किया, मैं समझ चुकी थी कि ज़रूर वो पायल को कुछ समझाना चाहती हैं।

तभी उन्होंने मुझसे कहा कि कोमल तुम जानती हो कि पायल के भाई उसे बचपन में सांवरी कहकर चिड़ाते थे और पायल खूब परेशान हो जाती थी और वो छेड़छाड़ आज भी जारी है। मगर आज पायल ने अपने चेहरे को अपने रूप को मेकअप की परतों के पीछे इस कदर छुपा लिया है, कि हमारी सांवरी कही खो सी गई है। भगवान कृष्ण भी तो सांवले थे और उनकी सुदरंता की चर्चा हर ओर है। उनका रूप और भक्ति हर जन को मोहित करती है। तो फिर तुम्हें क्यों गोरा दिखना है, मेरी बच्ची। उसी वक्त वेटअर पास से गुज़रा और गिलास से झलका पानी पायल के चेहरे पर गिरा। उसे पोछंने के लिए जैसे ही पायल ने चेहरे पर रूमाल लगाया, तो सारा मेकअप रूमाल के साथ साफ हो गया। तभी ताइजी ने मुस्कुराते हुए कहा कि यहीं श्रीकृष्ण की भी मर्जी है। अब माजी भी वहीं खड़ी थी।

उन्होंने छूटते ही कहा कि मेरी पायल बहू इस दुनिया की सबसे सुदंर और प्यारी बहू हैं, जिसे मेकअप की दुनिया कहलाने की ज़रूरत नहीं हैं। उन्होंने पायल को समझाया कि तुम्हें अपनी तुलना कोमल बहू से नहीं करनी चाहिए। हर किसी को ईश्वर ने एक दूसरे से अलग बनाया है माजी ने पायल को गले लगाया और कहा कि बहू तुम जैसी हो बस वैसी ही हमें स्वीकार हो। अब सब पायल को पसंद करने लगे और पायल भी खुद को मेकअप के पीछे छुपाने की कोशिश नहीं करती थी।

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बहू को ही दोष क्यों