भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
Raja story: एक समय की बात है कि भीमादेव आम लोगों की तरह उठता-बैठता, घूमता-फिरता, जीवन-यापन करता था। धीरे-धीरे वह आलसी हो गया। लगातार चार साल तक पानी नहीं बरसा तो खेती नष्ट हो गयी, पेड़ सूखने लगे, चारा और दाना-पानी न मिलने से पशु-पक्षी और जीव-जंतु मरने लगे। सब ओर त्राहि त्राहि होने लगी। तेज धूप के कारण धरती फटने लगी। सभी जीव अकुलाकर रोने लगे तो भीमदेव भी दुखी हुआ और उसने इंद्र देव की स्तुति कर कहा कि वह पानी बरसाएँ, नहीं तो सब प्राणी मर जाएँगे।
इस आपदा का कारण और उससे छुटकारा पाने के उपाय पूछने पर इंद्र राजा ने कहा कि राजा के कर्मों का दंड प्रजा ही भोगती है। इसलिए राजा को अच्छी तरह सोच-विचार कर ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए कि प्रजा दुखी हो। तुमने आलस किया, खुद खेती नहीं की, हल नहीं चलाया, इसलिए यह मुसीबत आई। सबसे पहले अपनी गलती सुधारो। खेतों में जाओ, पसीना बहाओ, खेत जोतो, धान के बीज बो, तभी पानी बरसेगा। भीमादेव ने इंद्र देवता के पैर पढ़कर माफी माँगी और खेतों में जाकर मेहनत करने का वचन दिया।
भीमादेव ने अपने वायदे के अनुसार खुद अपने हाथों से खेतों को जोता और उनमें धान के बीज बोए। तब सब लोगों के साथ मिलकर इंद्र देवता से प्रार्थना की कि वह पानी बरसाएँ। राजा और प्रजा के एक साथ प्रार्थना करने पर बादलों को भेजकर पानी बरसा दिया। आदिवासी अब भी मानते हैं कि पानी न बरसने या मौसम के गड़बड़ होने का कारण भीमादेव का आलस ही होता है। ऐसी हालत में वे भीमादेव की शरण में जाकर गुहार लगते हैं। गुहार सुनकर भीमादेव हल चलाता है तो पानी बरसता है, मुसीबत दूर होती है, लोगों का पेट भरता है। भीमदेव का आभार मानते हुए लोग गाते हैं ‘धान बोया भीमा ने, पानी दिया इंद्र ने।’
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’
