गृहलक्ष्मी की कहानियां – होली के दिन की बात है। घर में काफी मेहमान आए हुए थे, इसलिए मैं मां के साथ खाना बनाने में उनकी मदद करने लगी। तभी मेरे पति ने मुझे रंग खेलने के लिए बुलाया तो मैंने कहा कि आप लोग खेलो, मुझे अभी समय लगेगा। काम पूरा निपटाकर जब मैं अपने पति के पास रंग खेलने के लिए गई तो उन्होंने गुस्से में कहा, ‘मैंने बहुत खेल लिया है, अब नहीं खेलूंगा।’ इसी बीच बुआ जी बोलीं कि विद्या नाती का चेहरा कब दिखाओगी। मैं अपने रूठे पति को रंग लगाते हुए बोली कि अभी तो मैं शुरू हुई हूं। तभी पीछे खड़े देवर ने कहा, ‘भाभी शुरू हो गई हो तो भतीजा लेकर आना।’ वहां खड़े सभी लोग हंसने लगे। मेरे पति की मंद मुस्कान ने मुझे मेरी बातों का अर्थ समझा दिया और मारे शर्म से मैं लाल हो गई।

1- पत्नी धर्म निभाया
मेरी शादी के बाद एक बार मेरी बहन हमारे घर आई हुई थी। रोज हम लोग कहीं न कहीं घूमने जाते थे। एक शाम मेरी बहन, मैं और मेरे पति एक पार्क में टहल रहे थे। घूमते हुए मजाकिया बातें हो रही थीं। इन्होंने अचानक मुझसे पूछा कि मेघना यदि मैं तुमसे पहले मर गया तो तुम क्या करोगी? इस पर मैंने नाराजगी भरे लहजे में कहा कि आप ऐसी अशुभ बातें क्यों बोलते हैं? मरें आपके दुश्मन। इन्होंने कहा कि मैं तो वैसे ही पूछ रहा हूं, तुम बताओ तो सही। मैंने कहा कि और कहां जाऊंगी, अपनी इन्हीं बहन के पास चली जाऊंगी।
इतना कहते ही मैंने भी इनसे पूछा कि यदि मैं पहले मर गई, तब तुम क्या करोगे। इन्होंने मेरी बहन को देखते हुए कहा कि पत्नी धर्म का पालन करते हुए मैं भी तुम्हारी बहन के पास चला जाऊंगा।
उनके ऐसा कहने पर जब हमें इसका अर्थ समझ में आया तो मेरी बहन तो झेंप सी गई और मैं शर्म से लाल हो गई। मेरे पति मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे।

2- नमक वाली चाय
उन दिनों मैं मायके ऌगई हुई थी। अचानक एक दिन मेरे पतिदेव अपने एक जिगरी मित्र के साथ वहां आ धमके। कुछ ही देर में मैं उन दोनों के लिए चाय बनाकर ले आई। इनके मित्र महोदय पहला घूंट लेते ही तपाक से बोल पड़े, ‘अच्छा-खासा मजाक कर लिया भाभी आपने! क्या हम लोगों को शुगर का मरीज समझ रखा है आपने?’
यह सुनकर मैंने सोचा कि शायद मैं चीनी डालना भूल गई हूं। मैं किचन की तरफ भागी और अगले ही पल दो अलग-अलग चम्मच में चीनी भरकर उन दोनों महाशय के कप में डाल दी। पतिदेव के मित्र ने चीनी को चम्मच से हिलाकर ज्योंही चाय चखी, वे कहने लगे, ‘आपने तो डबल धमाल कर दिया भाभी।’ मैं कुछ समझी नहीं कि वे क्या कह रहे हैं। तभी मेरे पतिदेव बोले, ‘असल में सॉल्टी चाय काफी टेस्टी बन गई है। उसी की प्रशंसा मेरे मित्र महोदय कर रहे हैं।’ माजरा क्या है, तब मुझे समझ में आया।
दरअसल मैंने चीनी के बदले चम्मच में नमक भरकर ही उन लोगों के कप में डाल दिया था। बात समझते ही मैं शर्म से लाल हो गई।
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