प्यार का एहसास
क्या तुमने कभी मेरी माँ को अपनी माँ समझने की कोशिश की ? क्या उनकी भावनाओं की तुम्हे जरा भी कद्र है?
Hindi Love Story: सालों पहले विशवा और शिप्रा एक दूसरे से अपने प्यार का इज़हार कर चुके थे। जल्दी ही उनकी शादी होने वाली थी। पर कुछ ऐसा था जो वो दोनों नहीं देख पा रहे थे। कुछ ऐसा जो उनके रिश्ते को धीरे धीरे ख़राब कर रहा था। बात बात बात पर विशवा का चिढ़ना, शिप्रा पर गुस्सा करना और घंटों उसके कॉल्स इग्नोर करना आम हो गया था।
विशवा दिल का साफ़ था पर गुस्सा करना जैसे उसका स्वभाव ही बन गया था। वहीं दूसरी तरफ शिप्रा भी नाराज़गी में अक्सर वही काम करती जो विशवा को पसंद नहीं था, शायद उसका ध्यान अपनी तरफ खींचने का उसके पास यही तरीका था।
एक शाम विशवा ने शिप्रा को कॉल कर के मिलने बुलाया, काफी देर तक दोनों आमने सामने बैठ कर भी चुपचाप बैठे थे, फिर शिप्रा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, माँ से बात हुई थी, वो कह रहीं थी कि ??

इतना सुनते ही विशवा भड़क उठा, माँ..
कौन माँ??
क्या तुमने कभी मेरी माँ को अपनी माँ समझने की कोशिश की ?
क्या उनकी भावनाओं की तुम्हे जरा भी कद्र है?
एक साथ उसने इतनी बातें कह डाली की की शिप्रा की आँखों से लगातार बहते हुए आंसू भी उसे नज़र ही नहीं आए। दोनों अपने अपने रास्ते हो लिए।
अगले दो दिन तक दोनों के बीच बातचीत बंद ही रही। तीसरे दिन माँ ने विशवा से कहा तुम कल ऑफिस से छुट्टी ले लेना, हमे शिप्रा के लिए मंगलसूत्र का डिज़ाइन पसंद करने जाना है।
शिप्रा का नाम सुनते ही विशवा के दिल की धड़कने तेज़ हो गई। उसने माँ से टालने के अंदाज़ में कहा फिर कभी देख लेंगे, अभी शादी में बहुत समय है। माँ शादी की डेट आगे बढ़ जाए तो अच्छा होगा, मुझे ऑफिस के काम से कुछ महीनों के लिए दुबई जाना है।
माँ ने कहा , जैसा तुम ठीक समझो।
उस दिन के बाद से माँ ने शिप्रा की कोई बात करना ही छोड़ दिया, जब कभी विशवा अपनी तरफ से कुछ कहना चाहता तो माँ उसकी बात टाल देतीं।
एक रोज़ माँ ने उसे अपने पास प्यार से बैठाया और कहने लगी,
देखो शादी को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है इसलिए मैंने फैसला लिया है कि…
माँ के इतना कहते ही विशवा फूट फूट कर रो पड़ा ,
शिप्रा को मुझसे दूर मत करो,

वो बहुत अच्छी लड़की है माँ, आप उससे क्यों नाराज़ हैं,
हम मिल कर अपने बीच की नाराज़गी सुलझा लेंगे…
ना जाने क्या क्या सोच कर विशवा का दिल घबराने लगा,
माँ ने कहा, बस यही एहसास कराना था तुमको,
कहीं ना कहीं तुम काम के दबाव में थे और इसका सारा गुस्सा शिप्रा पर निकाल रहे थे। तुम शिप्रा से कितना प्यार करते हो ये मै जानती हूँ, बस तुम शायद थोड़ा भूल गए थे..
अब याद आ गया ना,
मै तो बस तुम्हे इतना बताना चाहती थी की पंडित जी से बात हो गई है, अगले हफ्ते मंदिर में तुम दोनों की शादी है, फिर तुम दोनों आराम से दुबई चले जाना, वहां से आने के बाद शानदार पार्टी होगी,
जाते जाते माँ ने कहा , अरे हाँ ये बताना तो भूल ही गई की तुम्हारी शिप्रा बहुत प्यारी है उसने ही तुम्हारी परेशानियों के बारे में मुझे बताया था इसलिए तो मैंने ये प्लान बनाया, तुम दोनों हमेशा साथ रहो और खुश रहो बस इतना चाहती हूँ मै,
माँ ने दीवार के पीछे छुपी हुई शिप्रा को विशवा के सामने लाकर खड़ा कर दिया और चली गई,
एक दूसरे का हाथ पकड़े विशवा और शिप्रा कुछ मिनटों तक एक दूसरे को निहारते ही रहे और धीरे से विशवा ने शिप्रा के माथे पर एक प्यार भरा बोसा रख दिया।
