आंवले का मुरब्बा-जब मैं छोटा बच्चा था
Aawale ka Murabba

Hindi Short Story: बचपन से ही मुझे मीठा खाना पसंद नहीं है और ये बात सब लोग जानते थे। बड़ी ही मुश्किल से कभी-कभार मीठा खा लिया तो ठीक है लेकिन उसके उलट मेरे भाई को मीठा खाना बेहद पसंद था। जब हम छोटे थे तो मेरी दादी आंवले का मुरब्बा बनाकर रखती थी। मेरे बहुत आनाकानी करने के बावजूद उन्होंने मुझे आंवले का मुरब्बा एक बार खिला दिया। मुझे वह बेहद स्वादिष्ट लगा लेकिन मैंने ऐसा जताया जैसे मुझे पसंद ही नहीं आया। बस फिर क्या था दिन में जब सब सो रहे होते थे, तो मैं बरनी से एक-दो रसीला आंवला निकाल कर खा जाती और किसी को पता नहीं चलता। ऐसा चलता रहा और दादी को लगा कि ये मुरब्बा तो बहुत जल्दी खत्म हो रहे हैं। शक गया भाई पर क्योंकि सबको पता था कि उसे मीठा बहुत पसंद है और मैं तो मीठा खाती ही नहीं हूँ। उन्होंने कहीं और ऊंची जगह बरनी छुपा दी और मैं तो वहां भी जैसे-तैसे चढ़ कर निकाल ही लेती थी और फंस जाता था मेरा भाई। इसका खुलासा मैंने काफी सालों बाद किया और इस पर सबको खूब हंसी आई। बेचारा मेरा भाई!

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