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अथ श्री दामाद कथा-गृ​हलक्ष्मी की कहानियां

Hindi Story:“अतिथि देवो भव:” अर्थात अतिथि देवता के समान होता है और जहाँ देवी-देवताओं की बात हो वहाँ आदर-सत्कार और भोग-प्रसाद तो लाज़िमी है पर इस देश में अतिथियों के लिए एक कहावत यह भी है पहले दिन पाहुना, दूजे दिन ठेहुना और तीसरे दिन केहुना… अर्थात अतिथियों की सेवा पहले दिन सेवा दामादों की […]

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खोमचे भर मुहब्बत: Grehlakshmi Ki Kahani

Grehlakshmi Ki Kahani: फरवरी की गुलाबी ठंड कहीं दूर रेडियो पर लता जी के प्यार भरे नगमों की मंद स्वर लहरी हवा के पंखों पर सवार होकर खिड़की से आ रही थी। खिड़की से झांकती चांदनी और सफेद चांद की रौशनी से झोपड़ी नहा उठी। शांति ने न जाने क्या सोचकर खिड़की के परदों को […]

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आयो रे आयो: Hindi Vyangya

Hindi Vyangya: टन्न -टन्न, टन्न-टन्न! किसी के थाली पीटने की आवाज से आस-पास की महिला मंडली काम-काज छोड़-छाड़ कर अपने-अपने घरों से बाहर निकल आई। सब यह पता लगाने में जुट गईं कि आखिर सुबह-सुबह ये आवाज कहां से आ रही है। पता चला मिश्राइन अपने ढहते शरीर की तरह अपनी ढहते घर के छज्जे […]

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विवाहोपरांत होने वाली रस्मों का तानाबाना: Post-Wedding Rituals

Post-Wedding Rituals: आमतौर पर फिल्मों में शादी में होने वाली रस्मों को दिखाया जाता है लेकिन भारतीय शादियां कम से कम पांच से छह दिन तक चलने वाला कार्यक्रम है। शादी के बाद होने वाली प्रमुख रस्मों के बारे में आप यहां विस्तार से जानिए- विवाह- विश्वास की जमीन पर प्रेम, अधिकार और कर्तव्यों के […]

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नवरात्रि-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी

Navratri Story: चीनू और मीनू बहुत खुश थे,वैसे तो दादी उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं करती थी पर सात-आठ दिन से वह काफी खुश रहती थी।कल ही उन्होंने मोहल्ले की कन्याओं के साथ उनकी भी कितनी आवभगत की थी।सबकी तरह उन्हें भी पीढ़े पर बैठाकर पैर धोये,माथे पर रोली-चावल का टीका कर पैर छुए थे और […]

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बैंड बाजा और शिष्टाचार

Shadi ki Kahani: बड़े-बड़े फाइव स्टार होटल में पैसों की चमक- दमक के आगे परंपराएं दम तोड़ते दिखती हैं। एक छोटे से गिलास को ओखली और एक छोटी-सी लकड़ी को मूसल का प्रतीक मानकर परंपरा को निभाया जाता है। चक्की का काम भी दो प्लेटो को आपस में जोड़कर निभा लिया जाता है। तब भी […]

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जी हां! मैं डॉक्टर हूं

Hindi Vyangya: जी हां! मैं डॉक्टर हूं, ये वाली नहीं वो वाली, अब पूछिये वो वाली क्या होता है। भई इंसानों वाली नहीं किताबों वाली, तो क्या वो वाले किताबें नहीं पढ़ते हैं? पढ़ते हैं जनाब सच मानिए तो वही पढ़ते हैं, हम तो पढ़ कर भी अनपढ़ हैं। पूछिये क्यों? पूछिये-पूछिये, भई हम हर […]

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फूल बनाम फूल-गृहलक्ष्मी व्यंग्य

गृहलक्ष्मी व्यंग्य-फूल,जी हां मैं फूल हूं,अंग्रेज वाला नहीं हिंदी वाला फूल सुंदर, सुगन्धित और मनमोहक फूल। चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूथा जाऊं… वही वाला फूल। ये बात हुई फूल की अब बात होगी फूल की। जी हां, अंग्रेजी वाले फूल की… दुर्भाग्य वश जो की हम हैं, हम मतलब मिश्रा जी। मिश्रा […]

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फालतू-व्यंग्य

मुबारक हो आखिर बोर्ड के रिजल्ट निकल आये,वरना तो इस बैच के जैसे नकारा और फालतू बच्चे तो कभीहुए ही नहीं।अब पूछिये मैंने ये क्यों कहा…कुछ वर्षों पहले एक फ़िल्म आई थी जिसका शीर्षक था “फालतू”…।अनायास ही मुझे वो फ़िल्म याद आ गई, जिसमें निर्देशक ने यह दिखाने का प्रयास किया गया था कि बॉर्डरलाइन […]

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जरूरत है, जी हां जरूरत है – गृहलक्ष्मी की कहानियां

बच्चों को फोन से दूर रखना अब नामुमकिन सा हो गया है, लेकिन बच्चों को सही कॉन्टेंट दिखाने की जिम्मेदारी माता-पिता की बनती है। पैरेंटल लॉक लगाकर आप अपने बच्चे की सही तरीके से निगरानी कर सकते हैं। टेक्नोलॉजी के इस दौर में बच्चे-बड़े, सब स्मार्टफोन के आदी हो चुके हैं। चार-पांच साल पहले मां-बाप […]