Hindi Love Story: “चलो ना यार, गोवा-वोवा का प्रोग्राम बनाओ।” ब्रिजर की अपनी दूसरी बॉटल ख़त्म करते हुए उसने कार की विंडो का ग्लास नीचे किया और काऊ ब्वाय के बूमरेंग की तरह बॉटल घुमाते हुए सड़क से दूर फेंक दी।
“चलो। पर घर में कैसे सेट करोगी?”
“मेरे घर वाले तो मस्त हैं। पापा को वैसे भी कोई दिक्क़त नहीं, मम्मी को मुम्बई की किसी फ्रेन्ड का नाम और काम बता दूंगी। एकाध बार कभी वीडियो कॉल भी करेंगी तो उसके लिए किसी फ्रेन्ड के साथ शॉर्ट क्लिपिंग्स और नेटवर्क इश्यू पहले ही रेडी कर लूँगी और दो-चार फोटो तो फोटोशॉप में आराम से एडिट कर ही लूँगी। ही…ही…ही…”
“क्रिमिनल माइंड” मैं मुस्काया।
“अरे यार समझो ना। मेरे पास टाइम ही कहाँ है। मुश्किल से एक साल का। जैसे ही मेरा पी.जी. हुआ, घर वाले मुझे शादी की कढ़ाही में तल देंगे।”
“तो मत करना, शादी इतनी क्या ज़रूरी है। कुछ काम क्यूँ नहीं कर लेतीं?”
“पता तो है तुम्हें। मुश्किल से तो पी.जी. के लिए रेडी हुए। उधर मेरे बुढ़ऊ दादा-दादी कब सलट जाएँ, भरोसा नहीं। उन्हें अपने सामने मेरी बरबादी का तमाशा देखना है। इतना प्रेशर है मेरे ऊपर की क्या बताऊँ, रोज़ की रोज़ घर में शादी की बात होनी ज़रूरी है। और काम-वाम मुझसे होता नहीं।” बेपरवाही से उसने कहा।
“कर लो कुछ काम, शायद शादी टल जाए।”
“मेरे से एक ग्लास पानी तक तो लिया जाता नहीं यार, कहाँ का काम करूँगी। ज्ञान देना बंद करो और बताओ कब चलना है?” उसे अपना भविष्य निश्चित ही पता था।
“जब तुम कहो, मैं रेडी हूँ। बस कम से कम दस दिन पहले बता देना जिससे सब काम भी निपटा सकूँ और बुकिंग्स वगैरह सही से कर सकूँ।”
“ओके। आपका दस दिन का नोटिस पीरियड स्टार्ट होता है अब…” उसने बॉटल होल्डर में पड़ी सिगरेट की पैकेट उठायी और सिगरेट निकाल कर पैकेट पर ही ठोंकते और गरदन नचाते हुए कहा।
शहर से थोड़ी दूरी पर खाली सड़क और रेंगती हुई कार का फ़ायदा उठाकर मैंने अपना लम्बा, पर फटाफट टाईप हो सकने वाला पासवर्ड मोबाइल पर टाईप किया। दस दिन बाद के गोवा के मौसम और कैलेण्डर चेक करते हुए कहा- “दस नहीं ग्यारह दिन।”
“ओके। डन।” उसने अँगूठा दिखाया। ग्यारह दिनों का हिसाब लगाते उसने फिर कहा- “अरे यार, गड़बड़ हो जाएगी। पन्द्रह दिन बाद का रखना पड़ेगा।”
“क्यों?”पूछते हुए ही मैं समझ गया और कहा- “ओओओ कोई बात नहीं।”
“ये भी मुसीबत ही है ना।” सदियों की बेचारगी, छलकी अक्स पर।
“इस मुसीबत के कारण ही तो दुनिया जन्म ले पाती है। हा…हा…हा…और वैसे भी तुम्हें तो घूमने जाना है, कौन सा हनीमून पर…”
मेरी शॉर्ट स्लीव्स टी-शर्ट का भरपूर फ़ायदा उठाते हुए उसने किटकिटाने की आवाज़ निकालते हुए दाँतो से मेरी बाँह में काटा।
“आह…आदमखोर लड़की…बत्तीसी तुड़वानी है तुम्हें?” मैंने घूँसा उसके खिलते हुए दाँतो की ओर रवाना किया और होठों को छुवाते रोक दिया, जिस पर भी बत्तीसी के गहरे निशान काफी देर तक बने रहे।
ये कहानी ‘हंड्रेड डेट्स ‘ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Hundred dates (हंड्रेड डेट्स)
