buraiyaan
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एक बार मनुष्य भगवान के पास पहुँचा और बोला कि प्रभु कोई ऐसा मार्ग बताइए, जिससे वह हमेशा सुखी रह सके और दूसरे उसे प्यार व सम्मान दे। इस पर भगवान ने कहा कि मैं जरूर तुम्हें वह मार्ग भरपुर बताऊँगा। भगवान ने उसे दो थैले दिए और कहा कि इनमें एक थैले में तुम्हारी बुराइयाँ हैं और एक में तुम्हारे पड़ोसी की। तुम पड़ोसी की बुराइयों वाला थैला अपनी पीठ पर लाद लो और अपने थैले को सामने रखो। यहाँ से जाते हुए तुम अपनी बुराइयां देखते जाना, ताकि तुम उन्हें दूर कर सको।

जब तुम पड़ोसी का थैला उसे दोगे तो इसी प्रकार वह भी अपनी बुराइयों से मुक्ति पा लेगा और तुम्हें पसंद करने लगेगा। इतना कहकर भगवान चले गए। उस व्यक्ति ने चालाकी दिखाते हुए अपनी बुराई का थैला पीठ पर टाँग लिया और पड़ोसी की बुराई वाला सामने, ताकि देख सके कि पड़ोसी में कौन-कौन सी बुराइयाँ हैं। रास्ते में उसने पड़ोसी का थैला खोला और उसमें भरे कागज निकालकर देखने लगा कि किस पर पड़ोसी की कौन-सी बुराई लिखी है। वह चलता जाता और कागज निकालकर देखता और फेंक देता।

जब वह घर पहुँचा। तो उसने देखा पड़ोसी का थैला खाली हो चुका था और जब उसने अपना थैला खोला तो पाया कि पड़ोसी की जो-जो बुराइया उसने देखी थीं, वे सब उसके थैले में आ चुकी थीं। सारः दूसरों के दुर्गुण जानने से हमारे दोष दूर नहीं होते।

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)