Navratri Story: चीनू और मीनू बहुत खुश थे,वैसे तो दादी उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं करती थी पर सात-आठ दिन से वह काफी खुश रहती थी।कल ही उन्होंने मोहल्ले की कन्याओं के साथ उनकी भी कितनी आवभगत की थी।सबकी तरह उन्हें भी पीढ़े पर बैठाकर पैर धोये,माथे पर रोली-चावल का टीका कर पैर छुए थे और उपहार में किचन सेट दिया था। उन दोनों के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।खुशी के मारे रातभर दोनों को नींद भी नही आई थी।
चीनू ने कमरे में आकर मीनू को बताया कि दादी बस मन्दिर जाने के लिए निकल ही रही है। मीनू अपने किचेन सेट के कप-प्लेट में झूठी-मुठी की चाय लेकर पहुँच गई। आज दादी बहुत खुश हो जाएगी पर…
“शिव-शिव-शिव-शिव !”
अम्मा की आवाज सुन वन्दना रसोईघर से बाहर आ गई। अम्मा गुस्से में लाल थी। चीनू और मीनू डर के मारे अपनी माँ वन्दना के पीछे छिप गई।
” कितनी बार तुझ से कहा है, इन मनहूसों को कमरे में रखा कर…सुबह-सुबह मन्दिर जाने के लिए निकली थी। माँ के दर्शन तो बाद में होंगे पहले इन मनहूसों के ही दर्शन हो गए। अब देवी माँ ही जाने आज का दिन कैसे बीतेगा।”
वन्दना सोच रही थी।
“काश!हर रोज नवरात्रि के होते !”
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