dhairy kaam aayi
dhairy kaam aayi

एक नगर में एक बार अकाल पड़ गया। एक धनी व्यक्ति ने गरीबों को रोटियां बंटवानी शुरू कर दिया। सैकड़ों की तादाद में लोग रोटियाँ लेने पहुँचे और धक्कामुक्की करके अपने-अपने हिस्से की रोटियाँ लेकर चले गए। एक लड़की जो काफी देर से वहाँ खड़ी थी, सबके जाने के बाद आगे आई और अपनी रोटी लेकर चली गई। जब लड़की ने घर पहुँचकर रोटी को खाने के लिए तोड़ा तो उसमें से एक सोने की मुहर निकली। वह रोटी और मुहर लेकर अमीर के पास वापस आई।

अमीर ने कहा कि उसने जानबूझकर रोटी में मुहर छिपा दी थी, जिसे वह सबसे ज्यादा धैर्यवान व्यक्ति को देना चाहता था। यह उसके सब्र का इनाम है। लड़की बोली कि उसे उसके सब का इनाम तभी मिल गया था, जब उसे रोटी के लिए धक्के नहीं खाने पड़े थे। अमीर उसके स्वाभिमान से बहुत प्रभावित हुआ और उसने उसे गोद ले लिया।

सारः सब्र का फल मीठा होता है।

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)