पूरे विश्व की सर्वोच्च शक्ति कहलाने वाले भगवान विष्णु भक्तों के बीच अलग ही विश्वास का प्रतीक हैं। विष्णु जी की पत्नी लक्ष्मी और पुत्र कामदेव की भी अपनी अलग-अलग अहमियत है। भगवान विष्णु के त्रिमूर्ति रूप को तो पूरे जगत का पालनहार भी कहा जाता है। त्रिमूर्ति में दो अन्य चेहरे शिव और ब्रह्मा के भी माने जाते हैं। वहीं चतुर्भुज रूप को निकटतम मूर्त ब्रह्म भी कहा गया है। भगवान विष्णु की महिमा ही है कि श्रीमद्भागवतपुराण में विष्णु जी के 24 अवतार माने गए हैं। इन अवतारों का अवतरण सतयुग से कलयुग तक माना गया है। भक्तों के लिए इन अवतारों की महिमा को जानना मानो जरूरी ही है। इन 24 में से 10 रूपों को आप भी पहचान लीजिए-
मत्सय अवतार-
भगवान विष्णु के मत्सय अवतार का रिश्ता सृष्टि से है। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने दुनिया को प्रलय से बचाने के लिए ये अवतार लिया था। इस अवतार से जुड़ी एक कहानी काफी प्रचलित है। माना जाता है कि नदी में स्नान करते हुए राजा सत्यव्रत के हाथों में एक मछली आ गई थी। पर मछली नहीं चाहती थी कि उसे समुद्र में डाला जाए। ऐसा करने पर बड़ी मछली के उसे खा लेने का खतरा था। फिर राजा ने उसे अपने कमंडल में रख लिया। मगर वो बड़ी ही होती जा रही थी। राजा को समझ आ गया कि ये साधारण मछली बिलकुल नहीं है। उन्होंने प्रार्थना की तो भगवान विष्णु प्रकट हुए और बताया कि ये तो उनका मत्सय अवतार है। 
कूर्म अवतार-
कूर्म यानि कछुआ, माना जाता है कि भगवान विष्णु ने कछुए का अवतार लेकर समुद्र मंथन में सहायता की थी। इससे जुड़ी कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा ने राजा इंद्र को श्राप दिया था। इंद्र विष्णु के पास गए तो उन्होंने समुद्र मंथन के लिए बोला। इस काम के लिए मंदराचल पर्वत को मथनी और नागराज वासुकि को नेति बनाया गया। लेकिन मंदराचल के नीचे कोई आधार नहीं था। इस वक्त भगवान विष्णु कछुए का रूप लेकर मंदराचल पर्वत का आधार बन गए। फिर मंथन आसानी से हो गया। 
नरसिंह अवतार-
भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार के पीछे एक कथा प्रचलित है। इसके मुताबिक दैत्यों का राजा हिरण्यकशिपु खुद को सबसे बलवान मानता था। हिरण्यकशिपु को किसी भी तरह से ना मरने का वरदान प्राप्त था। उनके राज्य में विष्णु भगवान की पूजा करने वाले को सजा तक दी जाती थी। मगर उसका बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था। पिता ने बेटे को समझाया लेकिन ना मानने पर उसे मृत्युदंड भी दे दिया। पर हर बार वो बच जाता है। प्रहलाद पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद था। इसलिए जब उसकी बुआ होलिका उसे अग्नि में लेकर बैठी तो भी उसे अग्नि छू तक नहीं पाई। फिर जब हिरण्यकशिपु खुद प्रहलाद को मारने चला तो भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर आए और अपने नाखूनों से हिरण्यकशिपु का वध कर दिया।  
वराह अवतार-
ये मान्यता है कि एक समय ऐसा था जब हिरण्याक्ष दैत्य ने पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया था। इस वक्त भगवान विष्णु ब्रह्मा जी की नाक से वराह बन कर निकले थे। फिर उन्होंने पृथ्वी को ढूंढ निकाला था। वो अपने दांतों पर पृथ्वी को रख कर ले आए थे। इसके बाद दैत्य और विष्णु जी में युद्ध हुआ और बुराई की हार हुई। 

वामन अवतार-

भगवान विष्णु का ये अवतार ऐसा है, जिसमें उन्होंने गर्भ से वामन यानि ब्राह्मण के तौर पर जन्म लिया था। उनको ऐसा प्रह्लाद के पौत्र दैत्यराज बलि के स्वर्ग पर अधिकार कर लेने की वजह से करना पड़ा था। इसके लिए उन्होंने बलि के यज्ञ करने के दौरान 3 पग जमीन मांग ली। गुरु शुक्रचार्य के मना करने के बाद भी बलि ने इस मांग को पूरा कर दिया। वामन रूप में विष्णु ने दो पग में ही धरती और स्वर्ग नाप लिया। तीसरे पग में बलि के सिर पर अपना पैर रखा। 
श्रीकृष्ण अवतार-
द्वापरयुग विष्णु भगवान ने दुष्टों के नाश के लिए श्रीकृष्ण के रूप में जन्म किया था। वासुदेव और देवकी के घर जन्म लेकर उन्होंने कई बाद बुराई और अच्छाई की जीत होने को सच साबित किया। उन्होंने अपने मामा कंस का वध भी किया। 
राम अवतार-
ये अवतार त्रेता युग में आया, तब राक्षस रावण का आतंक था। इस वक्त भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से श्रीराम के रूप में जन्म लिया। इस अवतार से जुड़ी कहानी तो काफी प्रचलित है। 
परशुराम अवतार-
हरिवंशपुराण के अनुसार विष्णु जी के अहम अवतार परशुराम से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। माना जाता है कि सालों पहले महिष्मती नागरी पर सहस्त्रबाहु नाम के क्षत्रिय राजा का शासन था। उसे अपने राज पर बहुत अहम था। इसलिए जब अग्निदेव ने उनसे भोजन कराने को कहा तो उन्होंने ये कह कर मना कर दिया कि आप कहीं से भी भोजन कर लें, हर ओर मेरा ही राज है। इस वक्त अग्निदेव को बहुत गुस्सा आया। इस गुस्से में उन्होंने वनों के साथ तपस्या करते ऋषि आपव का आश्रम भी जला दिया। तब ऋषि ने सहस्त्रबाहु को श्राप दिया कि वो भगवान विष्णु परशुराम के रूप में जन्म लेकर सारे क्षत्रियों का नाश करेंगे। परशुराम ने महर्षि जमदग्रि के घर में जन्म लिया था। 
बुद्ध अवतार-
धर्मग्रन्थों में गौतम बुद्ध को भी विष्णु जी का अवतार ही माना गया है। इसकी चर्चा विष्णु पुराण, गरुण पुराण, लिंग पुराण और पद्म पुराण आदि में भी की गई है। 
कल्कि अवतार-
ये एक ऐसा अवतार है, जिसके जन्म की फिलहाल सिर्फ भविष्यवाणी ही की गई है। इस अवतार के अवतरण का समय कलयुग और सतयुग के संधिकल में माना गया है। पुराणों की माने तों इस अवतार का जन्म मुरादाबाद के शंभल नामक स्थान पर होगा। कहा ये भी जाता है कि कल्कि देववत नाम के घोड़े पर सवार होकर पाप का नाश करेंगे। 
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भगवान विष्णु के 10 अवतारों की महिमा है अद्भुत
स्टोरी-
पूरे विश्व की सर्वोच्च शक्ति कहलाने वाले भगवान विष्णु भक्तों के बीच अलग ही विश्वास का प्रतीक हैं। विष्णु जी की पत्नी लक्ष्मी और पुत्र कामदेव की भी अपनी अलग-अलग अहमियत है। भगवान विष्णु के त्रिमूर्ति रूप को तो पूरे जगत का पालनहार भी कहा जाता है। त्रिमूर्ति में दो अन्य चेहरे शिव और ब्रह्मा के भी माने जाते हैं। वहीं चतुर्भुज रूप को निकटतम मूर्त ब्रह्म भी कहा गया है। भगवान विष्णु की महिमा ही है कि श्रीमद्भागवतपुराण में विष्णु जी के 24 अवतार माने गए हैं। इन अवतारों का अवतरण सतयुग से कलयुग तक माना गया है। भक्तों के लिए इन अवतारों की महिमा को जानना मानो जरूरी ही है। इन 24 में से 10 रूपों को आप भी पहचान लीजिए-
मत्सय अवतार-
भगवान विष्णु के मत्सय अवतार का रिश्ता सृष्टि से है। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने दुनिया को प्रलय से बचाने के लिए ये अवतार लिया था। इस अवतार से जुड़ी एक कहानी काफी प्रचलित है। माना जाता है कि नदी में स्नान करते हुए राजा सत्यव्रत के हाथों में एक मछली आ गई थी। पर मछली नहीं चाहती थी कि उसे समुद्र में डाला जाए। ऐसा करने पर बड़ी मछली के उसे खा लेने का खतरा था। फिर राजा ने उसे अपने कमंडल में रख लिया। मगर वो बड़ी ही होती जा रही थी। राजा को समझ आ गया कि ये साधारण मछली बिलकुल नहीं है। उन्होंने प्रार्थना की तो भगवान विष्णु प्रकट हुए और बताया कि ये तो उनका मत्सय अवतार है। 
कूर्म अवतार-
कूर्म यानि कछुआ, माना जाता है कि भगवान विष्णु ने कछुए का अवतार लेकर समुद्र मंथन में सहायता की थी। इससे जुड़ी कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा ने राजा इंद्र को श्राप दिया था। इंद्र विष्णु के पास गए तो उन्होंने समुद्र मंथन के लिए बोला। इस काम के लिए मंदराचल पर्वत को मथनी और नागराज वासुकि को नेति बनाया गया। लेकिन मंदराचल के नीचे कोई आधार नहीं था। इस वक्त भगवान विष्णु कछुए का रूप लेकर मंदराचल पर्वत का आधार बन गए। फिर मंथन आसानी से हो गया। 
वराह अवतार-
ये मान्यता है कि एक समय ऐसा था जब हिरण्याक्ष दैत्य ने पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया था। इस वक्त भगवान विष्णु ब्रह्मा जी की नाक से वराह बन कर निकले थे। फिर उन्होंने पृथ्वी को ढूंढ निकाला था। वो अपने दांतों पर पृथ्वी को रख कर ले आए थे। इसके बाद दैत्य और विष्णु जी में युद्ध हुआ और बुराई की हार हुई। 
नरसिंह अवतार-
भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार के पीछे एक कथा प्रचलित है। इसके मुताबिक दैत्यों का राजा हिरण्यकशिपु खुद को सबसे बलवान मानता था। हिरण्यकशिपु को किसी भी तरह से ना मरने का वरदान प्राप्त था। उनके राज्य में विष्णु भगवान की पूजा करने वाले को सजा तक दी जाती थी। मगर उसका बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था। पिता ने बेटे को समझाया लेकिन ना मानने पर उसे मृत्युदंड भी दे दिया। पर हर बार वो बच जाता है। प्रहलाद पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद था। इसलिए जब उसकी बुआ होलिका उसे अग्नि में लेकर बैठी तो भी उसे अग्नि छू तक नहीं पाई। फिर जब हिरण्यकशिपु खुद प्रहलाद को मारने चला तो भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर आए और अपने नाखूनों से हिरण्यकशिपु का वध कर दिया।  
वामन अवतार-
भगवान विष्णु का ये अवतार ऐसा है, जिसमें उन्होंने गर्भ से वामन यानि ब्राह्मण के तौर पर जन्म लिया था। उनको ऐसा प्रह्लाद के पौत्र दैत्यराज बलि के स्वर्ग पर अधिकार कर लेने की वजह से करना पड़ा था। इसके लिए उन्होंने बलि के यज्ञ करने के दौरान 3 पग जमीन मांग ली। गुरु शुक्रचार्य के मना करने के बाद भी बलि ने इस मांग को पूरा कर दिया। वामन रूप में विष्णु ने दो पग में ही धरती और स्वर्ग नाप लिया। तीसरे पग में बलि के सिर पर अपना पैर रखा। 
राम अवतार-
ये अवतार त्रेता युग में आया, तब राक्षस रावण का आतंक था। इस वक्त भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से श्रीराम के रूप में जन्म लिया। इस अवतार से जुड़ी कहानी तो काफी प्रचलित है। 
श्रीकृष्ण अवतार-
द्वापरयुग विष्णु भगवान ने दुष्टों के नाश के लिए श्रीकृष्ण के रूप में जन्म किया था। वासुदेव और देवकी के घर जन्म लेकर उन्होंने कई बाद बुराई और अच्छाई की जीत होने को सच साबित किया। उन्होंने अपने मामा कंस का वध भी किया। 
परशुराम अवतार-
हरिवंशपुराण के अनुसार विष्णु जी के अहम अवतार परशुराम से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। माना जाता है कि सालों पहले महिष्मती नागरी पर सहस्त्रबाहु नाम के क्षत्रिय राजा का शासन था। उसे अपने राज पर बहुत अहम था। इसलिए जब अग्निदेव ने उनसे भोजन कराने को कहा तो उन्होंने ये कह कर मना कर दिया कि आप कहीं से भी भोजन कर लें, हर ओर मेरा ही राज है। इस वक्त अग्निदेव को बहुत गुस्सा आया। इस गुस्से में उन्होंने वनों के साथ तपस्या करते ऋषि आपव का आश्रम भी जला दिया। तब ऋषि ने सहस्त्रबाहु को श्राप दिया कि वो भगवान विष्णु परशुराम के रूप में जन्म लेकर सारे क्षत्रियों का नाश करेंगे। परशुराम ने महर्षि जमदग्रि के घर में जन्म लिया था। 
बुद्ध अवतार-
धर्मग्रन्थों में गौतम बुद्ध को भी विष्णु जी का अवतार ही माना गया है। इसकी चर्चा विष्णु पुराण, गरुण पुराण, लिंग पुराण और पद्म पुराण आदि में भी की गई है। 
कल्कि अवतार-
ये एक ऐसा अवतार है, जिसके जन्म की फिलहाल सिर्फ भविष्यवाणी ही की गई है। इस अवतार के अवतरण का समय कलयुग और सतयुग के संधिकल में माना गया है। पुराणों की माने तों इस अवतार का जन्म मुरादाबाद के शंभल नामक स्थान पर होगा। कहा ये भी जाता है कि कल्कि देववत नाम के घोड़े पर सवार होकर पाप का नाश करेंगे।