Hindi Kahaniya: दो दिनों से लगातार बारिश हो रही थी। स्कूल में छुट्टियां पड़ गई थीं।
घर में बंद रोहन का मन नहीं लग रहा था आखिर वह कितना टीवी भी देखें..।
मम्मा ने बाहर निकलने से सख्त मनाही की थी। बाहर जितनी तेज बारिश थी उतनी ही तेज हवा भी चल रही थी।
दो दिनों बाद हवा और बारिश का वेग जब कम हुआ तो रोहन पिछले बालकोनी में जाकर बाहर देखने लगा।
बाहर सड़कें तालाब बने हुए थे। उसका मन नीचे उतर कर नाव चलाने का कर रहा था लेकिन बैक्टीरिया और गंदगी के कारण मम्मी ने मना किया हुआ था।
वह अभी बाहर ही देख रहा था तभी उसके कानों में किसी के कराहने की आवाज आई।
उसने ध्यान से देखा नाले पर एक कुत्ते का पिल्ला भीगा हुआ पड़ा है। बहुत ही छोटा सा बच्चा था… पता नहीं कहां से आ गया था। रोहन में मन ही मन सोचा फिर वह अपनी मम्मी से बिना बताए नीचे की ओर भागा।
बड़ी मुश्किल से बढ़ता हुआ वाह पार्क के पास पहुंचा जहां वह पिल्ला छुपा हुआ था।
वह कैसे आया पता नहीं… रोहन चारों तरफ माथा घुमा कर देखा… कहीं उसकी मम्मी का पता ही नहीं था।
” बेचारा यह बच्चा ठंड से ठिठुर पर मर जाएगा !”यह कहकर रोहन उसे घर ले आया।
वह बहुत बुरी हालत में भीगा हुआ ठंड से कांप रहा था।
“मां देखो मैंने क्या लाया? खुशी से चमकते हुए आंखों से रोहन ने अपनी मां को दिखाते हुए कहा।
” अरे यह कुत्ते का पिल्ला तुम्हें कहां मिला?” मम्मी ने पूछा।
“वहां पार्क की सीढ़ियों पर छुपा हुआ था। मैंने ऊपर से देखा फिर मैं नीचे से उठा कर लाया ।”
“बहुत अच्छा किया बेटा!” मम्मी ने उसके पास बैठते हुए कहा
” यह तो ठंड से कांप रहा है ,उसे गर्म दूध की जरूरत है। पहले इसकी गंदगी तो साफ कर लूं।”
उन्होंने साफ करने के साद एक साफ तौलिए से उसे लपेट दिया।
अब पिल्ला अच्छा महसूस कर रहा था।
थोड़ी देर में रोहन की मम्मी ने एक गिलास गर्म दूध और उसमें एक ब्रेड घोलकर पप्पी को पिलाने लगी।
पप्पी भूखा भी था।वह स्वस्थ अनुभव करने लगा।वह आभार प्रकट करते हुए अपना पूंछ हिलाने लगा और ‘कूं…कूं…!’करता हुआ मम्मी और रोहन के पीछे घूमने लगा।
“यह तो मेरा दोस्त बन गया!मम्मा मैं इसका क्या नाम रखूं?”
“तुम ही सोचो..वह तुम्हारा दोस्त है!”
“मम्मा, यह तो कूं कूं करता है तो इसका नाम कुक्कू रख देता हूँ।”
“हाँ बिल्कुल ठीक!”मम्मी मुस्कुराने लगी।
अब रोहन और कुक्कू दोनों गहरे दोस्त बन गए।
रोहन स्कूल जाने से पहले रोज सुबह उठकर कुक्कू को बाहर फ्रेश कराने ले जाता फिर उसे नहला धुला देता।
मम्मी रोहन के साथ साथ कुक्कू को भी नाश्ता देती थीं।
फिर रोहन स्कूल चला जाता था।मम्मी भी दिन भर ऑफिस में रहती थी।
कुक्कू पूरा दिन घर की रखवाली करता था। घर में रोहन और मम्मी थे ।
रोहन के पापा की कुछ महीने पहले सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
उन्हीं की अनुकंपा पर रोहन की मम्मी को जॉब मिल गई थी।
समय थोड़ा बीता, अब कुक्कू थोड़ा बड़ा भी हो गया था,उतना ही समझदार भी।
रोहन के पिता की मृत्यु का मुआवजा पैसा ट्रांसफर होने वाला था ।लगभग तीन लाख रुपये की धनराशि थी।
कुछ लोग इस धनराशि पर नजर लगाए हुए थे। कई महीनों से ये रुपये ट्रांसफर होने वाले थे मगर हो नहीं पाए थे।
अचानक से बिल पास होने के बाद रोहन की मम्मी के अकाउंट में तीन लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए गए।
रोहन के परिवार के ही कुछ लोग थे जो यह रुपए हड़पना चाहते थे।
उसकी मम्मी को धमकी देकर पैसा मांगने मांगते रहते थे। रोहन की मम्मी ने पुलिस स्टेशन में कंप्लेन भी लिखवाया लेकिन पुलिस अभी तक कुछ कर ही नहीं पा रही थी।
उन लोगों का कहना था आप लोग भी अलर्ट रहिए कुछ भी संदिग्ध दिखता है तो हमें इंफॉर्म कीजिए।
एक दिन शाम को रोहन की मम्मी ने रोहन से कहा
” बेटा मैं बस नीचे से सब्जी लेकर आती हूं तुम घर से मत जाना।”
थोड़ी देर बाद मम्मी ने फोन किया
” बेटा, सुधा आंटी की तबीयत बहुत खराब हो गई है।
मैं उन्हें लेकर तुरंत हॉस्पिटल जा रही हूं। कोई भी आए तुम दरवाजा मत खोलना।”
” ठीक है मम्मी!” यह कह कर रोहन ने दरवाजा लॉक कर दिया और कुक्कू के साथ खेलने लगा।
थोड़ी देर तक कुक्कू के साथ खेलने के बाद उसने कहा
“कुक्कू, मुझे होमवर्क करना है तुम जाकर डॉग हाउस में बैठ जाओ।”
बेमन से कुक्कू जाकर डॉग हाउस में बैठ गया ।उसका मन रोहन के साथ खेलने का था पर रोहन अपने स्टडी रूम में जाकर पढ़ाई करने लगा।
थोड़ी देर बाद कुक्कू अचानक बहुत तेजी से भौंकने लगा ।
वह अपने दोनों सामने के पंजों के बल पर खड़ा होकर दरवाजे की तरफ देख कर जोर जोर से भौंक रहा था।
रोहन हड़बड़ाते हुए अपने कमरे से आया।
उसने कहा
” क्या हुआ कुक्कू!,क्यों गुस्सा कर रहे हो?”
तभी दरवाजे की डोर बेल बजी। रोहन ने आई होल से बाहर देखा
दो लोग बाहर खड़े थे।बिल्कुल डॉक्टर की वेशभूषा में।
रोहन डर गया।” क्या बात है?”
” हम लोग सिटी हॉस्पिटल से आए हैं तुम्हारी मम्मी ने दस हजार रुपये मंगवाया है। देखो इस चिट्ठी में उन्होने लिखा है।”
चिट्ठी आगे बढ़ाते हुए उस आदमी ने कहा।
“पर मम्मी तो…!”रोहन हकलाने लगा।
“हां तुम्हारी मम्मी तुम्हारी पड़ोसन सुधा आंटी को लेकर सिटी हॉस्पिटल गई है। उन्होंने यह लेटर तुम्हारे लिए दिया है। तुम्हारा फोन लग नहीं रहा था इसलिए उन्होंने या लेटर हमें दिया है।इलाज के लिए दस हजार रुपये कम पड़ रहे थे।
हम वहां की वर्किंग स्टाफ है इसलिए हम खुद ही लेने चले आए!”
रोहन उनलोगों की चालाकी समझ नहीं पाया।
” बेटा दरवाजा तो खोलो !हम कोई चोर नहीं हैं!”उसने बड़े प्यार से कहा।
रोहन ने दरवाजा खोल दिया।
जैसे ही रोहन ने दरवाजा खोला वे लोग फुर्ती से रोहन को अपने कब्जे में ले लिया और खींच कर बाहर ले जाने लगे। तभी पीछे से कुक्कू ने उन दोनों पर हमला कर दिया।
उनके ऊपर अपने नुकीले दांतों और पंजों से काट काट कर उन्हें घायल कर दिया।
कुत्ते का चिल्लाना सुनकर पड़ोसी वहां आए आ गए ।
उन्होंने उन दोनों गुंडो को अपने कब्जे में कर लिया और तुरंत पुलिस को एक खबर कर दिया।
पुलिस आई।उन चोरों को पकड़ कर ले गई।
कुक्कू ने अपनी समझदारी का परिचय दे दिया था।उसी के कारण आज रोहन किडनैप होते-होते बचा था।
रोहन की आंखें भर आई। उसने कुक्कू को गले लगाते हुए कहा
“थैंक यू मेरे दोस्त!, मैं तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूलूंगा।”
कुक्कू की आंखें भी भर आई थीं। वह भी अपने दोनों पंजे फैला कर रोहन से लिपट गया था।
जब मम्मी वापस आई उन्हें सभी कुछ सच का पता चला तो वह फूट-फूट कर रो पड़ी।
उन्होंने अपने दोनों बेटे को गले से लगा लिया।
