शंकर का शाप-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं मध्यप्रदेश: Shiv Shrap Story
Shankar ka Shrap

भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

Shiv Shrap Story: सृष्टि के आरंभ में आदमी को खेती का ज्ञान देने के लिए शंकर जी ने एक हल बनाया और उसमें अपने वाहन नंदी को जोता। धरती पर घना जंगल था और जमीन पथरीली थी इसलिए एक आदमी का निर्माण कर उसका नाम सँवर रखा। सँवर को कुल्हाड़ी देकर शंकर जी ने उसे जंगल साफ करने के काम में लगा दिया।

महादेव दूसरा बैल लेने गए। सँवर को भूख लगी। उसे नंदी के अलावा और कोई नहीं दिखा। उसने नंदी को मारकर उसका कुछ मांस खा लिया और अपने काम में जुट गया। शंकर जी लौटे तो जंगल को साफ देखकर खुश हुए और बतौर ईनाम सँवर को खाने योग्य और दवाइयों के गुणोंवाली जड़ी-बूटियों का ज्ञान दिया।

वापिस लौटने के लिए शंकर जी ने नंदी को खोजा, न मिलने पर सँवर से पूछा तो उसने कहा कि उसे नहीं मालूम। शंकर जी के गणों ने नंदी का शरीर खोज निकाला। शंकर जी ने नंदी को जीवित किया तो उसने सारा किस्सा कह सुनाया। गुस्सा होकर शंकर जी ने शाप दिया कि तुम हमेशा इसी तरह आधा पेट खाकर, अधनंगा रहोगे, कोई तुम्हारा साथ न देगा। तब से अब तक सँवर के वंशज जंगलों में गरीबी और अभाव के दिन बिता रहे हैं। इन्हें सहरिया कहा जाता है।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’

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