Story of House Wife: रूबैदा का चेहरा और आंखे देानेां सूजी हुयी थी। ऐसा पहली बार नहीं था। अक्सर उसका ”शराबी” पति नशे में उसके साथ मार पीट करतां। पांच बच्चों की मां रूबैदा मेरे यहां साफ—सफाई का काम करती थी।
‘‘क्यों पीटता है?’’ आज मुझसे रहा न गया।
’’मेरी कमाई चाहता है,’’रूबैदा बोली।
‘‘उसकी कमाई कहां जाती है?’’
‘‘शराब मेंं।’’
‘‘आटो चलाकर जितना कमाता है वह क्या कम पड़ता है?’’
’’मैं चार घरेां में काम करके किसी तरह घर खर्च चलाती हूं। कुछ बचता ही नहीं। कहां से दूं।’’वह रूआंसी हो गयी।
रूबैदा से मुझे सहानभूति थीं साथ मे क्षोभ भी।
‘‘क्या जरूरत थी पांच बच्चें पैदा करने की?’’ सुनकर वह लज्जा गयी।
‘‘जर्बदस्ती करता हैं मेरे साथ। बीवी हूं इसलिए चुप रह जाती हूं।’’
‘‘नहीं तो क्या करती?’’
‘‘कुछ नहीं।’’बड़ी आसानी से कह दिया उसने। प्रतिरोध तो कर सकती थी। वह आगे कहती रही,’’मोहल्ले की सभी औरतें रोजाना अपने मर्दो के जबरदसती की शिकार होती हेै।’’ मैं सोचने लगी क्या यह एक तरह का बलात्कार नहीं? भले ही बीवी क्यों न हों।
‘‘बहनजी, देखो कल रात कितनी बेरहमी से मेरी पिटाई की है।’’उसने अपनी पीठ दिखाई। सचमुच उसके पीठ पर बेंत के लाल निशान पड़े थे। क्षणांष चुप्पी के बाद बोली’’,‘‘मैं आज रात आपके घर में सो सकती हूं?’’मुझे उसपर दया आ गयी। स्त्री का कोई धर्म नहीं होता। लिहाजा बिना ज्यादा कुछ विचार किये हामी भर दी। मेरे फ्लैट का एक कमरा खाली रहता था। गद्दा पहले से बिछा था। एक कंबल की जरूरत थी उसका भी इंतजाम सोच लिया।
हमेशा की तरह मेरा काम करने आयी।
‘‘बहनजी, रात नौ बजे तक काम निपटाकर आउंगी।’’ इसबीच मेरी विचारप्रक्रिया बदल चुकी थी। हकीकत ने भावनाओं को पीेछे छोड़ दिया।
‘‘एक रात सो लेने से क्या बदल जाएगा?’’
‘‘मैं समझी नहीं बहन जी।’’
‘‘क्या वह तुम्हे मारना पीटना छोड देगा?’’
‘‘मैं उसे सबक सिखाना चाहती हूं। एक रात नहीं रहूंगी तो दिमाग ठिकाने लग जाएगा। देखती हूं कैसे पांच बच्चों को संभालता है?’’उसके चेहरे से टपकते नादान आत्मविश्वास पर मैं चकित थी।
‘‘एक रात बाहर रहेागी तब तुम्हारा मर्द तुम्हें कुछ नहीं कहेगा?’’
‘‘क्या कहेगा?’’उल्टे उसने मुझसे प्रश्न किया।
‘‘कहेगा किसके साथ रात बिता कर आयी हो। वापस पत्नी का दर्जा पाने के लिए तुम्हें अग्निपरीक्षा देनी होगी। क्या इसके लिए तुम तैयार हो?’’
रूबैदा ने इस बाबत सोचा ही नहीं था। वह उदास हो गयी।
‘‘बहनजी, ऊपर वालें ने औरत बनाया ही क्यों है?’’ उसके चेहरे पर विषाद की गहरी रेखाएं खींच गयीं।