Hundred Dates
Hundred Dates

Hindi Love Story: “क्या हुआ? तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी?” उसने मेरे चेहरे की ओर देखा।

“हाँ, ठीक है तबीयत तो।” मूड स्वींग पर जनाना एकाधिकार को बहुत बार ललकारने का मन हो उठता है।

“तो काहे को इतने उदास लग रहे हो?” उसके शब्दों में ऊर्जा रची-बसी थी।

“यूँ ही यार। कभी-कभी लगता है जैसे थक गया हूँ सपनों का पीछा करते-करते और ज़िंदगी, जीने की तैयारी में ही बीत जाने वाली है।”

“छोड़ दो सपनों का पीछा, मेरा पीछा किया करो।” उसने मसख़री करते हुए मेरा मिजाज़ ठीक करने की कोशिश की।

“तुम्हारा पीछा तो जब करना था तब भी नहीं किया, अब ज़रूरत ही क्या है?” फीकी मुस्कुराहट के लिए थोड़ा रुका और आगे कहा- “सपने ही छोड़ दें तो ज़िंदा रहने के लिए बचेगा भी क्या?”

“बगैर सपनों की, सच्ची ज़िंदगी।”

“वह ज़िंदगी ज़िंदा भी कहाँ होती है जो सपनों को दफ़ना कर जी जाती है?” कभी इस दहशत से भर उठता हूँ कि क्या मैं इस दुनिया में मय्यत के क़ाफ़िले की भीड़ भर बनने आया हूँ?

“क्यूँ; जीने के लिए मेरे साथ के सपने बहुत नहीं हैं? एक ख़ूबसूरत ज़िंदगी जीएंगे हम।” उसने अपना सर मेरे कंधों पर झुका दिया।

“यूँ तो वह ज़िंदगी हसीन लगती है, पर मुझे पता है हमेशा वह इकलौती ज़िंदगी मुझे ज़िंदा नहीं रख पाएगी।” मैंने उसकी आँखों में देखा, जो अब चाँद की ओर देख रही थीं। आँखों में तैरते चाँद और उसके बालों की ख़ुशबू ने दुनिया की बदसूरती को चाँदनी से धो दिया।