Motivational Story in Hindi: लखनऊ के इन्दिरा नगर में अपने मम्मी पापा के साथ अभ्युदय भी गर्मियों की छुट्टियों में फिरोजाबाद चौबान मुहल्ला नाना के यहां घूमने आया|
एक दिन की बात है अभ्युदय उछलते कूदते नाना के पास पहुंचा और बड़े गर्व से बोला नाना जी जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तब मैं एक सफल इंजीनियर बनूंगा। क्या आप सफल इंजीनियर होने के कुछ उपाय मुझे बता सकते हैं।
नाना जी अभ्युदय का हाथ पकड़कर उसे हवेली के करीब स्थित पौधशाला ले गए, वहां जाकर नाना जी ने दो छोटे छोटे पौधे खरीदें और हवेली आकर उन्होंने एक पौधा हवेली के बाहर कच्ची मिट्टी में लगा दिया और दूसरा गमले में लगाकर घर के अंदर रख दिया ।
अब नाना जी ने धेवते अभ्युदय से पूछा , बताओं दोनों में से कौन सा पौधा ज्यादा फलेगा फूलेगा ? अभ्युदय बोला , घर के अंदर वाला पौधा क्योंकि वो हर खतरे से सुरक्षित है जबकि बाहर वाले पौधे को धूप, आंधी पानी और जानवरों से भी खतरा है।
नाना जी बोले , चलो देखते हैं आगे क्या होता है?
नाना जी दोनों पौधों पर ज्यादा ध्यान देते रहे।
समय बीतता गया।
तीन ,चार साल बाद जब अभ्युदय फिर से नाना के यहां घूमने आया तब नाना जी से बोला, नाना जी पिछली बार मैंने आपसे इंजीनियर में सफल होने के कुछ उपाय मांगे थे ।
नाना जी अभ्युदय को उस जगह पर ले गए जहां उन्होंने गमले में पौधा लगाया था ।
अब वह पौधा एक पेड़ में बदल चुका था ।
अभ्युदय बोला ,देखा नाना जी मैंने कहा था ना कि ये पौधा ज्यादा सफल होगा।
नाना जी बोले ,अरे पहले बाहर वाले पौधे का हाल तो देख लो ।
नाना जी अभ्युदय को बाहर ले आए ।
बाहर एक विशाल पेड़ गर्व से खड़ा था। उसकी शाखाएं दूर तक फैली थी और उसकी छांव में खड़े राहगीर आराम से बातें कर रहे थे।
यह नजारा देख नाना जी अभ्युदय से पूछा , बताओं कौन सा पौधा ज्यादा सफल हुआ ?
अभ्युदय हैरानी से बोला, लेकिन ये कैसे संभव है? बाहर तो उसे ना जाने कितने खतरों का सामना करना पड़ा होगा ।
नाना जी बोले, हां बाहर वाले पौधे को बहुत सी चीजों का सामना करना पड़ा, लेकिन समस्याओं का सामना करने के अपने फायदे भी तो है, बाहर वाले पौधे के पास आजादी थी कि वह अपनी जड़ें जितनी चाहे उतनी फैला लें,अपनी शाखाओं से आसमान को छू ले और तुम जिस आंधी तूफान को इसके लिए मुसीबत समझते थे,उसी से इस पेड़ की जड़ों को इतना मजबूत बना दिया कि आज की छोटे आंधी तूफान भी इस पेड़ का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते।