चल तुमड़ी बाटुं-बाट-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं उत्तराखण्ड: Old Lady Story
Chal Tumdi Batu Baat Story

भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

Old Lady Story: एक गांव में रामी नाम की बुढ़िया और उसकी बेटी रहती थी। बुढ़िया ने अपनी बेटी की शादी दूर एक दूसरे गांव में कर दी। बहुत दिन बीत गए बुढ़िया को अपनी बेटी की याद सताने लगी और उसने मन बनाया कि कल सुबह वो अपनी बेटी से मिलने जायेगी। बुढ़िया ने रात को ही सब इंतेजाम कर लिए, बेटी के लिए एक कटोरा च्यूड, स्योंत, खजूर और पुए बना एक छोटी-सी पोटली बांध दी। सुबह बुढ़िया पोटली सर में रख निकल पड़ी अपनी बेटी के ससुराल। बुढ़िया को चलते-चलते शाम हो गई, बेटी के ससुराल जाने के रास्ते में एक खतरनाक जंगल पड़ता था। जंगल में उसे खूखार जानवरों की आवाजें आने लगी। वह थोड़ा ही चली थी कि अचानक उसके सामने एक मोटा काला भालू आ गया। भालू बुढ़िया को खाने के लिए उसकी ओर बढ़ा पर बुढ़िया ने हिम्मत बांधी और उसने हाथ जोड़कर कहा-

चेलिक यां जूंल (बेटी के वहां जाऊंगी)

दूध मलाई खूल, (दूध मलाई खाऊंगी)

खूब मोटै बेर ऊंल (खूब मोटी हो के आऊंगी)

तब तु मैंके खै लिये (तब तू मुझे खा लेना)

भालू ने उसकी बात मान ली। आगे जाते-जाते बुढ़िया को बाघ, सियार और दूसरे जानवर मिले जो उसे खाना चाहते थे पर बुढ़िया ने सभी को यही आश्वासन दिया कि वो बेटी के वहां से खूब खा के मोटी होके आयेगी, तब उसे खा लेना। जैसे-तैसे बुढ़िया अपनी जान बचा के बेटी के ससुराल पहुंची।

रात भर मां बेटी ने खूब बात करी, बुढ़िया ने गांव, पड़ोसियों का हाल-चाल अपनी बेटी को बताया। महीना भर बेटी के घर रह के बुढ़िया, अब अपने घर वापस जाने की सोचने लगी। वापसी की तैयारी करते-करते बुढ़िया उदास हो गयी, उसे उन जंगली जानवरों का डर सताने लगा जो उस रास्ते में फिर मिलने वाले थे।

बुढ़िया को उदास देख बेटी ने उदासी का कारण पूछा, अन्ततः बुढ़िया ने अपनी बेटी को सारी आप बीती सुना दी। बुढ़िया की बेटी बहुत चालाक थी, उसने अपनी सास से थोड़ा बहुत जादू सीखा था। बेटी ने एक बड़ी-सी तुमड़ी (सूखी हुई खोखली गोल लौकी ली) थोडी पूरी पुए पोटली में बांध बुढ़िया को तुमड़ी में बैठा कर उसके कान में कुछ मंत्र बोले।

मंत्र बोलते ही तुमड़ी रास्ते में चलने लगी। जंगल में पहुंच के बुढ़िया को सबसे पहले बाघ मिला। बाघ ने कहा, ओ तुमड़ी क्या तूने कहीं वो बुढ़िया को देखा जो यहां के रास्ते से अपनी बेटी के वहां जा के मोटी हो के आने वाली थी

तुमड़ी के अंदर बैठी बुढ़िया ने कहा, चल तुमड़ी बाटु-बाट (चल तुमड़ी अपने रास्ते) मै कि जाणं बुढिया की बात। (मैं क्या जानू बुढ़िया की बात और तुमड़ी चल दी।

ऐसे ही भालू मिला और भी जानवर मिले, बुढ़िया तुमड़ी के अन्दर से सबसे यही कहती रही।

चल तुमड़ी अपने रास्ते,

मैं क्या जानू बुढ़िया की बात।

हर बार यही जवाब मिलने पर जानवरों को गुस्सा आ गया और उन्होंने तुमड़ी को तोड़ दिया। रामी को देखकर उनमें उसे खाने की होड़ लग गयी और वो आपस में ही लड़ने लगे। मौका देखकर रामी एक पेड़ पर जाकर बैठ गयी। जानवर नीचे बैठकर उसके नीचे आने का इन्तजार करने लगे। रामी को अपनी बेटी की बताई हुई बात याद आ गयी वो जोर से आवाज लगाकर बोली, ‘मेरे नीचे गिरने पर जो सबसे पहले मुझ पर झपटेगा वो ही मुझे खायेगा। सभी जानवर टकटकी लगाकर ऊपर देखने लगे। बुढ़िया ने पोटली से मिर्च निकाल कर उनकी आंखों में झोंक दी। जानवर तड़प कर इधर-उधर भाग गये और रामी पेड़ से उतर कर अपने घर चली गयी। रामी की समझदारी ने उसकी जान बचा दी।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’