avsar
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एक बड़े धार्मिक प्रवृत्ति के व्यवसायी थे। उनका वस्त्रें का कारोबार था। एक रात उनकी दुकान में चोरी हो गई। उन्होंने इसे भगवान की मर्जी मानकर सब्र कर लिया। कुछ दिन बाद उन्हें एक और व्यवसायी का संदेश मिला। उसका कहना था कि उनके यहाँ जो सामान चोरी हुआ था, उसे एक आदमी बेचने के लिए उसकी दुकान पर लाया है। वह वहाँ जा पहुँचे और उस चोर से मिले।

चोर बताने लगा कि उसने गरीबी से तंग आकर ऐसा किया है। जिस दुकानदार को वह सामान बेचने लाया था, वह और उसके पड़ोसी चोर को पुलिस के हवाले कर देना चाहते थे। लेकिन उन्होंने कहा कि इसने गरीबी से लाचार होकर मेरा सामान चुराया है। यदि हम इसे पुलिस को सौंपते हैं तो यह इसके प्रति और अधिक अन्याय होगा। इससे बेहतर है कि हम इसके लिए काम की व्यवस्था करें ताकि इसे फिर कभी चोरों को विवश न होना पड़े और उन्होंने उस चोर से पूछा कि क्या वह उनकी दुकान पर नौकरी करना चाहेगा। यह सुनकर चोर उनके पैरों में गिर पड़ा।

सारः दंड के स्थान पर सुधरने का अवसर जीवन बदल सकता है।

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)