Divorce Story: वकील को सगा जान लिया।
एहसास कचहरी की फाइलों में बंद हुए
सात फेरों को, कागज़ी नियमो से जोड़ा गया ,
बड़ी साजिशों से रिश्ता तोड़ा गया।
पहली तारीख पर सभी तैयारी से आए।
पत्नी ने शोषण की बात की ,
बच्चों में पोषण की बात की,
पति ने दोषारोपण की बात की।
कौन सही कौन गलत , समझ नहीं आया।
फैसला अगली तारीख पर छोड़ा गया।
दो परिवारों का नाता टूटा ,
बसा बसाया उपवन छूटा।
संस्कृतियों का हनन हुआ।
परिवार और बच्चो का पतन हुआ।
वकील ने पत्नी को खूब सिखाया पढ़ाया।
पति को झूठा साबित करने एक मे 21 जोड़ा गया।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनी।
पहले पत्नी ने अपनी दलील कहीं ,
यह मुझको जानवरों की तरह डांटते थे।
मेरी उपलब्धियों को कम आंकते थे।
मेरी कोई हैसियत नहीं थी घर में ,
दिन रात मां और बहन के इशारों पर नाचते थे।
नहाने खाने से लेकर , सोने तक की बात ,
हर एक पल का उपहास हुआ कुछ भी नहीं छोड़ा गया।
भरे बाजार , संबंधों को ऐसे निचोड़ा गया
पति की बारी आई वकील ने पूछा तुम भी कुछ सुनाओ ।
पति ने कहा , मुझे तो पत्नी फूलों का हार लगती थी।
पर मेरे मां-बाप को यह , बिल्कुल बेकार लगती थी।
मां-बाप की सुनो या पत्नी को समझाऊं ।
अब कौन से पत्थर से सर में लड़ाऊं ।
घर वाले सलाह मान ली पत्नी तो फिर मिल जाएगी।
जिसने जन्म दिया उसे कैसे बिसराऊं।
बीच में पत्नी झल्लाकर बोली ,
पूरे परिवार की सेवा करते क्या मैने पाया ,
रातों की नीद ,सुख चैन भी गवाया ।
सोचा था , घर की रानी बनूंगी ,
नौकरानी बनकर , क्या अपना जीवन व्यर्थ लुटाऊ।
सुनकर पति पत्नी का संवाद, दोनों पक्षों के बीच बढ़ता विवाद।
दोनों पक्षों की बात सुनकर न्यायाधीश ने फैसला सुनाया।।
दोनो की अलग रहने में सबकी भलाई है वे उपाय बतलाया
तलाक़नामा का कागज़ जज ने दोनों के हाथ में पकड़ाया
आज से आप पति पत्नी नही है ,ये पढ़कर , होठ थरथराया।
अब क्या होगा यह सोच कर दिल घबराया।
दोनों के दिल जरा से पिकल आए , आंखों से आंसू पीर बनके छलक आए।
दो पल में ही रिश्तो के बीच एक बड़ी सी दरार पड़ गई।
गृहस्थी की बुनियाद न्यायालय की दहलीज पर गिर गई।
दोनों ही पक्षों को खूब डांटा गया बच्चे और संपत्ति को भी आधा आधा बांटा गया। हर एक चीज का हिस्सा लगा , एक-एक पाई का हिसाब जोड़ा गया।
एक कश्ती के दो मुसाफिरो को दो किनारों पर छोड़ा गया।
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