कैसी मां है तू?-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Kaisi Maa Hai Tu

Mother Story: हवा के तेज झोंके से बहुत ठिठुरन सी महसूस हुई और सारिका नींद में चौंक उठी,अलसाई आंखों से  घड़ी को देखा तो अभी तीन ही बजे थे, उनकी ट्रेन उदयपुर सुबह साढ़े सात बजे पहुंचनी थी।वो फिर से सोने की कोशिश करने लगी।

गाड़ी की तेज गड़गड़ाहट के साथ प्रिया की चंचल, तेज आवाज़ उसके कानों में गूंजने लगी,कितनी पक्की दोस्ती थी उन दोनो की,प्रिया नटखट,शरारती और मुखर और वो शांत,शर्मीली और अंतर्मुखी।जब प्रिया की शादी हुई वो कितना रोई थी,भले ही उसकी शादी खुद हो चुकी थी राहुल के साथ और उसको एक प्यारा सा बेटा भी था पर पड़ोस में रहती प्रिया जब दुल्हन बन उदयपुर राजसी खानदान की बहू बनकर जाने लगी तो सारिका खुद को आंसू बहाने से रोक नहीं पाई थी।

वो अलग बात थी कि प्रिया का पति शुभम भी उसे बड़ी बहन जैसे ही मानता था।उनके पारिवारिक रिश्ते बहुत अच्छे थे।जब शुभम और प्रिया को बेटी हुई जिसे वो बड़े प्यार से परी कहकर बुलाते थे,शुभम ने इसके बचपन में ही घोषणा कर दी थी कि अपनी परी की शादी मै सारिका के बेटे आयुष से ही करूंगा।

आज इतने वर्ष बाद,सारिका,प्रिया के बुलाने पर आयुष के साथ प्रिया के किसी घरेलू फंक्शन में जा रही थी।कितने समय बाद कोई शुभ काम होने वाला था प्रिया के घर,जब से उसके पति शुभम की एक दुर्घटना में  अकाल मृत्यु हुई थी,उन दोनो सहेलियों का रिश्ता भी जैसे टूट ही गया था।

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सारिका ने बहुत कोशिश की उसे बरकरार रखने का लेकिन प्रिया की चुप्पी और अनदेखी से वो विचलित हो गई और उसे लगने लगा था कि अब दोनो बच्चों परी और आयुष के गठबंधन की बात भी बेमानी हो चली है क्योंकि प्रिया हमेशा बहुत रूखा व्यवहार करती उससे।

अब,अचानक से प्रिया का फोन आने पर,पुरानी यादें ताजा हो उठीं थी और वो झट  उसके फैमिली फंक्शन में जाने को तैयार गई थी।

ठीक आठ बजे,वो प्राइवेट टैक्सी से प्रिया की हवेली” शुभ आशीर्वाद”के सामने खड़े थे।उसको देखकर दोनो की आंखें चौंधिया गई।वो तो एक महल जैसे हवेली थी,बड़ा सा शानदार गेट,दरवान,चमचमाती गाडियां और अनेकों ठाठ बाट।

सारिका और आयुष मन ही मन सकुचा गए।जो एक हल्की सी उम्मीद थी आयुष के मन में परी को लेकर,वो ये राजसी वैभव देखकर डगमगा गई।कहां ये लोग और कहां हम…एकदम मध्यमवर्गीय।

रही सही कसर, परी को देखकर हो गई थी उन्हें…सारिका ने आश्चर्य से अपनी दोनो बाहें फैला दी थीं उसे देखकर…ये तो एकदम चांद का टुकड़ा बन गई है प्रिया!कितनी खूबसूरत हो गई है ये?

जायेगी किस पर,मुझ पर ही न,प्रिया गर्व से मुस्करा के बोली और सब हंस दिए। परी का चेहरा गुलाबी लाल पड़ गया था,वो चोर निगाहों से आयुष को देख रही थी।कितना स्मार्ट हो गया था वो।

प्रिया ने नोटिस कर लिया था शायद,झट अपने नौकरों को आवाज़ लगाते बोली,मेहमानों का सामान उनके कमरे में रखवा दो और उन्हें कमरा दिखाओ।

सारिका और आयुष से उसकी आवाज की बेरुखी छुपी न रह सकी थी,उन्हें लगा,प्रिया बहुत बदल गई है अब।उसने उन्हें बुलाया जरूर था पर पहले जैसे न बात करने की उत्कंठा और न वो प्यार।शायद अपना वैभव ही दिखाना चाहती थी या ज़माने को दिखाने को फर्ज निभाया था दोस्ती का।

चाय उनके कमरे में भिजवा दी गई थी,प्रिया ने खूबसूरत झूठ बोल दिया था,कल के फंक्शन को लेकर बहुत बिजी हूं,लंच साथ में  करते हैं।

आयुष को बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था,घुटन सी थी मन में ये सोचकर कि परी से अब उसकी शादी नहीं होगी।बचपन से मां पापा ने उसके दिमाग में ये बात बैठाई थी और उसे खुद भी परी पसंद थी।

तभी परी उनके कमरे में आई।सारिका ने प्यार से पूछा था उससे और वो टूट गई थी,वो खुद बहुत परेशान थी अपनी मां के दिखावे और अहंकार से।उसने आंसू भरी आंखों से सारिका को देखते हुए कहा,आंटी! मै भी आप लोगों के घर की बहू ही बनना चाहती हूं जैसा की पापा की भी इच्छा थी पर मॉम के आगे मेरी एक नहीं चलती।

अब तुमने बता दिया न,अब तुम देखना,कैसे हम तुम्हारी मॉम को तैयार करते हैं इस बात के लिए,आयुष मुस्कराते हुए बोला।

तुम क्या कर लोगे,कल ही मॉम के दोस्त यूएस से आ रहे हैं,उनके बेटे विक्टर के साथ मेरी इंगेजमेंट कराई जा रही है जबरदस्ती।

तुम कोई गाय भैंस हो,किसी के साथ भी बांध देंगे तुम्हें,विरोध क्यों नहीं करती इस बात का?आयुष आवेश में आता बोला।

शांत बेटा!अभी कह रहा था न तू,कुछ करेंगे,देखते हैं,वो लड़का कैसा है?

कैसा है क्या?अगर ठीक हुआ तो क्या मै अपने प्यार की कुर्बानी दे दूंगा?आयुष निराश था और झुंझलाया हुआ भी।

ये मम्मी के कैसे दोस्त हैं?कभी सुना नहीं इनके बारे में?सारिका ने परी से पूछा।

बिजनेस पार्टनर समझ लीजिए,काफी इन्वेस्ट किया है उन्होंने हमारे नए प्रोजेक्ट में।वो बोली।

ओह!आए सी…अब क्या करें?सारिका सोचते हुए बोली।

कल जब वो एयरपोर्ट से आ रहे हों तो u ki टैक्सी का एक्सीडेंट करवा दूं?आयुष गुस्से से बोला।

तू क्रिमिनल है?एक गलत काम को रोकने के लिए दूसरे गलत काम में लगेगा?ये ही संस्कार हैं मेरे? सारिका गुस्से से बोली।

तो क्या करूं?ये सगाई कैसे रोकूं?आयुष हताश होते बोला।

सगाई ही हो रही कोई शादी थोड़े ना! परी बोली,तब तक कुछ सोच लेंगे।

भगवान ही कोई रास्ता निकलेंगे अब तो,सारिका गहरी सांस लेते बोली।

लेकिन इससे पहले,आप भी आंटी का दिल टटोलना,उनका सोया जमीर जगाने की कोशिश करना मां।

लगता नहीं,वो मानेगी लेकिन कोशिश तो की जा सकती है। सारिका ने कहा।

लंच पर प्रिया,सारिका के पास थी और उसे मंहगी ज्वैलरी दिखा रही थी जो उसने परी के लिए बनवाई थी।फिर कुछ गिफ्ट्स दिखाने लगी जो विक्टर ने उसके लिए भिजवाए थे।

मेरी बेटी के तो भाग ही खुल गए सारिका,विक्टर इतना अमीर है और दिलवाला है,अभी तो शादी हुई भी नहीं और तीन  डायमंड सेट भेज चुका है परी के लिए।

तुम अपने जिगर के टुकड़े को विदेश भेज दोगी?सरिका ने पूछा था उससे।

व्हाट रबिश!आजकल दूरी कोई  मायने नहीं रखती,घंटो में फ्लाइट से यहां के वहां पहुंचते हैं डियर…बस पैसा होना चाहिए जेब में।

लेकिन भाईसाब क्या चाहते थे,वो भी भुला दिया तुमने?आखिर दिल की बात जुबान पर ले ही आई सारिका।

तुमने देख लिया न हमारा लिविंग स्टाइल और स्टैंडर्ड..तुम लोग जान भी लगा दोगे तो उसकी छोटी सी भी जरूरत पूरी नहीं कर पाओगे।

कितना बदल गई हो तुम प्रिया! कैसी मां हो तुम?अपनी बेटी की इच्छा भी नहीं देखती?

वो तो नादान है,पर मैंने दुनिया देखी है सारिका!बातों से पेट नहीं भरता। प्रिया अहंकार से बोली।

वो इतने पैसे वाले हैं, क्या भरोसा वो तुम्हारी लड़की को इतनी दूर ले जाकर खुश भी रखेंगे या नहीं?अरे मां तो वो होती है जो अपनी संतान के काल्पनिक दर्द की आशंका से कांप जाए।

एक्जेक्टली…तभी शायद मैं,मेरी परी की शादी तुम्हारे फटेहाल बेटे आयुष ने नहीं कर रही हूं।प्रिया तमक के बोली।

इतना घमंड अच्छा नहीं प्रिया!तुम एक स्त्री के रूप में भले ही गलत न हो पर एक अच्छी और सच्ची मां नहीं हो।

तो निकल जाओ मेरे घर से…रास्ता उधर है।प्रिया बेशर्मी पर उतर आई थी अचानक।

तभी उसके फोन की घंटी बजी।

येस..प्रिया…द ग्रेट बिजनेस वूमेन प्रिया इज स्पीकिंग…वो बोली।

क्या?? आर यू आउट ऑफ योर सेंसेज?प्रिया का चेहरा लाल पड़ गया और वो चक्कर खाने को हुई।

क्या हुआ प्रिया?तुम ठीक हो?सरिका फिक्र करते बोली।

तभी पुलिस वहां आई, आपमें से प्रिया कौन हैं?

जी…मै.. वो कांपती आवाज़ में बोली।

“यू आर अंडर अरेस्ट”कहते उन्होंने प्रिया को हथकड़ी पहना  दी।

तभी आयुष वहां आया,आप ऐसा केइसेकर सकते हैं ,हम हमारे वकील को फोन करते हैं आप उनसे बात कीजिए पहले।

देखिए,इनके बिजनेस पार्टनर हेक्टर और उनके पुत्र विक्टर भी लॉक अप में है,उन्होंने बहुत बड़ा घोटाला किया है,साथ में ,जिसमे ये भी इन्वॉल्व हैं।

प्रिया चौंक गईं..विक्टर धोखेबाज है…उफ्फ.. मै ज्यादा मुनाफे और धन की चकाचौंध में उन्हें पहचान न सकी,बताओ…मै कितना गिर गई थी,अपनी ही बच्ची की जान जोखिम में डालने को बेताब थी।

उसने कृतज्ञता से आयुष और सरिकाको देखा,मुझे माफ कर देना सारिका,आज तुम लोग यहां हो तो मुझे कितना सुकून है, मै जल्दी ही जेल से लौटती हूं फिर धूमधाम से दोनो बच्चो की शादी करूंगी।

करोगे ना मेरी बेटी से शादी तुम बेटा?कातर निगाहों से उसे देखते वो बोली।

आंटी!आप न भी कहती तो भी मै उसी से शादी करने वाला था,ऐसे न होती तो हम भाग के शादी करते।

अच्छा जी!प्यार से उसे देखते,प्रिया पुलिस के साथ चल दी।