Hindi Love Story: शांत शाम; समुद्र प्राची और जलतरंग निहारते, महसूसते वक़्त गुज़ारना; हमेशा ही कशिश पैदा करती है। लहरों और हवाओं के बीच अलसाए से बैठे, बीतते लम्हों को जी लेने का अहसास कम से कम उन्हें तो रहता ही है जिन्हें सागर घरेलू भाषा में नसीब नहीं होता। उसके बालों को हम दोनों के चेहरों पर अठखेलियाँ करते आधा घंटा हो चुका था और हम तट की चट्टानों पर बैठे, गोआवा जूस में मिलाकर लाए वोडका का मज़ा ले रहे थे; जो समुद्री हवाओं के साथ हमेशा ही उम्दा कॉकटेल का किरदार अदा करता है। ख़्वाब-ओ-ख़्यालों में कभी भी मुझे छेड़ जाने वाली हसीन आँखों में झाँकते हुए मैं भावुक हुआ-“तुम्हारे बग़ैर जीवन कैसे जी सकूंगा?”
उसने मुस्कुरा कर चेहरे पर गंभीरता लाते हुए कहा-“अरे पगले! मेरे बिना जीना ही क्यों है? मैं तो तुम्हारे बग़ैर ज़िंदगी का सपना तक नहीं देख पाती।”
“हमेशा के साथ की बात पर मुकर भी तो जाती हो।” उसके बालों को मौक़ा पाकर उँगलियों में लपेटने, उलझाने-सुलझाने का खेल मुझे हमेशा भाता रहा है।
“तुम मेरे रोम-रोम में बसे हो। मैं जीवन भर तुम्हारी ही ख़ुशबू से महकूँगी। ख़ुद को छूने के मन में तुम्हारी छुवन ही पाती हूँ। कभी-कभी तो यह सोचती हूँ, नहाते समय साबुन मलती हूँ या तुम्हारी ख़ुशबू और छुवन।” काश! इस निर्मलता का मुझे हिस्सेदार ना बनाने पर, ईश्वर से लड़ सकता।
“तुम इतनी प्यारी बातें कैसे कर लेती हो?” मैंने उसकी गरदन अपनी ओर खींचकर उसके होठों को चूम लिया।
“बातें नहीं डियर, मैं हूँ इतनी प्यारी।” वह खिलखिला उठी और मैं नवाज़ देवबन्दी को गुनगुना उठा-
“उसकी बातें तो फूल हों जैसे,
बाकी बातें बबूल हों जैसे…
कितनी दिलकश है उसकी ख़ामोशी,
सारी बातें फ़िज़ूल हों जैसे।”
डूबते सूरज के सामने बादल, तनी हुई मूछों की कारीगरी में मसरूफ़ थे; मेरी निगाहों ने इश्क़ से भीगी पतंगों की बयार देखी जो इत्र उड़ाती फिरती हैं। अब लहरें उसके पैरों का इस्तक़बाल करने लगी थीं और मुझे लगने लगा कि लहरों का वहीं तक रह जाना ठीक है।
ये कहानी ‘हंड्रेड डेट्स ‘ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Hundred dates (हंड्रेड डेट्स)
