Social Story in Hindi: काजल की आंखों में लगा हुआ काजल धीरे-धीरे पिघलते हुए उसके पूरे चेहरे पर फैल रहा था।
वह मदहोश सी हो गई थी। उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये जो कुछ भी हो रहा था उसका कारण क्या था? इतना बड़ा छल, वो भी उसका ही पति उसके साथ कर रहा था और वह इन सबसे अनजान थी!!
अभी एक हफ्ते पहले की ही बात है। जब उसका जन्मदिन था।उसका पति राजन उसके लिए लाल गुलाब का बुके लेकर आया था।
“हैप्पी बर्थडे जानू !” उसने उसे अपने बाहों में भर लिया था।
वह भौंचक्की देखती रही।राजन को याद है शादी के इतने सालों बाद भी कि उसे लाल गुलाब पसंद है।
“ थैंक्यू, बहुत देर बाद उसने कहा था।
“मोस्ट वेलकम तुम्हारे लिए एक और सरप्राइज है!”
“ क्या?”
“ चलो दिखाता हूं ।उसने काजल की आंखों में अपना हाथ रख दिया और उसे धीरे-धीरे चलाते हुए अपने बेडरूम में ले आया और आईने के पास स्टूल पर बैठा दिया।
फिर उसने कहा “आंखें मत खोलना।” ड्रावर से निकाल कर डायमंड का सेट उसने आईने के पास रख दिया।
“अब धीरे-धीरे आंखें खोलो!” काजल ने अपनी आंखें खोली।एक गोल्ड के चेन पर डायमंड का पेंडेंट लगा हुआ था और उसके साथ कानों के भी डायमंड की लटकन। सामने चमचमाते हुए हीरे के सेट देखकर काजल और भी ज्यादा हैरान रह गई।
“यह क्या है?”
“जानू ,तुम्हारे लिए,लाओ मैं तुम्हें पहनाता हूं।” राजन ने अपने हाथों से काजल को गले में सेट पहनाया और कानों में लटकन।
आइने में अपने आप को देखकर काजल तो जैसे ठगी रह गई।
“क्या मैं इतनी खूबसूरत हूं।”
‘नहीं तुम नहीं मैं…, मैं खूबसूरत हूं और लकी भी कि तुम जैसी पत्नी मिली है मुझे।”
“और मैं …मैं अपने आप को क्या समझूं ,मेरे पास तो शब्द ही नहीं!”
“ किसी शब्द की जरूरत नहीं है !कुछ कहने की जरूरत नहीं ,बस तुम और मैं!” उसने अपनी बाजुओं में उसे छुपा लिया।
काजल उसके बाजुओं में छुपकर उसके अंदर से आते हुए शरीर से पसीने और परफ्यूम की खुशबू में डूबती-उतराती रही।
उसकी आंखें बार-बार छलछला रहीं थीं।
आखिर कौन से ऐसे सुकर्म किए थे उसने जो राजन जैसा पति मिला था।
राजन ने काजल से कहा “ सिर्फ मैं और तुम चलेंगे रेस्टोरेंट आज रात डिनर पर। तुम तैयार रहना।”
“पर बच्चे और अम्मा पापा ?”
“उन सब को तुम खाना खिला दो और दोनों को अम्मा पापा की जिम्मेदारी दे दो।
सिर्फ हम दोनों चलेंगे। मैंने एक रेस्टोरेंट बुक कर लिया है। आज तुम्हारा बर्थडे सेलिब्रेट करेंगे।”
काजल अपनी किस्मत को धन्यवाद देती हुई निहाल हो गई। उसने अम्मा पापा और अपने दोनों बच्चों के लिए खाना बनाया उन्हें खिलाने के बाद दोनों बाहर निकल गए।
हमेशा ही राजन काजल को पार्टी में ले जाता था इसलिए किसी को कोई एतराज भी नहीं था।
एक बढ़िया सा होटल में राजन ने एक टेबल बुक किया था। जिसमें लाल बैलून से सजे हुए थे और “हैप्पी बर्थडे माय डियर काजल !” लिखा हुआ प्लेट उसका इंतजार कर रहा था।
काजल हैरान रह गई। उसने केक कट किया राजन ने अपनी हाथों से उसे खिलाया और फिर तरह-तरह के खाना भी ऑर्डर किया।
बच्चों और अम्मा पापा के लिए भी मिठाई पैक करवा लिया।
हवा में उड़ती हुई काजल के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।
आखिर वह जमीन में क्यों चले जब उसे इतना प्यार करने वाला पति मिला है, इतना तवज्जो देने वाला पति मिला है!
काजल एक बिन मां के बच्ची थी ।उसके पिता रजनीकांत जी ने अकेले ही माता-पिता बनाकर उसकी परवरिश की थी। जब वह मात्र 13 साल की थी तभी उसकी मां की एक लंबी बीमारी की वजह से मृत्यु हो चुकी थी।
परिवार वालों ने रजनीकांत जी को कहा दूसरी शादी करने के लिए मगर फूल सी बच्ची का चेहरा देखने के बाद उन्होंने शादी का इरादा त्याग दिया।
जब तक उनकी मां यानी काजल की दादी जिंदा थी तब तक दादी के भरोसे वह पली। जब वह करीब 17 -18 साल की थी, तभी दादी का भी देहांत हो गया। तब से रजनीकांत जी उसे अकेले ही पाल रहे थे। जब भी उसकी शादी के बारे में बात होती उनका दर्द छलक जाता लेकिन वह अपने आंसुओं को पोंछ कर कहते “ नहीं बेटी ,तुम्हें तो शादी करके ससुराल ही जाना है। हर हाल में मैं अपने स्वार्थ के लिए दुनिया की रीत नहीं बदलूंगा।”
काजल की शादी उन्होंने अपने एक परम मित्र के बेटे से तय करते हुए उससे कहा था
“बहुत भरोसे से अपनी बिटिया तुम्हारे घर भेज रहा हूं मोहन, इसका ख्याल रखना।”
“अरे भरोसा रखो रजनीकांत ,तुम्हारी बेटी मेरी भी तो बेटी है ।”
मोहन बाबू के छोटे बेटे राजन के साथ काजल की शादी हो गई। काजल मोहन बाबू के घर आ गई ।
दोनों घर आस पास एक ही शहर में था। वह अपने ससुराल के साथ अपने पिता को भी देख लेती थी ।
कभी उसके पापा यहां आकर भी रह लेते थे।
लेकिन दो साल पहले अचानक ही रजनीकांत जी की तबीयत खराब होने लगी और फिर किसी के समझने से पहले ही वह चले गए हमेशा के लिए।
जाने से पहले उन्होंने अपना घर और सारी संपत्ति काजल और उसके बच्चों के नाम कर गए थे।
पिता के गुजरने के बाद काजल ने सबकी रजामंदी से अपने पापा के घर को किराए पर लगा दिया था।
वहां उसे अपने पापा की बहुत याद आती थी इसलिए वह उधर कम ही जाती थी।
अपना बर्थडे धूमधाम से मनाने के बाद काजल बहुत खुश थी। उसकी खुशी का फायदा उठाते हुए राजन उसके पास आकर बोला”काजल तुमसे मुझे कुछ काम था।”
“हां बोलो ना क्या काम था?” काजल खुशी से बोली।
“तुम्हारे पापा का जो घर है। उसे हम बेच देते हैं।”
“ मगर क्यों? काजल का चेहरा उतर गया, वह मेरे पापा की अंतिम निशानी है। मेरे बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं।”
“पर मेरी जरूरत से ज्यादा तो नहीं ना!”राजन रोआंसी शक्ल बनाकर बोला।
“मगर तुम्हें जरूरत क्या पड़ गई ?”
“क्या बताऊं तुम अम्मा पापा से मत कहना। मैंने किसी से कर्ज लिया था अपना साइड बिजनेस शुरू करने के लिए मगर वह तो कर्ज में डूब गया ।अब उसे उतारने के लिए मुझे कुछ तो चाहिए। अब पापा तो मुझे देने से रहे तो मुझे तुमसे ही उम्मीद है।”
काजल की आंखों में आंसू आ गए मगर उसे अपने पापा का दयनीय चेहरा उसके आगे से घूम गया।
लेकिन वह मजबूर थी। अपने पति को कर्ज में डूबते हुए तो नहीं देख सकती थी।
“ ठीक है मैं देखती हूं।”
“मैं वकील को लेकर आऊंगा ।तुम पावर ऑफ अटॉर्नी मुझे दे देना। मैं उसे बेचकर सारे कर्ज चुका दूंगा। थैंक्यू काजल!”
काजल को अपने पापा की निशानी बेचने का बिल्कुल भी मन नहीं था लेकिन!!
आज उसे अपने पापा की बड़ी याद आ रही थी।
उसने दिन का खाना सबको खिला दिया।राजन अपने आफिस में था।वह घर में बताकर अपने पापा के घर के लिए निकल गई।
वहां दो किराएदार रहते थे। एक में एक बैंक के कर्मचारी रहते थे और दूसरे में एक होटल में काम करने वाले कर्मचारी।
उसका होटल राजन के ऑफिस के पास ही था।
जैसे ही अवंतिका की नजर काजल पर पड़ी उसने तेज आवाज में भीतर बुलाया।
“नमस्ते अवंतिका!”
“आओ बैठो काजल, फिर उसने अपने पिता को आवाज देकर बुलाया।
राय बाबू आकर बैठ गए।
“और बेटा कैसी हो? कभी कभार हमलोगों की भी खबर रख लिया करो।आओ चाय पीओ।”
“अंकल मैं अपना घर अंतिम बार देखने आई हूं। इसे मैं बेचना चाहती हूं।”काजल ने उन्हें सारी बातें बताया।
“ बेटा तुम्हारा घर है, तुम्हारी प्रॉपर्टी। मैं तो कुछ भी नहीं कहूंगा। तुमको बेचना है बेचो मगर एक बार अपने पति की असलियत जान लो, तुम्हें बुरा लगेगा। मैंने कई बार तुमसे कहने की कोशिश भी किया था मगर मैं कुछ कह नहीं पाया !”
“क्या कह रहे हैं आप?”
“हां काजल तुम्हारे पति का किसी और के साथ चक्कर चल रहा है और मुझे लगता है कि वह यह प्रॉपर्टी बेचकर उसके नाम करना चाहता है और फिर तुम्हें तलाक भी दे देगा।”
“आप झूठ बोल रहे हैं अंकल ?या तो आपको कोई गलतफहमी हो गई है।”
“नहीं बेटा न तो मैं झूठ बोल रहा हूं और न ही कोई गलतफहमी हुई है।मैं तुम्हारे बाप की तरह हूं और तुम कहती थी ना कि मुझमें अपने मेरे में पापा नजर आते हैं तो मैं तुमसे बिल्कुल झूठ नहीं कहूंगा।
मैं तुमसे पहले भी कुछ कहना भी चाहता था लेकिन क्या कहूं तुम्हारी खुशी के बीच में दखलंदाजी नहीं करना चाहा लेकिन अब जब बात सिर से ऊपर जा रही है तो मुझे मुंह खोलना पड़ा ।
अगर तुम्हें यकीन नहीं तो तुम फोर्थ स्टार होटल,जहां मैं काम करता हूं। वहां जाकर देख लेना। वहां अक्सर यह दोनों मिलते-जुलते हैं। तुम कहोगी तो मैं भी तुम्हें ले चलूंगा।”
“हां अंकल।”
“किसी को शक ना हो, तुम चुपचाप मेरे साथ चल लेना।”
“ठीक है राय अंकल!”
जब राजन ऑफिस चला गया। दिन का खाना बनाकर अपने सास ससुर को खिलाने के बाद उसने कहा “पापा, मां, मुझे साड़ी लेने जाना है। मैं बाजार से होकर आती हूं।”
फिर वह राय अंकल के साथ चुपके से होटल की ओर निकल गई। वहां का नजारा देखकर उसकी उसकी आंखें फटी की फटी रह गई।
राजन जिस तरह से होटल में एक लड़की के साथ चिपक कर बैठा हुआ था। यकीन करने के लायक ही नहीं था। दोनों एक दूसरे के बाहों में मगन होकर पी खा रहे थे।
“ यही है इसका बिजनेस! यही इसका बिजनेस कर्ज में डूब गया था !!”काजल ने अपने आप से कहा ।
“अब यकीन हो गया ना इसलिए कह रहा था कि तुम अपनी प्रॉपर्टी किसी के नाम मत करो। तुमने किया तो नहीं?”
“ नहीं अंकल अभी तो नहीं किया। अब मैं प्रॉपर्टी नहीं, तलाक का कागज उसके नाम करूंगी। मुझे जरूरत नहीं ऐसे पति का। यह सिंदूर मेरा सौभाग्य नहीं दुर्भाग्य बन गया है। भले ही पापा चले गए नहीं तो आज उनके दिल को कितना दुख होता!” काजल फूट फूट कर रो पड़ी।
“नहीं बेटा, यह वक्त रोने का नहीं अपने आप को संभालने का है।
तुम अपने आप को संभालो ।दोनों बच्चों को संभालो। बुद्धिमानी से सारा रास्ता तुम्हें साफ करना है।”
आप सही कहते हैं अंकल !”
रजनीकांत जी ने बगैर छानबीन किए ही काजल का ब्याह राजन के साथ कर दिया। शादी से पहले ही उसका चक्कर अपनी सहकर्मी के साथ था।
अपने माता-पिता के दबाव में काजल से शादी कर लिया। मोहन बाबू ने भी रजनीकांत जी को अंधेरे में रखा था।काजल अच्छे खाते पीते घर की थी।
जब राजन ने देखा कि वह पैसे वाले घर की है और इकलौती वारिस । पिता के बाद सारी संपत्ति तो उसी की होगी इसलिए उससे शादी करने के लिए तैयार हो गया मगर वह अभी भी अपनी गर्लफ्रेंड प्रीति के साथ मिलता-जुलता था।
राजन की नजर काजल के घर पर पड़ गई थी। वह उस घर को हासिल करना चाहता था इसलिए कुछ विशेष प्रेम काजल पर उड़ेल रहा था। जिससे काजल अनजान थी।
लेकिन अब उसकी आंखें खुल गईं थीं। वह चुपचाप घर लौट आई।
अपने हाथों से तलाक के पेपर साइन करने के बाद वह अपनी आंखें बंद कर बैठ गई
“आखिर उसकी खता क्या थी जो उसे ऐसा बेवफा पति मिला!!!”
इसका जवाब किसी के भी पास नहीं था।
