bina vichaare jo kare sau peechhe pachhtaaye
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भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

वैभव नामक एक ब्राह्मण के घर जिस समय पुत्र ने जन्म लिया उसी समय उसे एक नेवले का बच्चा भी कहीं से मिल गया। उस नेवले के बच्चे को वह भाग्यशाली समझकर घर ले आया। वे दोनों बच्चे एक साथ पलने लगे।

एक दिन ब्राह्मण की पत्नी सुस्मिता नदी में स्नान करने जाते समय बच्चे की देखभाल करने के लिए अपने पति को सावधान कर गई। पत्नी के जाते ही ब्राह्मण को राजा के दरबार से निमंत्रण मिल गया। अब उस बेचारे वैभव के सामने बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हुई। यदि वह बच्चे को अकेला छोड़ता है तो मसीबत और यदि राजा का निमंत्रण स्वीकार नहीं करता है तो भी मुसीबत में पड़ता।

इसलिए उसने यही निर्णय लिया कि अपने लड़के की रक्षा के लिए इस नेवले को ही छोड़ जाए, क्योंकि राजा आज्ञा मानना आवश्यक है। यही सोचकर वह राज दरबार की ओर चला गया।

ब्राह्मण के जाने के बाद एक साँप कहीं से निकला और बच्चे की और बढ़ने लगा। नेवला उस साँप को देखते ही क्रोध में आकर उस पर टूट पड़ा और उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए। नेवले ने साँप को तो मार डाला था किन्तु उसका सारा शरीर खून से लतपत हो गया था क्योंकि साँप के साथ उसे जबरदस्त संघर्ष करना पड़ा था।

उधर ब्राह्मण भी राज दरबार से अपना काम निपटाकर दान-दक्षिणा लेकर आ गया था। उसने जैसे ही नेवले को खून से लतपत देखा तो उसने समझा कि नेवले ने उसके बच्चे को मार डाला हैं।

बस क्रोध में भरे ब्राह्मण ने आव देखा ना ताव, न ही कुछ सोचा-समझा। उसने लाठी उठाई और नेवले को मार डाला। अच्छाई का उस बेचारे नेवले को यह ईनाम मिला। नेवले को मारकर जैसे ही ब्राह्मण अंदर गया तो उसने देखा कि उसका बेटा तो गहरी नींद में सो रहा है। हाँ उसकी चारपाई के पास एक साँप के कई टुकड़े पड़े हैं।

वैभव सारी बात समझ गया। उसे पता चल गया कि उसने निर्दोष और वफादार नेवले की हत्या करके बहुत बड़ा पाप किया है। किन्तु अब तो कुछ नहीं हो सकता था। वह बार-बार यही सोच रहा था कि काश मैं पहले विचार कर लेता तो यह पाप न होता। इसलिए किसी ने ठीक ही कहा है कि कोई काम करने से पहले उस पर विचार जरूर करें।

शिक्षा- इस कहानी को पढ़कर हमें यह कि शिक्षा मिलती है कि कोई भी काम करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए तथा अपने वफादार सेवक पर भ्रमवश अविश्वास करने से पहले सत्य का पता अवश्य करें।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’