लोक कथाएं
Myan or Talwar

भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

नौजवान युवक और युवती नदी पार करने लगे थे। नदी गहरी थी इसलिए युवती ने अपना पायजामा उपर समेटा और नदी पार करने लगी। युवक की निगाहें उस की नंगी पिंडलियों और जांघों पर पड़ी तो वह अपनें में न रह पाया। वह भी पीछे से नदी पार करता गया। दूसरे किनारे पहुंचते ही उसनें युवती का हाथ पकड़ लिया। युवक की आंखों में तैर आए लाल डोरे और उसकी तेज-तेज, उपर-नीचे चलती सांस को देखकर युवती नें बहुत प्यार से कहा

“जवान, हाथ में पकड़ी यह तलवार मेरे पास दें।”

कुछ सोचते युवक ने तलवार तो नहीं दी पर म्यान दे दिया। युवती मुस्कराई। उसने बड़े स्नेह से उसका मन घुमाते हुए कहा- “यह तलवार पानी में डाल कर बाहर निकालो।” युवक ने वैसा ही किया।

“कितना पानी तलवार से चुआ?” युवती ने कहा। “कुछ ही बून्दें।” युवक बोला।

युवती ने अब म्यान पानी में डाला। फिर बाहर निकाल कर उल्टा किया तो खूब पानी निकला।

“कितना पानी निकला? बहुत सारा, तलवार से कई गुणा।”

“तुम तलवार हो और मैं म्यान। इसे समझ भैया।” अब गम्भीर स्वर में युवती ने कहा।

युवक सन्न रह गया। उसके भीतर का काम नौ दो ग्यारह हो गया। म्यान और तलवार का अर्थ समझ कर, वह युवती अब उसकी निगाह में पूजन योग्य हो गई थी। युवक ने उसके पांव पकुड़ लिए। वह बहुत शर्मिन्दा तो था पर सदा के लिए चैतन्य हो गया था।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’

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