Ath Shree Damad Katha
Ath Shree Damad Katha

Hindi Story:“अतिथि देवो भव:” अर्थात अतिथि देवता के समान होता है और जहाँ देवी-देवताओं की बात हो वहाँ आदर-सत्कार और भोग-प्रसाद तो लाज़िमी है पर इस देश में अतिथियों के लिए एक कहावत यह भी है पहले दिन पाहुना, दूजे दिन ठेहुना और तीसरे दिन केहुना… अर्थात अतिथियों की सेवा पहले दिन सेवा दामादों की तरह करनी चाहिए। दूसरे दिन कोहनी की तरह और तीसरे दिन उन्हें पहचानने से भी इंकार कर देना चाहिए। इस कहावत में कोहनी का क्या मतलब है यह बात आज तक समझ में नहीं आई पर दामाद जी का महत्व जरूर समझ में आया।

हमारे देश मे विभिन्न जाति, धर्म, बोली और भाषा के लोग रहते हैं। वैसे ही हमारे देश में रिश्तों की भी भरमार है।हमारे देश तो छोड़िए जनाब किसी भी देश में हो विभिन्न तरह के नाते और रिश्ते होते हैं पर इन सभी रिश्तों में जो सबसे ऊपर रिश्ता होता है वह होता है दामाद का रिश्ता।यह रिश्ता जितना प्यार होता है उतना ही डरावना और खतरनाक भी…प्यारा इसलिए क्योंकि उसका रिश्ता आपकी लाडली बेटी से जुड़ा रहता है और डरावना और खतरनाक इसलिए क्योंकि उनके खुश या नाखुश होने पर उनकी आँखें राहु और केतु की तरह वक्री होकर आपकी लाडली के जीवन पर शनि की अढ़िया या साढ़े साती लगा सकती है।

तो कुल मिलाकर दामाद जी भैरों बाबा सरीखा होते हैं । जिनके खुश या ना खुश होने की कोई गारंटी नहीं होती। कुल मिलाकर हमारे दामाद जी चाइना माल की तरह होते हैं जब तक चले तो चले वरना टाँय-टाँय फिस्स… खुश हुए तो बल्ले-बल्ले वरना बाकी कुछ कहने की जरूरत तो है नहीं आप खुद ही समझदार हैं।शायद इसीलिए दामाद का उम्र से कोई लेना-देना नहीं होता।सास-ससुर के पैर भले कब्र में लटके हो दामाद जी की आँखों का पावर हर साल उनकी बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता जाए पर उनके दबदबे में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए।भई आखिर दामाद है,उम्र के किसी भी पड़ाव में हो उनका दबदबा बना ही रहता है।

दामाद जी अँगना में पधारो,दामाद जी सब टुक-टुक निहारे,दामाद जी लागे सबको प्यारे। दामाद जिसे जमाई,जमाता,जंवाई,पाहुना, सन इन लॉ और कुँवर सा के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।उनके आगमन की सूचना मिलते ही शहर,नुक्कड़, चौराहों और गलियों की मानो आबोहवा ही बदल जाती है। ससुराल रगड़-रगड़कर चमकाया जाता है और पकवानों की बौछार कर दी जाती है।ससुराल में रुकने के हिसाब से हर मीटिंग का मेन्यू तय होता है। घर की औरतें छोटी-मोटी शेफ की तरह नजर आने लगती हैं।

बेटी से पहले ही पसन्द-नापसन्द पूछ ली जाती है।जैसे नमकीन के साथ मीठा जरूरी है उसी तरह दामाद जी की विदाई में लिफाफे या उपहार भी जरूरी है। इस लिफाफे या उपहार का वजन उनके मिजाज के हिसाब से तय होता है और अगर दामाद इकलौता हुआ तो फिर बात ही क्या… इकलौते की एक अलग ही हनक होती है। दामाद जी स्वभाव से शरीफ निकले तो उन्हें लिफाफा देखकर टरकाया जा सकता है पर अगर वह थोड़ा गुस्सेवाले और तुनक मिजाज हुए तो लिफाफे के साथ कपड़े, फल,मिठाई और सूखे मेवे का छौंका भी लगाया जाता है।

एक शादी दो लोगों के मिलन का परिणाम होती है जिसमें बहू सिंदूर पड़ते ही अपनी जिम्मेदारियाँ निभाने में लग जाती है।उससे उम्मीद की जाती है कि वह अपने ससुराल को पहले दिन से ही घर समझने लगे पर दामाद जी जीवन भर अपने ससुराल को अपना घर नहीं समझ पाते। वह चालीस दशक पुरानी ससुराल में भी मेहमान की तरह रहते हैं। मजाल है कि उनकी नाक पर कोई मक्खी भी बैठ जाए। उनकी नाक पर गुस्सा हमेशा पालथी मारकर बैठा रहता है। कहीं वह नाराज ना हो जाए इस डर से ससुराल वाले पत्ते की तरह थर-थर कांपते रहते हैं। वैसे भी अंग्रेजी में उन्हें सन इन लॉ कहा गया है जिस रिश्ते में लॉ घुस जाए उसका तो भगवान ही मालिक है।

भारत में दामाद होने के कुछ खास लक्षण होते हैं लड़के की शादी तय होते ही यह लक्षण उन्हें घोंट-घोंट कर पिलाया जाता है।किसी भी बात पर फुल जाना इनकी आदत में शुमार होता है। सीधी सादी बात को भी जलेबी की तरह गोल-गोल घुमा कर पेश करना उनकी आदत होती है। बातों के लछे बनाने में यह हलवाई से भी ज्यादा स्मार्ट होते हैं और गुस्सा गुस्सा तो उनकी नाक पर ही बैठा रहता है।सबसे बड़ी बात वो सिर्फ अपने सास-ससुर के नहीं साले-सरहज और आस-पास के इलाके के भी दामाद होते हैं।जहाँ से मान-सम्मान के साथ उपहार प्राप्त करना एक साधारण सी घटना है।इन्हें आमतौर पर ऐसे काम पकड़ाए जाते हैं जो होते तो सिर्फ नामभर के है पर मारक होते हैं और वो उस छिपकली की तरह गलतफहमी में जीते रहते हैं कि छत बस उन्हीं की वजह से टिकी हुई है।मसलन इमरती मीठी और कुरकुरी बनी है या नहीं,स्टेज पर फूल सफ़ेद अच्छे लगेंगे या लाल…दामाद जी इतनी सी आवभगत से फुल कर कुप्पा हो जाते हैं और सीना चालीस से सीधा छप्पन इंच पर आकर रुकता है।

ससुराल में विवाह और अन्य पारिवारिक कार्यक्रमों में आगे बढ़-बढ़कर उनका परिचय कराया जाता है।किसी पारिवारिक कार्यक्रम में अगर किसी से हर दस-दस मिनट पर चाय-पानी पूछा जा रहा हो समझ लीजिए वह इस घर के दामाद हैं।कुल मिलाकर इतना समझ लीजिए जिस रिश्ते में शुरुआत में ही दाम शब्द जुड़ा हो तो उसकी कीमती तो चुकानी ही होंगी। दामाद अपने सेवा करवा-करवा जब तक आपका दम न निकाल दें तो फिर दामाद किस बात का और किस काम का…!