Mulla Nasruddin ki kahaniya: महल के बाग में ले जाकर गुलजान को अमीर के सामने पेश करने से पहले अर्सला बेग ने हरम की कुछ बूढ़ी औरतों को बुलाया और उन्हें हुक्म दिया कि गुलजान को अच्छी पोशाक पहनाई जाए और इतनी खूबसूरती से सजाया जाए कि अमीर खुश हो जाए ।
बूढ़ी औरतों ने गर्म पानी से गुलजान का आँसू भरा चेहरा धोया। उसे महीन – झीने रेशम के कपड़े पहनाए, सुर्मा लगाया, भौंहें काली कीं, गालों पर सुर्खी मली, नाखून रँगे और बालों में गुलाब का इत्र लगा दिया। और फिर ख़्वाजा सरा को बुलाया।
‘वाकई बहुत खूबसूरत है।’ ख्वाजा सरा ने अपनी पतली आवाज़ में कहा, ‘इसे अमीर के पास ले जाओ। ‘
बूढ़ी औरतें ख़ामोश और पीली पड़ी गुलजान को महल के बगीचे में ले
अमीर उठे, उसके पास पहुँचे और उसका नकाब उलट दिया।
वज़ीरों, आलिमों और अफसरों ने अपने लबादे की अस्तीनों से अपनी आँखें ढक लीं।
अमीर बहुत देर तक देखते रहे। उसके सुंदर चेहरे पर से अपनी नज़रें हटा नहीं पा रहे थे।
सूदखोर ने सच ही कहा था। ‘हमने उसे इनाम देने का वायदा किया था उससे तीन गुनी रक़म उसे दे दी जाए।’
गुलजान कहाँ से लाई गई।
दरबारी आपस में फुसफुसाने लगे, ‘अमीर को दिल बहलाने का सामान मिल गया है। वह खुश है। उसके दिल का बुलबुल उसके चेहरे के गुलाब पर झुक आया है। कल सवेरे वह और ज़्यादा खुश होंगे। किसी पर बिजली गिरी या पत्थर, तूफ़ान तो गुज़र ही गया । ‘
हिम्मत पाकर दरबारी शायर आगे बढ़े और अमीर की तारीफ़ करने लगे ।
अमीर ने मुट्ठी भर सिक्के शायरे-आजम की ओर फेंक दिए । शायरे-आजम कालीन पर गिर पड़ा और रेंग-रेंगकर अशर्फियों को बटोरने लगा। अशर्फियाँ बटोरते-बटोरते उसने अमीर की जूतियाँ भी चूम लीं। ।
अमीर ने अहसास सा करते हुए हँसकर कहा, ‘माबदौलत ने भी एक नज़्म कही है। सुनो-
‘जब हम शाम को बगीचे में पहुँचे
चाँद खुद को नाचीज़ समझ शर्म से बादलों की ओट में
छिप गया
सारी चिड़ियाँ ख़ामोश हो गईं।
हवा भी थम गई।
हम खड़े रहे शान से
सूरज की तरह ताक़तवर । ‘
सभी शायर घुटनों के बल गिरकर चिल्ला-चिल्लाकर कह उठे – ‘वाह – वाह, क्या शायरी है! क्या अजमत है! आपने तो शायर रुदकी को भी मात कर दिया ।
‘ कुछ ने तो तारीफ़ करते-करते कालीन पर सिर रख दिया जैसे बेहोश हो गए हों।
नाचने वाली आ गई। उसके पीछे-पीछे मसखरे, बाजीगर और फ़क़ीर भी आ गए। अमीर ने आज दिल खोलकर इनाम दिए ।
अमीर ने कहा, ‘दुख है कि सूरज पर मेरा हुक्म नहीं चलता । वरना मैं आज उससे जल्द छिप जाने के लिए कहता । ‘
इस मजाक पर सारे दरबारी हँस पड़े।
