फेल तरकीब- एक गांव के बुढ़ा और बुढ़ी जितने परिश्रमी थे उनकी बहू उतनी ही निठल्ली थी। हर समय काम में रत बुढा-बुढी को वह अनदेखा कर देती थी। किन्तु खाने-पीने और सोने की वह बहुत शौकीन थी, उसके बुजुर्ग सास-ससुर बहुत परेशान रहते थे। एक दिन दोनों ने चूल्हे के पास बैठकर खूब सोच-बिचार […]
Author Archives: कृष्ण चंद्र महादेविया
बाघ और बिल्ली-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
बाघ और बिल्ली-मैं तुम्हें ही मार के खाऊंगा अब मौसी। तुम्हारा नर्म-नर्म मांस बड़ा ही स्वाद होगा। बाघ के बच्चे ने बिल्ली को खुंखार नजरों से घूरते हुए कहा। वह यह भी भूल गया था कि उसकी मां मरने पर बिल्ली ने ही उसे पाला-पोशा था। बिल्ली का तीसरा नेत्र खुला उसने सामने की ओर […]
चूहा और हाथी-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
चूहा और हाथी-एक नदी के तट पर हाथी स्नान करने आता था। वहीं पर एक चूहा भी नहाने आता था। उन दोनों की आपस में अच्छी जान पहचान हो गई थी। एक दिन अचानक दोनों के बीच बोल-ठोकर हो गई। बहस करते-करते वे आपस में लड़ ही पड़े। एक दूसरे को अपनी-अपनी हेकड़ी दिखाने लगे। […]
गीदड़ और हिरण-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
एक वन में गीदड़ और हिरण रहते थे। गिदड़ बड़ा चालू और स्वार्थी था। हिरण स्वादु और शीघ्र की दूसरों की बातों में आने वाला था। गीदड़ बुढ़ा हो गया था। हिरण को देखकर उसका दिल सदा उसका मांस खाने को ललचाता रहता था। देखिए, रहते तो दोनों साथ पर गीदड़ के विचार बहुत अधिक […]
सुन्दरता-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
युवती खुबसूरत और ससदय थी तो उसका प्रेमी युवक भी कद-काठी में आकर्षित करने वाला था। युवक ने आते ही युवती को बाहों में भर लिया और कई चुमे ले लिए। युवक हर दूसरे-तीसरे दिन उससे मिलने आ जाता था। काम-काज में उसका दिल नहीं लगता था। बस उसे देखता रहता था। सामने भी और […]
मच्छर और शेर-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
मच्छर और शेर-शेर पेड़ के नीचे अक्कड़ से लेटा-लेटा अपनी मूंछ को जीभ से पान चढ़ा रहा था। वह अपने सामने पत्ते पर बैठे मच्छर को छोटू-छोटड़ा-पिद्दू कहकर उसकी खिल्ली उड़ा रहा था। कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली जैसी कई कहावतें उसे सुनाकर उसको कमजोर, फूंक से ही मुर्छित होने वाला, पता नहीं […]
मानष भक्षी-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
पुराने समय की बात है। किसी राज्य में जालिम सेन नाम का राजा राज्य करता था। अपने नाम के अनुरूप ही वह जालिम था। और तो और उसे आदमी का मांस खाने की भी आदत थी। उसके जुल्मों से लोग तंग थे किन्तु राजा के खिलाफ कौन मुंह खोले। एक बार वह राजा अपने सिपाहियों […]
सब्र का फल मीठा-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
दो दोस्त थे। वे एक जरूरी कार्य से रास्ते पर चले थे। उन्हें चलते-चलते जोर की भूख लग गयी। एक दोस्त से मारे भूख के मन नहीं मारा जा रहा था। वह बार-बार भूख लगी भूख लगी कर रहा था। दूसरा सब्र से काम ले रहा था चलते-चलते वे एक गांव के पास पहुंच गए […]
चालाक ब्राह्मण-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
पहले के जमाने की बात है। बहुत से ग्वालु नाले के किनारे पशु चराने गए थे। नाले के पानी में ग्वालुओं ने मिलजुल कर वह हिरण की तरह का प्राणी बाहर निकाला और कांटे-झाड़ियां इकट्ठी कर आग का अलाव जलाया। फिर उसे आग में भून कर उसे खा लिया। उसी वक्त अचानक एक वृद्ध व्यक्ति […]
गंवार और हीरा-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
एक महिला जी अपने को बहुत बड़ी चतुर कहाती थी। ऐसे तो कहावत है कि अपनी अक्ल और दूसरे का धन हमेसा अधिक ही लगते हैं। पर जी वह महिला तो ना घरवालों और न ही बाहर वालों को लेखे लगाती थी। पर असल में वह थी मिट्टी की माधो। एक दिन क्या हुआ कि […]