नीना ने अपनी पड़ोसन सारिका से कहा कि अरे, क्या बताऊ मेरी बेटी का पढ़ने में बिल्कुल मन नहीं लगताए कॉलेज में आ गयी लेकिन अभी तक पढ़ने में वही हाल हैएइस पर सारिका ने तुरंत तपाक से कहा कि अरे अब पढाई.वढाई छोड़ उसकी शादी करवा दे बस इस समस्या का यही हल है… तेरी भी टेंशन खत्म और उसकी पढ़ने की भी…ये  तो सिर्फ एक ही उदाहारण था न जाने कितने ऐसे उदाहारण आप रोजाना अपनी जिंदगी में सुनते होंगे। अगर किसी लड़की का किसी लड़के साथ अफेयर चल रहा है तो उसकी शादी करवा दो, वो पढ़ नही रही है तो उसकी शादी करवा दो, लड़की अपने करियर में फोकस नहीं कर पा रही है तो उसकी शादी करवा दो, यानि की लड़की की कोई भी समस्या हो उसका हल शादी करके हो सकता है लेकिन क्या यकीनन एक लड़की की हर समस्या का हल शादी है? कहने का अभिप्राय यह है कि एक लड़की के लिये शादी उसकी हर समस्या का समाधान नहीं हो सकता। शादी लड़की के लिये चाॅव्इस होनी चाहिये ना कि मजबूरी।

शादी हर समस्या का समाधान नहीं

दरअसल देखा जाये तो हमारे भारतीय समाज में शादी को कुछ इस तरह महिमामंडित किया गया है कि हमें यही लगता कि शादी हर समस्या का अचूक रामबाण है। शादी के बाद सब कुछ अपने आप ठीक हो जायेगा लेकिन क्या आप यह बात एक दम दावे के साथ कह सकते है, क्या आपने कभी सोचा कि आपकी लड़की पढ़ नहीं रही है या फिर उसका पढ़ने में मन नहीं है तो उसकी शादी ना करके उसे किसी और में परफेक्ट बनाया जाये जिसमें उसकी रुचि हो। आप उसे उसकी रुचिपूर्ण का काम करवाके उसकी जिंदगी को सवार सकते हैं। उसे विवाह के बंधन में बांधने से अच्छा है उसे उसके अपने पैरों पर खड़े होने की आजादी दे, उसे इस काबिल बनायें कि जब कल को शादी के बाद उस पर किसी तरह की अनचाही आपदा आ जाये तो वह डटकर मुकाबला कर सके।  

हर लड़की के लिये शादी कोई आखिरी मंजिल नहीं

पता नहीं हमारे समाज की ये सोच कब खत्म होगी कि हर लड़की की आखिरी मंजिल शादी है। प्राय देखा गया है कि जब हर माता-पिता अपनी लड़की के बारे में यही सोचते है कि लड़की कुछ पढ़ लिख कर बन जाती है तो ठीक है वरना उसकी अच्छे परिवार में शादी हो जाये, पति खूब कमाता होण्ण्ण्ण्बस उनकी सोच यही आके खत्म हो जाती है लेकिन हमें यह बात समझने की जरुरत है कि आप अपनी बेटी को पति दे रहे कोई अलादीन का चिराग नहीं जो उसकी हर ख्वाहिशों को पूरा कर देगा। शादी एक जिम्मेदारी है और इस बंधन में कई उतार-चढ़ाव भी आते रहते हैं, ये एक ऐसा बंधन है जिसमें लड़का-लड़की दोनों को अपने हिस्से की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाना पड़ेगा इसलिये यह कहना गलत नहीं होगा कि शादी हर लड़की के लिये कोई आखिरी मंजिल नहीं जिसे हर लड़की को तय करना होता है, हां अगर वह अपनी स्वेच्छा से शादी के बंधन में बंधना चाहती है तो उसका विवाह करवा दें। उसे निर्णय लेने का पूरा अधिकार दे। उसे ये एहसास दिलवायें कि सिर्फ एक शादी ही विकल्प नहीं है जो तुम्हारी जिंदगी को संवार सकती है बल्कि जिंदगी में और भी विकल्प है जिनके जरिये आपकी बेटी की जिंदगी को संवारा जा सकता है।

बदलिए अपनी सोच को 

आपने कईयों ये कहते हुये सुना होगा कि शादी के बाद जब सिर पर पडे़गा तो सब कुछ खुद-ब-खुद सिख जायेगी। लेकिन क्या सचमुच शादी के बाद हर लड़की सबकुछ सीख जाती है उसके वैवाहिक संबधों में कोई अड़चन कोई रुकावट नहीं आती, शायद ऐसा कहना गलत होगा। आपकी लड़की किसी गलत रास्ते पर है तो उसकी शादी करवाके उससे आप छुटकारा पा सकते है लेकिन आपकी बेटी की जिंदगी का क्या? आपने कभी इस बात पर गौर किया कि आखिर किस वजह से वह गलत रास्ते पर चली गई नहीं आप तो बस किसी और के पल्ले बांध अपना हाथ झांड़ने की कोशिश करते है जो कि सरासर गलत है। शादी किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है और अगर आप ऐसा सोचते हैं तो गलत सोचते हैं। अपनी सोच को बदलिए ताकि आप अपनी बेटी का सुनहरा भविष्य गढ़ पायें। ऐसा न हो की बाद में आपको सिर्फ और सिर्फ अफसोस करना पड़े।

शादी को अपनी बेटी से जुड़ी हर समस्या का समाधान नहीं बल्कि एक उसके लिए विकल्प बनाईये ताकि वह इस बंधन में बंधने के लिये ,खुद को पूर्ण रुप से तैयार कर सकें।