अलगाव—गृहलक्ष्मी की लघु कहानी: algawa Hindi Kahaniya
Algawa

Hindi Kahaniya: आशीष और सुभाष दोनों भाइयों में बड़ी ही घनिष्ठता थी।
दोनों एक दूसरे से अपनी सभी सुख-दुख बांटा करते थे।
परंतु आशीष के विवाह के बाद धीरे-धीरे स्थिति बदलने लगी माता पिता के साथ आशीष और सुभाष दोनों रहते थे। ना जाने बचपन की हंसी खेल कब बड़े होते हैं मुद्दों में बदलने लग गए बचपन में होने वाली नोकझोंक अब लड़ाई और झगड़े में तब्दील होने लगे थे पिता जी काफी समय तक यह सोचते रहे कि शायद कुछ दिनों में यह सब ठीक हो जाएगा|

परंतु ऐसा कुछ नहीं हो रहा था दिन पर दिन उनकी भी तबीयत बिगड़ती जा रही थी एक रात मा ने पिताजी से कहा क्यों ना अपने जीते जी इन समस्याओं का निदान कर दिया जाए हमारे जाने के बाद ना जाने यह दोनों कैसे रहेंगे।
यह बात सुनकर पिताजी की मानो नींद ही उड़ गई थी बच्चों के बीच अलगाव की बात जो बच्चे आज तक हंसी खुशी अपनी हर चीज है एक दूसरे के साथ साझा करते थे आज उनके बीच अलगाव की नौबत आ चुकी थी। कई दिनों तक आपसी मतभेद देखने के बाद अंततः पिताजी ने एक दिन आशीष और सुरेश दोनो भाइयों को अपने पास बुलाया और कहां मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है मैं अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहता हूं ।

आशीष ने कहा : पिताजी कैसे ज़िम्मेदारी या आपने तो अपनी सभी जिम्मेदारियों पूरी कर दी हैं। फिर आप क्यों चिंतित हो रहे हैं मां ने कहा तुम लोगों की रोज- रोज की लड़ाई झगड़े से हम भी तंग आ चुके हैं अगर तुम एक साथ मिलकर नहीं रह सकते तो सभी चीजों का बंटवारा कर दिया जाए जिससे कि घर में कम से कम शांति तो रहे सुरेश और आशीष एक दूसरे से कितना भी मतभेद रख दें परंतु अलग होने के बारे में कभी सोच ही नहीं सकते थे सुरेश ने तुरंत बोला मां तुम क्या कह रही हो यह अलगाव की बात तुम्हारे दिमाग में आई थी तो कहां से हम भाई-भाई हैं आपस में प्रेम करना और लड़ना झगड़ना एक अलग बात है परंतु अलगाव यह कैसे सोच लिया तुमने मैं अकेला बिना भाई के नहीं रह सकता तुम लोग ही तो मेरी पूरी दुनिया हो जिस दिन मेरी आंखें बंद होंगी मैं तुम लोगों को देखकर ही मरना चाहता हूं। आइंदा ऐसी बात सोचना भी मत।

यह कहते हुए सुरेश ने मांँ को गले से लगा दिया तभी आशीष ने जब पिताजी के पांव पकड़ दिए और कहा पिताजी मुझे माफ कर दीजिए मैं बड़ा था मुझे समझना चाहिए था अब हम बच्चे नहीं हैं हमारे हर बात का प्रभाव आप लोगों पर भी पड़ता है मैं अपनी गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूं अलगाव का मतलब है अपने ही खुशियों के टुकड़े कर देना हमें एक दूसरे से अलग मत कीजिए। आपका आशीर्वाद और प्रेम हमें बराबर चाहिए ,और हमेशा चाहिए बस यूं ही प्रेम और आशीर्वाद बनाए रखिए।