Hundred Dates
Hundred Dates

Hindi Love Story: “गोवा वाले बीच पे…रानी आँखे मींच के…ठंडी-ठंडी बीयर पीयेंगे…” वह और मैं दोनों गला फाड़ रहे थे। सुनसान सड़क पर बीयर, बारिश की शाम, धीमी ड्राइविंग और फुल वॉल्यूम म्यूज़िक के बीच लिपटते-चूमते।

“अबे, ढाबा तो पीछे रह गया।” सड़क सूंधी तो ख़्याल आया। मैंने कार और म्यूज़िक दोनों धीमी की और यू टर्न के लिए जगह ढूँढने लगा।

ढाबा पर पहुँच कर हमने देखा कि कई गाड़ियाँ हैं, छोटे शहरों के लोगों की नज़रें अपने शहर के नम्बरों पर होती ही हैं। कार में ही सर्व करने को कह, हम विंडो थोड़ी नीचे कर सिगरेट फूँकने लगे।

वह अधलेटी सी पड़ी थी, जब उसने कहा- “चलो ना यार, गोवा चलते हैं। सारा दिन दारू और मस्ती।”

“हाँ चलो। लेकिन घर में कैसे मैनेज करोगी?”

“वो मेरा हेडक है न, तुम क्यों चिंता करते हो?” उसका पैर गियर के सामने चिपके हुए हनुमान जी की छोटी मूर्ति से लग गया तो वह पैर छूने का उपक्रम करते हुए छाती पर हाथ रखते हुए आँखें बंद करके कुछ बुदबुदाने लगी।

“अच्छा एक बात बताओ?” मेरी उधमी आत्मा नाची।

“दो पूछो।”

“ऐसे मेरे साथ जाने से तो; तुम्हारा मरने के बाद नर्क का टिकट फ़्री रिजर्व हो जाएगा।”

“मेरा ही क्यूँ; तुम्हारा भी तो होगा। बस बकवास आती है तुम्हें।”

उसने पानी की बॉटल उठाते हुए आगे कहा- “जिन्हें यहाँ स्वर्ग नसीब नहीं होता ना, वो उस स्वर्ग के सपनों में जीते हैं। हम तो यहीं स्वर्ग भोग कर मोक्ष पा लेंगे।” उसने मेरी बाँहों पर काट लिया। उसकी फ़ितूरी आँखों में जन्नत की हूरें नाचती दिखी।