संत अलवार की झोपड़ी में उसके सोनेभर की ही जगह थी। बारिश हो रही थी। किसी ने दरवाजे को खटखटाते हुए पूछा, “क्या अंदर जगह है?” उसने जवाब दिया, ‘हाँ, यहाँ पर एक सो सकता है पर दो बैठ सकते हैं। अंदर आ जाइए।” उसने उस भाई को अंदर ले लिया और दोनों बैठे रहे। इतने में तीसरा व्यक्ति आया और पूछने लगा, ‘क्या अंदर जगह है?’
संत अलवार ने जवाब दिया, ‘हाँ, यहाँ दो तो बैठ सकते हैं पर तीन खड़े हो सकते हैं।’ उसने उस भाई को भी अंदर बुला लिया और तीनों रातभर कोठरी में खड़े रहे। अगर वह यह कहता कि मेरी कोठरी छोटी है, मैं इसे कैसे बाँट सकता हूँ। किसी और के पास जाइए तो वह ‘संत अलवार’ नहीं बनता। वह एक सामान्य नीच मनुष्य ही होता, जिसे मनुष्य कहना भी मुश्किल है।
ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं–Anmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)
