Social Story in Hindi: रैना के अठारहवें जन्मदिन पर उसके पिता सुहास जो उसके लिए तोहफा लेकर आए थे उसे देखकर वो पापा के गले लग गई …
” थैंक्यू पापा थैंक्यू पापा… आई लव यू सो मच… यू आर दि बेस्ट इन दिस वर्ल्ड”
कहकर डिब्बे को खोल उसमें रखे आईफोन को चूमने लगी।
सुहास भी अपनी बेटी को खुश देखकर बहुत खुश था।
क्या वो सच में अपनी बेटी की नजर में दुनिया का सबसे अच्छा पिता बनकर सही कर रहा था…
रैना अब कॉलेज जाने लगी थी। दूसरी लड़कियों की तरह वो चाहती थी वो भी फेसबुक इंस्टा पर खूब रील्स बनाए और सोशल मीडिया में फेमस होकर खूब नाम और पैसा कमाए। लेकिन उसके लिए अच्छे फोन की जरूरत थी पर अभी कुछ समय पहले ही लैपटॉप खरीदा था ।
अपने पापा को उसने झूठ बोला कि उसे पढ़ाई के लिए अच्छा वाला फोन भी चाहिए इस पुराने फोन का डिस्प्ले खराब हो गया है। उसे आई फोन ही चाहिए जिसकी कीमत एक डेढ़ लाख के आसपास है।
“बिटिया इतना मंहगा मोबाइल लेकर कॉलेज जाना ठीक नहीं है। तुम कहो तो में बीस पच्चीस हजार वाला फोन ला देता हूं।”
” नहीं… आप बस मुझे वही आई फोन लाकर दीजिए जो मैंने आपको बताया है … अगर नहीं दे सकते हैं तो बता दीजिए। आप मेरी इच्छाओं का गला शौक से दबा दीजिए और पैसे जोड़ते रहिए।”
“ऐसी बात नहीं है बिटिया… जो कमाता हूं वो तेरे लिए ही तो कमाता हूं।”
“मुझे कुछ नहीं पता…
अगर फोन नहीं ला दीजिएगा तो मैं कॉलेज जाना छोड़ दूंगी और अपनी पढ़ाई भी छोड़ दूंगी… घर में रहूंगी। आपकी तरह इसी दुकान में बैठकर सामान बेचा करूंगी। आप यही चाहते हैं तो ठीक है।”
सुहास ने बेटी को इंजिनियर बनाना चाहा था। इंजिनियरिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए बैंक से लोन लिया था और फिर कुछ भी महीने पहले नया लैपटॉप लिया था किस्तों पर और अब आईफोन। बच्ची को पढ़ाने का सपना लिए वो दिन रात मेहनत कर रहा था। सुबह पांच बजे ही नहाने के बाद अपनी दुकान खोलकर पूजा करके बैठ जाता जो देर रात तक खोले ही रखता। घर के पास दुकान होने से वो घर और दुकान दोनों संभालता
उसकी बच्ची पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी करने लगे और हमेशा खुश रहे। जो वो नहीं कर सका वो उसकी बेटी कर पाए बस इतना ही तो चाहता था सुहास।
रैना की मां का देहांत उसके जन्म के कुछ घंटे बाद ही हो गया था। बिन मां की बच्ची को सुहास ने पिता होने के साथ साथ मां बनकर पाला दोस्त बनकर उसके साथ खेला और टीचर बनकर पढ़ाया। उसकी हर ख्वाहिश के लिए उसने अपने सपने कुर्बान कर दिए।
परिवार वालों ने दूसरी शादी के लिए दबाव डाला लेकिन सुहास ने साफ इनकार कर दिया था…
वह अपनी बेटी के लिए सौतेली मां नहीं लाएगा। उसमें अपनी बेटी को अकेले पाल पोसकर बड़ा करने की हिम्मत है।
बच्ची को छोड़कर नौकरी करने कैसे जाए और पैसे कमाना तो बहुत जरूरी था वरना बच्ची की परवरिश कैसे करता।इसलिए उसने नौकरी छोड़कर खुद की दुकान खोली अब बच्ची को हमेशा अपने साथ रखता।
एक छोटी सी किराने की दुकान चलाने वाला सुहास इतने मंहगे फोन लेने के बारे में सोच भी नहीं सकता था।
पर वो अपनी बेटी की खुशी के लिए कुछ भी कर सकता था।
उसकी जान बसती थी अपनी बेटी में।
उसने आइफोन किस्तों पर आखिर खरीद ही लिया । बेटी की खुशी से बढ़कर उसके लिए कुछ नहीं था। वह और ज्यादा मेहनत करेगा और लोन के साथ-साथ सभी किस्तें भी समय पर चुकाएगा बस बेटी अच्छा पढ़े और हमेशा खुश रहे।
“सुहास यह तुम ठीक नहीं कर रहे हो। इतना लोन चुकाओगे कैसे?” उसकी बहन कहती तो वो हंसकर कहता…
“दीदी बेटी की खुशियों के लिए खुद को भी बेचना पड़ेगा तो बेच लूंगा।”
“ये तुम्हारा लाड प्यार ही उसे बिगाड़ रहा है और उसके लिए ही खतरा बन जाएगा। आगे कहीं कोई मुश्किल ना खड़ी हो जाए रैना पर … सुहास संभल जाओ अभी से और ध्यान रखो बेटी की गतिविधियों पर। वो क्या करती है किससे मिलती है और उसके दोस्त कौन हैं… सबके बारे में तुम्हें जानकारी होनी चाहिए।”
“दीदी आप बेकार में चिंता करतीं हैं मेरी बेटी ऐसा कुछ नहीं करेगी। मैं उसका बाप हूं कोई जासूस नहीं। “
रैना आई फोन पाकर सब-कुछ भूल गई थी।
सुहास उसको खाने के लिए बुलाता रहा पर वो नहीं आई तो वो उसका खाना लेकर उसके कमरे में ही आ गया।
वो अपनी सेल्फी लेने में और उसे पोस्ट करने में व्यस्त थी।
“बिटिया पहले खाना खा ले। देख ठंडा हो रहा है। कब से आवाज लगा रहा हूं।”
“पापा प्लीज आप ही खिला दो ना।”
वो फेसबुक पर अपनी पोस्ट पर आए कमेंट्स पढ़ने लगी और मुस्कुराती रही।
आई फोन से ली सेल्फी तो कमाल कर रही है अब वो रील्स बनाया करेगी यही सोचते हुए वो पिता के हाथ से खाना खा रही थी।
सुहास मां की ममता उड़ेलता बिटिया को अपने हाथों से खाना खिला रहा था और बेटी के चेहरे पर आती मुस्कान देखकर प्रसन्न था।
ऐसा कुछ दिन लगातार चलता रहा फिर रैना अपने पापा को अपने कमरे में भी आने से रोकती क्योंकि अब वो छोटे कपड़े पहन अश्लील वीडियो भी बनाने लगी थी।
कभी सिगरेट का धुआं उड़ाते तो कभी कपड़े बदलते… और वो अपने फोलोअर्स को फ्लाइंग किस देना ना भूलती।
रैना पर रील्स बनाने और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का ऐसा भूत सवार हो गया था कि उसे अपने पापा के पास बैठ कर खाने और उनसे दो पल बात करने का भी होश नहीं रहता था।
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उसके फॉलोअर्स की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही थी।
उसने अपने हाथ और पीठ पर दिल के आकार का टैटू की गुदवा लिया था और उसके कपड़ों का साइज धीरे-धीरे घटता ही जा रहा था। वो जितने छोटे कपड़े पहनती और जितना अंग प्रदर्शन करती थी उतनी ही ज्यादा उस की पोस्ट पर लाइक और कमेंट मिलते जिसे देख वो खुशी से झूम उठती।
कई कमेन्ट बहुत ही गंदे होते पर वो उन पर ध्यान नहीं देती। फेमस होने के लिए इन सब बातों के लिए तैयार रहना ही पड़ता है उसकी यही सोच हो गई थी। सीता माता को भी जब अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा तो वो भी ऐसे कमेंट्स से गुजरेगी।
उसका एक फोलोअर उससे हमेशा फोन पर बातें किया करता। उसकी तारीफ किया करता। विडियो चैट से शुरू हुआ प्यार एक दिन ओयो होटल तक ले गया रैना को जहां उसने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी।
अपने पापा को सारी बातें बताने वाली रैना अब उनसे बातें छुपाने लगी थी। जब सुहास पूछते पढ़ाई कैसी चल रही है तो बिना कुछ जवाब दिए वो अपने कमरे में आकर अंदर से दरवाजा बंद कर लेती।
सुहास बिटिया में आते इस बदलाव को नोटिस कर रहा था पर उसे लगता था शायद पढ़ाई की टेंशन होगी। वो बेटी पर कोई रोक टोक नहीं लगाना चाहता था। यही तो उम्र है कैरियर बनाने और मौज मस्ती की भी। इसलिए वो जब पैसे मांगती तो उसके हाथ में दे देता।
रैना के सिवाय उसका अपना था ही कौन। बहन ससुराल से कभी आती भी तो हमेशा रैना के खिलाफ उसके मन में ज़हर भरकर ही जाती या ऐसा कुछ बोल जाती जिससे उसे अपनी बहन का आना भी रास ना आता।
पर वह जो भी कहती थी उसकी भलाई के लिए ही कहती थी ये बात उसे उस समय समझ नहीं आ रही थी।
हर बहन अपने भाई का भला ही चाहती है और वो उस समय बेटी के प्यार में अंधा हो चुका था उसे अपनी बहन गलत लगती और बेटी सही।
वो हर महीने लोन लैपटॉप और फोन की किस्तें नियमित चुकाता रहा।
रैना ने कॉलेज जाना भी बंद कर दिया था वो अपने उस प्रेमी के साथ अपना ज्यादातर समय बिताती। पढ़ाई के नाम पर हॉस्टल में रहने की जगह अपने उस फोलोअर आरिफ के साथ वो लिव इन में रहने लगी।
उसने उस पर शादी करने का दबाव बनाना जब शुरू किया तो आरिफ बौखला उठा था।
“तुझ जैसी हजारों लड़कियों से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर दोस्ती करता हूं। हर किसी से शादी करता फिरूंगा क्या? इतना भी पागल नहीं हूं। “
सुहास को उसके दुकान पर आने वाले ग्राहक जब रैना के बारे में और उसकी रील्स के बारे में बताते तो उसे विश्वास नहीं होता।
“तेरी छूट का ही नतीजा है जो तेरी बेटी ये गुल खिला रही है।” ओयो होटल के एक रूम में एक मुस्लिम लड़के के साथ वाली रील दिखाते हुए सुहास की बहन बोली थी..
“और कितनी छूट देगा अपनी बेटी को।”
सुहास को अपनी बहन की बात माननी पड़ी कि वो कहां है एक बार पता तो कर।
और जब वो रैना से मिलने उसके हॉस्टल पहुंचा तो पता चला वो तो छह महीने से कॉलेज आई ही नहीं और ना ही हॉस्टल में रहती है। उसकी कुछ सहेलियों से उसके रिलेशनशिप के बारे में पता चला तो उसने अपना माथा पकड़ लिया। उसने पुलिस की मदद से अपनी बेटी की तालाश शुरू की। उसका कहीं पता नहीं चल रहा था। कुछ दिनों से उसने रील्स भी पोस्ट नहीं किए थे।
इसी बीच पुलिस को नदी किनारे सूटकेस में एक लाश मिली। जिसकी शिनाख्त के लिए सुहास को बुलाया। उसका दिल दहल उठा अपनी बेटी को इस तरह सूटकेस में बंद देख।
उसके हाथ के टैटू में लिखे उसके नाम से उसकी पहचान हुई। चेहरा बुरी तरह ज़ख़्मी था। पर बाप बेटी को कैसे ना पहचानता।
सुहास अपनी बेटी की मौत का जिम्मेदार वो खुद को ही मान रहा था।
“इंस्पेक्टर गिरफ्तार कर लो मुझे मैं ही अपनी बेटी का हत्यारा हूं। अगर मैंने बेटी पर नजर रखी होती और इतनी छूट ना दी होती तो आज वो इस हालत में सुटकेस में ना होती।”
सुहास बिलख बिलख कर अपनी गिरफ्तारी के लिए रो रहा था।
अभी तो उसे हर महीने सारी किस्तें चुकानी थी। बेटी नहीं रही पर लैपटॉप और आईफोन की किस्तें बाकी थी।
