बात उस समय की है, जब मेरी उम्र पांच साल रही होगी। मेरे पिताजी टूर पर बाहर गए हुए थे। गॢमयों का समय था, मेरी मम्मी स्टोव पर दूध रखकर पड़ोसिन आंटी से बात करने के लिए बाहर खड़ी हो गई। वह स्टोव को धीमा करके चली गईं और मुझे हिदायत देकर गई थीं कि मैं स्टोव से दूर रहूं। मैं कई बार मम्मी को स्टोव में हवा भरते देखती तो मेरा भी मन करता हवा भरने का। आज मौका मिलते ही दूध रखे हुए स्टोव में ही हवा भरना शुरू कर दिया। फिर क्या था, स्टोव की लौ तेज हो गई और दूध उबल कर मेरे हाथ पर आ गया और मेरा हाथ बुरी तरह जल गया। मैं एकदम जोर से चिल्लाने लगी, मम्मी मेरी आवाज सुनकर अंदर आई, वह बुरी तरह घबरा गईं। अब मुझे लगा मुझे डांट पड़ने वाली है तो मैंने पहले ही अपनी सफाई देना शुरू कर दिया। मैंने तो स्टोव छुआ ही नहीं था,

एक चूहा इसके ऊपर से भागा और स्टोव मेरे ऊपर गिर गया। उस समय तो मम्मी ने कुछ नहीं कहा, अस्पताल लेकर चली गई, लेकिन जब हाथ ठाक हो गया तब बोली, ‘चूहा स्टोव कैसे गिराता है?’ अब मेरी हंस नहीं रुक पा रही थी। आज भी अपनी नादानी पर हंसी आ जाती है।

यह भी पढ़ें –नाबालिग अपराधी – गृहलक्ष्मी कहानियां

-आपको यह कहानी कैसी लगी? अपनी प्रतिक्रियाएं जरुर भेजें। प्रतिक्रियाओं के साथ ही आप अपनी कहानियां भी हमें ई-मेल कर सकते हैं- Editor@grehlakshmi.com

-डायमंड पॉकेट बुक्स की अन्य रोचक कहानियों और प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाओं को खरीदने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- https://bit.ly/39Vn1ji