Hindi Social Story: उसनें बचपन से ही तय करके रखा था कि वह गायिका बनेगी और एक सफल गायिका. पढ़ाई के साथ शास्त्रीय संगीत सीखती. महत्वकांक्षा का आलम ये था कि घर में गायको की फोटो से कमरा भरा था. आलम ये हुआ कि एक संगीत समारोह में उसे गाने का अवसर मिला. पूरे शहर में उसके नाम के चर्चे होने लगे. अब उसके मन में महब्टवाकांक्षा ने जोर मारा और उसनें घर में कहा कि वह मुंबई जाना चाहती है फिल्मों में गाने के लिए. घर के लोग परेशान तो हुए लेकिन बेटी का मन भी नहीं तोडना चाहते थे. एक परिचित के माध्यम से मुंबई में पेइंग गेस्ट बनकर रहने लगी और संगीतकारों के यहां चक्कर लगाने के संघर्ष शुरू हुए. किसी ने शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए कहा. किसी ने रुपयों की डिमांड की. किसी ने आश्वासन दिए. किसी ने बाहर से ही मना कर दिया. उसे लगा कि वह हार गई. आत्महत्या की मन में बात, विचार आने लगे. जब महत्वकांक्षाओं की पूर्ति न हो तो व्यक्ति को कुछ और नहीं सुझाई देता. एक बार उसनें ेऐसा किया भी. परिवार के लोग दौड़े चले आए. वह बच गई. पिता ने एक थप्पड़ मारते हुए कहा, जब हिम्मत नहीं थी संघर्ष की. हार को सहने की तो इतने बड़े ख्वाब पालने की क्या जरुरत थी. जीवन से भागने वाले चले हैं महत्त्वकांक्षाओं की पूर्ति के लिए. फिर माँ ने समझाया, इतना ऊपर जा कि लोग तुम्हें गाने के लिए खुद बुलाएँ. किसी संगीत ग्रुप के साथ मिलकर अपने लिए खुद धुन बनाओ और मंचों पर गाओ. उसे माँ का प्रस्ताव अच्छा लगा. एक दो बार की असफलता के बाद वह उस ऊंचाई पर पहुँच गई. उसके वीडियो, कैसेट, बाजार में बिकने लगे. उसे सुनने के लिए मंचों पर टिकिट लेकर लोग आने लगे. और फिर सिनेमा से भी कई प्रस्ताव आए. जिसे उसनें अपनी शर्तो पर गाया. आज वह सफल गायिका थी. उसकी महत्त्वकाकांझा पूरी हो चुकी थी वह समझ चुकी थी कि इतना आसान नहीं होता किसी सपने को पूरा करने. बाद में उसनें दूसरों में गायन के प्रति रुझान देखकर और कइयों को आत्महत्या करते देखकर संगीत अकादमी खोलने का निश्चय लिया. बेशक़ आज उसके पास पहले जैसे शौहरत नहीं थी. लेकिन दूसरों को संगीत की शिक्षा देकर वह तृप्त थी. उसकी महत्वकांक्षा का यह सकारात्मक पहलू था. अब उसे इसी में आत्मतृप्ती मिलती थी.
महत्वकांक्षा-गृहलक्ष्मी की कहानियां
