जीवन में खालीपन-गृहलक्ष्मी की कहानियां: Hindi Life Story
Jeevan Mein Khalipan

Hindi Life Story: “वीना, अकेली बैठी बरामदे में चावल बीन रही थी अपने जीवन के खालीपन के बारे में सोच कर अपने आँखों के आंसू को पोछ रही थी.

जब से शादी करके इस घर को आयी थी सुकून का एक दिन नही जीया था मायके की याद लगातार आँखों पर छाप जाती है,, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई

वीना की मुह बोली बहन,, अरे वीना कैसे हो… 

बस दीदी ठीक ही हूँ. वीना अपना दर्द छिपा कर चाय नास्ता का इंतजाम करने में लग जाती है .. 

वीना की बहन एक दो दिन घर में रहते हुए सब जान जाती है और वीना का हाँथ पकड़ कर बोली.. 

वीना कैसे तुम यह सब कैसे बर्दाश्त कर लेती हो , ,तुम्हारी जगह दूसरी  औरत होती तो कुछ भी कर गुजरती अब तक कैसे झेल लेती हो इतना दर्द”

अपनी ही बहन के तीखे सवाल से वीना सहम सी गई और बोली

 दीदी ” सच कहूं तो गलती तो मेरी ही है, जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते ही मेरे कमजोर कदम लड़खड़ा गए थे और अपने ही घरवालों की इज्जत को नीलाम करके अपनो को ही दुःखी कर दिया”

मेरी जैसी बेटी की वजह से समाज बेटियों से नफरत करता है

मेरी पढाई में ग्रेजुएशन के प्रथम साल में ही संजय मेरा प्रेम परवान चढ़ चुका था और अपने घरवालों की  चेतावनी को अनदेखा करके मैने संजय के प्रेम में आकर हर हद पार कर दी….संजय के पास खेती-बाड़ी थी,  आर्थिक स्थिति ठीक थी यही देख कर बीच में ही पढ़ाई अधूरी छोड़कर हम दोनों ने शादी कर ली. संजय शादी के पहले दिन से ही नशे नाच नाचने लगा .जब ये सब देखा तो मेरी आँखे कौंध गई यकीं नही हुआ जिस संजय को मैं जानती हूँ वो तो ये है ही नही. उसकी हरकतें लोक लाज और मर्यादा को तार तार करती रही,, शुरू शुरू का प्यार इसी बीच में दो बच्चे भी हो गए. अब तो रोज का हो गया है अब तो साहस जुटाने के बाद भी संजय का विरोध नहीं कर पाती हूँ.

दीदी  बहुत बड़ी गलती कि है मैने ” काश माता पिता का कहना मानती मैं  मुझे संजय के बारे में पूरी जानकारी निकालना चाहिए था, उसकी प्यार भरी बातों के जादूई असर की मैं दीवानी हो गई थी.”

रूबिका सच सच बताओ (वीना से) ” संजय तेरे साथ मारपीट भी करता है सबके सामने तेरा अपमान करता है , तेरी आंखों के सामने दूसरी लड़कियों के साथ संबंध बनाता है”.. 

क्या बताऊँ दीदी ” शादी जब तक नही हुई थी तब तक संजय अच्छा इंसान होने का नाटक करता रहा, मैं समझ ही नहीं पाई दीदी अब तो दो बच्चे भी हो चुके हैं, मेरे अंदर छुपी हुई बेबस माँ ने जिंदा औरत के स्वाभिमान को मार दिया..मैंने हालात से समझौता कर लिया है.”

रूबिका ” तुम्हारे जैसी पढ़ी लिखी औरत के मुंह से ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती, अभी भी समय है उस नशेड़ी से पीछा छुड़ा लो”

वीना ” दीदी, एक मां की ताकत को सारी दुनिया जानती है ,लेकिन उसकी मजबूरी और कमजोरी को कोई नहीं समझता..”

दीदी अब तो ये बच्चे ही जीने का सहारा हैं इनके सहारे उम्र गुजार लुंगी  . रूबिका समझाकर अपने घर चली जाती है, वीना फिर से अपने रोजमर्रा के कामों में लग जाती है.. शाम जब संजय आया तो वीना ने स्वादिष्ट पकवान परोसे लेकिन संजय गुस्से में वीना को घर से निकलने को बोलने लगा.. अब मेरा मन भर गया है मुझे दूसरी शादी करनी है तुझसे ज्यादा पढ़ी लिखी और सुंदर लड़की से शादी करूँगा मैं.

अरे तू अपने माता-पिता की नही हुई तो मेरी क्या होगी तुझ जैसी लड़कियाँ किसी की नही होती.. 

संजय की बातों से आहत होते हुए संजय को अपने बच्चों की दुहाई देते हुए पैर पकड़ती है लेकिन संजय तस से मस नही हुआ.

तभी संजय की बेटी जो ग्यारह साल की हो चुकी है आकर अपने पिता को धक्के से पीछे करके बोलती है

शर्म आती है आपको पापा बोलते हुए धिक्कार है मुझे ऐसे इंसान से.. 

और वीना को बोलती है चलो माँ,  हम कही भी रह लेंगे पर इंसान के यहाँ अब नही.. 

वीना अपने दोनों बच्चों के साथ घर छोड़ कर किराए के घर पर रहने लगी थी एक छोटा सा काम करते हुए दोनों बच्चों को पढ़ाने लगी.. 

कई सालों के बाद आज सब्जी लेने वीना बाजार गई थी कि अचानक से रास्ते में उसको संजय दिखा बहुत दीन- हीन हालत में वीना को देख उसके पास आकर बोला… 

वीना कैसी हो, आज इतने साल बाद तुम तो और सुंदर हो गई हो,, हाँ लेकिन आप बहुत बदल गए ऐसी हालत क्यों हो गई आपकी, संजय रोते हुए तुमसे अलग होकर जब दूसरी शादी की तो बस मेरे पैसे के लिए जुड़ी थी,, जब तक पूरा पैसा प्रोपर्टी बेच कर खा नही लिया तब तक प्यार था.

फिर मेरा स्वास्थ्य खराब हुआ तो छोड़ कर चली गई. 

पड़ोस के लोग खाना दे जाते हैं उसी को खा कर समय बे समय जब मिला जिंदा हूँ.. 

वीना की आँखे भर आयी संजय को तुरन्त  घर लाकर खाना और कपड़े लाकर दिया बच्चों से भी बोला के अपने पिता को माफ कर दे… 

संजय की आँखों से आंसू की धार बहती रही अपने बेटे, बेटी को गले से लगाकर बहुत देर तक रोता रहा… 

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