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भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

शिवि आज सी.जे.के. से मिलने जा रहा है- एक ऐसा आदमी जिसके पास एक धारदार ब्रेकअप टूल है। अगर यह औजार उसे मिल जाये तो वह वृंदा से कभी भी ब्रेकअप कर सकता है। नहीं, अभी उसने वृंदा को आई लव यू नहीं कहा है लेकिन यही तो इस जनरेशन की खासियत है- ये पीढ़ी प्यार करने से पहले ब्रेकअप के बारे में श्योर हो जाना चाहती है।

वह गूगल के निर्देश फॉलो करता रहा और अंत में जहाँ पहुँचा वहाँ रास्ता बंद निकला-न कोई दीवार जिसके उस पार कुछ और हो, ना ही कोई गली जो आगे मुड़ती हो। वह हैरान रह गया। खुद माँ ने उसे यह लोकेशन पिन किया था। अब माँ पर शक करने का रिवाज नहीं है और गूगल कभी गलत नहीं हो सकता तो ऐसा कैसे हो गया कि वह कहीं पहुँचा ही नहीं?

कोई और रास्ता ना देखकर शिवि उसे पुकारने लगा। दो-तीन बार उसका चिल्लाया हुआ सी.जे.के. दूर खड़ी ऊँची-ऊँची बिलडिंग्स तक जाकर खो गया। लेकिन जब बहुत निराश होकर उसने उसे पुकारा तो वह वापस लौटा “मैं यहाँ हूँ”

शिवि चौंका- यह आवाज उसके पैरों के नीचे से आ रही थी। उसने नीचे देखा। एक सीवरलाईन वहाँ से होकर गुजर रही थी- क्या कोई आदमी इसके अंदर छूट गया है? लापरवाही की भी हद होती है!

उसने ढक्कन उठाया। नीचे सचमुच में एक आदमी था। उसका एक चेहरा, जिससे माथे से रोशनी निकल रही थी और जो अंधेरे के धड़ पर खड़ा था।

“अंदर आ जाओ” उसने शिवि से कहा। कहाँ तो शिवि उसे बाहर निकालने की सोच रहा था- “सी.जे.के.?” उसने पूछा।

यह वही था। अब? शिवि असमंजस में पड़ गया। क्या एक ब्रेकअप टूल के लिए वह गटर में जा सकता है? और उसने पाया कि वह जा रहा है। सी.जे.के. ने उससे सारे कपड़े उतरवा लिए और पास ही गड़ी छूटी पर टंगवा दिए। वह केवल अंडरवीयर में रह गया। सी.जे.के. ने उसे एक टोपी दी। अपने जैसी टोपी, जिसमें आगे बत्ती जल रही थी और अपने पीछे आने का इशारा किया।

शिवि उसके पीछे चल पड़ा। यह गटर में उसकी पहली यात्रा थी। यहाँ घुटने तक पानी में शहर का छोड़ा हुआ सब कुछ बह रहा है। आदमी सबकुछ को कैसे बदबू बनाकर छोड़ देता है। शिवि को लगा कि उसे बोलना चाहिए। बोलने से शायद संडास कम हो।

“आपका एड्रेस मुझे माँ ने दिया” शिवि ने कहा।

सी.जे.के. ने अपना मुँह खोला और एक पान चबाने लगा। अब नीचे नाले की छप-छप थी और ऊपर पान की चप-चप। निश्चय ही नाले में रहते आदमी को बतियाने की आदत नहीं थी और शिवि को समझने की-

“आप माँ को कैसे जानते हैं?”

अबकि सी.जे.के. ने उसे घूरकर देखा। उसके माथे की रोशनी शिवि के चेहरे पर पड़ी। उसने घूरने को नरम बनाया- “आगे सम्भलकर चलना, फिसलन है”

शिवि कल्पना नहीं कर सका कि आगे एक लिविंग रूम हो सकता है। गटर का लिविंग रूम- यहाँ कोई भी ऐसी चीज नहीं थी जो बहते हुए पानी को रोके। सोफे की जगह कुर्सियाँ और बेड के बदले चौकी। बिलकुलठंडा और उजाड़-सा। जैसे यह आदमी अपना वर्तमान, इतिहास के किसी युद्ध में हार गया हो। शिवि को यह जगह बोरिंग लगी, फिर भी उसने जल्दबाजी न करने की सोची। वह एक कुर्सी पर बैठ गया। अगर पानी में से दुर्गन्ध छान दें तो यह बैठना किसी नदी में पैर झुलाकर बैठने जैसा हो सकता था।

“पियोगे?” सी.जे.के. ने पूछा। पूछा नहीं बस कहा, क्योंकि इससे पहले कि शिवि कोई उत्तर देता, वह पैग बनाने लगा था। सीवर की दीवारों का इससे अच्छा इस्तेमाल शिवि ने नहीं देखा था। हालाँकि वह सीवर भी पहली बार ही देख रहा था। दीवार पर पता नहीं कैसे लकड़ी का एक रैक टंगा था जिस पर गिलास और कुछ दारू की बोतलें थीं और एल्युमिनियम की एक भद्दी-सी थाली, जिसके होने का कोई तुक नहीं था।

सी.जे.के. ने सामने की खाली कुर्सी पर शिवि का जाम रख दिया। शिवि के गले में अटका हुआ उत्तर अब निकला- “मैं दिन में नहीं पीता”

सी.जे.के. जिस तरह से बोतल और गिलास लेकर चौकी पर बैठा और जैसे गिलास उठाने से पहले उसने शिवि के ठीक पैरों के पास पिच्च से पान थूका और जैसे एक ही चूंट में पूरा पैग खाली कर गया, बिना चीयर्स बोले, इसे बेहुदगी कहा जा सकता है, लेकिन इतना जवान होते हुए भी शिवि ने इसे जैसे बरदास्त किया। उससे पता लगता है कि वह कितनी शिद्दत से सी.जे.के. के ब्रेकअप टूल को हासिल करना चाह रहा था।

“पी लो” सी.जे.के. ने दूसरा पैग खत्म करते के बाद कहा- “यहाँ दिन की रोशनी नहीं पहुँचती”

इसलिए नहीं कि वह सी.जे.के. से कनविंस हो गया था और ना ही इसलिए कि अब उसका भी मन हो आया था बल्कि बस इसलिए कि उसे सी.जे.के. से थोड़ी दोस्ती करनी जरूरी लगी, शिवि ने गिलास उठा लिया और अब बोलूँगा, अब बोलूँगा करते हुए वह तीन पैग पी गया और जब उसके सर की नसें कुछ ढीली पड़ी तो मन में रहते हुए भी उसके जुबान पर ब्रेकअप टूल की बात नहीं आई। वह जो सोच कर आया था उस पर वह जो देख रहा था. वह भारी पड गया- “तम इस गटर में क्यों रहते हो?”

उसके किसी भी प्रश्न की तरह सी.जे.के. ने इस प्रश्न का उत्तर भी नहीं दिया। इसके बजाय उसने पीने में अधिक दिलचस्पी दिखाई। वह जैसे-जैसे पीता जा रहा था, उसकी आँखें लाल होती जा रही थीं और चेहरे पर चेचक के दाग उभरते जा रहे थे। शिवि को अचानक से उससे डर लगा। इस हद तक कि उसे माँ पर शक हो आया- कहीं उन्होंने इस आदमी को मुझे मारने की सुपारी तो नहीं दी है?

“मैं बस यहाँ ब्रेकअप टूल जानने आया था” वह चिल्ला उठा और अपने हाथ खड़े कर दिए। जैसे अगर उसने ऐसा नहीं किया तो सी.जे.के. उसे गोली मार देगा।

सी.जे.के. ने गिलास खाली करके चौकी पर रखा और उसे इस मजबूती से पकड़ा कि बस उसी के सहारे सीधा रहके शिवि को देख सके और जब सीधा रहने की कोशिश में वह आधा से अधिक झुक गया तो मुस्कुराया “वह तो तुम्हारी माँ ने तुम्हें बता ही दिया है-सी.जे.के.”

“यह तो बस तुम्हारा नाम है”

“नहीं! बस यही है जो बार-बार मुझ तक लौटता है”

शिवि को जितनी चढ़ी थी, सब उतर गई। उसने पहले क्यों नहीं पूछा “सी.जे.के. इसका मतलब क्या है?”

उसे उम्मीद नहीं थी कि सी.जे.के. इसका उत्तर देगा। जैसा कि उसने उसके कुछ भी पूछने के साथ किया था, उसे लगा था कि वह इसे भी टाल देगा। लेकिन सी.जे.के. ने उसकी आँखों में आँखें धंसाई और गिलास को पकड़े बिना ही सीधा रहकर बोला- “छोटी जात का”

शिवि को यह बात समझ नहीं आई। उसने आँखें फाड़ने की हद तक बड़ी कर ली। सी.जे.के. अब इतना पी चुका था कि इस नए लड़के पर अपना पुराना फ्ररस्टेशन निकाल सके- “दुनिया का… नहीं हिंदुस्तान का सबसे कारगर ब्रेकअप टूल है ये… जो लड़की मुझे एड्स है बोलने पर भी तुम्हें न छोड़ रही हो, उससे बस इतना बोल दो कि मैं सी.जे.के. हूँ” सी. जे.के. ने अपनी छाती ठोंकी- “मेरी गारंटी है झगड़ाफ्री… गिल्टफ्री ब्रेकअप की”

“क्या बकवास कर रहे हो?” शिवि ने गिलास उठाके नाले में फेंक दिया और अपने काँपते पैरों पर खड़ा हो गया- “ये मॉडर्न टाइम है who cares about your जाति?”

सी.जे.के. हँसा और शिवि की जरा भी परवाह किए बिना नशे से अपना गिलास भरने लगा।

“तुम चूतिया आदमी हो” शिवि ने अब तक का दबाया अपना पूरा गुस्सा उड़ेल दिया- “अच्छा किया जो माँ ने तुम्हें छोड़ दिया” और मुझे इस गटर में उतरना ही नहीं चाहिए था, ऐसा सोचे बिना भी, इसी भाव से झूमते हुए वह लौट पड़ा।

सी.जे.के. का सिर उसकी गरदन पर भारी पड़ रहा था। पर वह उठा और उसने लपककर शिवि का हाथ पकड़ा और उसे खींचकर अपने पास बिठा लिया- “तू बैठ भाई… तू बैठ”

“हाथ छोड़ मेरा” शिवि गरजा।

सी.जे.के. ने उसका हाथ छोड़ दिया और अपने दोनों हाथ हैंड्सअप की मुद्रा में उठा लिए। इससे शिवि का गुस्सा कुछ कम हुआ। सी.जे.के. ने उसकी ओर बोतल बढ़ायी। शिवि ने भाव खाया। सी.जे.के. ने उसे बोतल थमाई। शिवि ने अपनी पकड़ ढीली कर ली। सी.जे.के. ने रिक्वेस्ट की- “तू पी न भाई”

शिवि चुपचाप बैठा रहा। सी.जे.के. ने उसे दो-तीन बार पुचकारा। तो ही शिवि ने बोतल मुँह से लगाई। कुछ देर तक सी.जे.के. उसे देखता रहा। उस पहली बार की तरह, जब उसने उसे गुस्से से देखा था और उसके माथे की रोशनी शिवि के चेहरे पर पड़ी थी-

“तुम्हारी माँ प्रेगनेंट थी जब उसने मुझसे ब्रेकअप किया था…और तुम… तुम अभी कितने साल के हो?”

“21” शिवि ने कहा।

“आज से 20-21 साल पहले भी वह इतनी मॉडर्न थी कि उसने सिंगल मदर होना मंजूर किया लेकिन एक सी.जे.के. से शादी नहीं की” सी.जे.के. की आँखों में जो छलक आया था वह पता नहीं शराब था या वह कसक जिसे भुलाने के लिए वह पी रहा था। यह महसूस करते हुए कि उसे सहारे की जरूरत है, शिवि ने उसे बोतल लौटा दी। कुछ यूंट भरकर जब सी.जे. के. कुछ स्थिर हुआ उसने पाया कि शिवि उसका मुँह ताक रहा है। जैसे वह उससे गहरा प्रभावित हुआ हो। वह अपने प्रभाव को अमर कर देने की इच्छा से भर उठा- “पीढ़ियाँ बदल जाती हैं, तकनीकें नई हो जाती हैं, पर कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं”

यह बोलने के बाद सी.जे.के. को लगा कि कहीं शिवि यह न समझ बैठे कि वह शराब के बारे में बोल रहा है। उसने बोतल खुद से दूर हटा दी। पर शिवि किसी और आसमान में था। सी.जे.के. के तर्क से नहीं बल्कि उसके विश्वास से वह कनविंस लग रहा था- “पक्का न… झगडाफ्री-गिल्टफ्री ब्रेकअप?”

“देख बेटा! आदमी कितनी भी चालाकी कर ले थोड़ा गिल्ट तो रह ही जाता है- पर ब्रेकअप पक्का” सी.जे.के. ने उसे उत्साहित किया- “तू आई लव यू तो बोल”

शिवि ने मुंडी हिलाई और मोबाइल के लिए अपनी जेब टटोलने लगा। उसकी तो पैंट ही गायब थी। सी.जे.के. ने उसे याद दिलाया कि पैंट दरवाजे पर टॅगी है। दोनों उठे और एक-दूसरे से गलबहियाँ किए, प्यार का गीत गाते गटर के दरवाजे तक पहुँचे। शिवि ने जेब से मोबाइल निकाला। नीचे नेटवर्क नहीं आ रहा था। वह अपने कपड़े पहनने लगा ताकि ऊपर जा सके। सी.जे.के. ने उसे रोका- “पहले आई लव यू”

अंडरवियर में ही दोनों गटर से बाहर निकले और नीचे पैर झुलाकर गटर के मुँह पर बैठ गए। पहले शिवि ने वृंदा को फोन करने की सोची। लेकिन फिर तय हुआ कि व्हाट्सअप पर ही प्रपोज किया जाय। इससे ये नहीं पता चलेगा कि वे कितने नशे में है। शिवि ने ऐसा ही किया। थोड़ी देर बाद वृंदा का जवाब आया। यह उसकी फेसबुक प्रोफाइल का स्क्रीनशॉट था, जिसमें ‘InA Relationship’ को लाल रंग से घेरा गया था और नीचे लिखा था- “सॉरी भाई”।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’