Short Story in Hindi: पति पत्नी में झगड़ा हुआ. रूठकर मायके चली गई. अब पति को थोड़े थोड़े से काम के लिए माँ या भाभी या बहिन को कहना पड़ता. तो कुछ न कुछ कड़वा सुनने को मिल जाता. लो इनकी महारानी साहिबा तो मायके में आराम फरमा रही हैं और हमें सब करना पड़ रहा है. हमारी भी जिम्मेदारियां हैं. और पति मन मारकर रह जाता. उसे पत्नी की याद आ जाती. पत्नी का भी यही हाल था. शुरू में तो स्वागत हुआ. सबने कहा, तुम्हारा घर है आराम से रहो. लेकिन किसी न किसी बात पर भाभी लोग व्यंग्य कर ही देती. अपने काम सौंपकार आसपास गप्पे लड़ाने चली जाती. एक दिन तो माँ ने उससे कह दिया. बेटी शादी के पहले और बाद में यही फर्क होता है. अब यहां तुम्हारी माँ की नहीं. भाभियों की चलती है. पति पत्नी एक दूसरे का साया होते हैं आपस का प्यार शीतल छाया देता है. सॉरी बोल देना, गलती पर कोई कठिन काम नहीं होता. उदास होकर पत्नी सोचती, काश कि वे लेने आ जाते उसे अब पति की छाया की जरुरत है. एक दिन सास ने दामाद को फ़ोन लगाकर कहा, गलती किसी की भी हो. तुम पति हो उसके. तुम्हारी छाया में ही सच्चा सुख है. ये बात शायद वह समझ चुकी है. यदि प्रेम हो तो अपने वृक्ष की छाया को लेते जाओ. पति ख़ुशी से ससुराल गया और अपनी शीतल छाया सहित वापिस आ गया.
छाया-गृहलक्ष्मी की कहानियां
