Emotional Development in Children
Emotional Development in Children

Summary: खुशी ही सारी भावना नहीं है

बच्चों को हमेशा खुश रखना उन्हें भावनात्मक रूप से कमजोर बना सकता है, संतुलित विकास के लिए सभी भावनाओं का अनुभव जरूरी है।

Emotional Development in Children: कोई भी माता-पिता अपने बच्चे को दुखी या उदास नहीं देखना चाहते हैं। सभी माता-पिता की कोशिश होती है वह अपने बच्चे को हर समय खुश रखें, उनका बच्चा हर समय मुस्कुराता रहे, पर क्या हर बार बच्चे के छोटे-छोटे चोट पर माता-पिता का हाइपर होकर उन्हें चुप करना या खुश करने की कोशिश में लग जाना सही है? नहीं, अगर आप बच्चे की छोटी-छोटी परेशानी में भी उन्हें खुश करने के लिए उनके पसंद के खिलौने और कपड़े दिलवाते हैं तो यह गलत है। माता-पिता का इस तरह का बर्ताव बच्चों के इमोशनल विकास में बाधा पहुंचती है। बच्चा भविष्य में आने वाली परेशानियों के प्रति भावनात्मक रूप से मजबूत नहीं बन पाता है। आइए इस लेख में जानते हैं माता-पिता किस तरह इस परेशानी से निपट सकते है।

Emotional development in children
All emotions are important for children

एक बच्चे का सही और पूरा विकास जब होता है, जब बच्चा शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही रूपों से मजबूत हो। बच्चे के भावनात्मक अर्थात इमोशनल डेवलपमेंट के लिए उसके अंदर सभी भावनाओं को समझना तथा उससे निपटना सिखाना जरूरी है। अगर आप बच्चे को सिर्फ खुश रखने की कोशिश करते हैं तो बच्चे में दुख, निराशा, डर और गुस्से जैसे भावनाओं के प्रति समझ विकसित नहीं होता है और बच्चे का इमोशनल डेवलपमेंट से पूरी तरह से नहीं होता है।

क्यों जरूरी है बच्चों के लिए सभी भावनाएं: जब बच्चा डर, गुस्से जैसे नकारात्मक भावनाओं से परिचित होता है तो बच्चा उससे निपटने का प्रयास करता है। इस तरह के नकारात्मक भावनाओं से निपटना बच्चों के अंदर धैर्य और सहनशीलता का विकास करता है। वह इससे बाहर निकालने के लिए उन्हें सुलझाने का प्रयास करता है और सबसे जरूरी बच्चा अपने भावनाओं को समझ कर उन्हें व्यक्त करना सीखता है।

आजकल सोशल मीडिया ज्ञान में यह तेजी से फैल रहा है कि बच्चों को हमेशा पॉजिटिव माहौल दें, उन्हें दुखी ना रखें इसके लिए पेरेंट्स पूरी कोशिश भी कर रहे हैं। बच्चे के रोने पर तुरंत उनकी मांगे पूरी की जाती है, बच्चों के कठिन परिस्थितियों में पड़ने से पहले माता-पिता उसका समाधान कर देते हैं। पर सच में तो यह है की माता-पिता द्वारा इस तरह की हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग बच्चों के भावनात्मक विकास में बाधा पहुंचते हैं।

बच्चों को हमेशा खुश रखने के नुकसान:

अगर माता-पिता बच्चों की परेशानियां हल करने में हमेशा मदद करते हैं तो बच्चा भविष्य में नई परेशानियों के आने से डरता है, वह कुछ भी नया करने से बचता है, वह किसी परेशानी से निकलने के लिए हमेशा दूसरों की मदद चाहता है।

हमेशा खुश रहने से बच्चा भविष्य में छोटी परेशानियों से भी हताश हो जाता है, वह उसे बड़ी मुसीबत मन कर हार मान लेता है। कोई दूसरा उसे संभाले ऐसी भावना बच्चों के अंदर होती है, बच्चा आत्मनिर्भर नहीं बन पाता है।

अगर माता-पिता बच्चों को हर समय खुश रखते हैं तो उसके अनुभव में जीवन बिल्कुल परफेक्ट होता है, वह भविष्य के असली अनुभवों के लिए तैयार नहीं हो पता है जिससे आगे चलकर उसे मानसिक दबाव और तनाव का सामना करना पड़ सकता है।

बच्चों की सभी भावनाएं स्वीकारें: अगर बच्चा आपसे कहता है वह दुखी है या डर रहा है तो उसे नकारे नहीं उसे स्वीकार करें। अगर आपका बच्चा कहता है अंधेरे कमरे में उसे डर लग रहा है, मैं वहां नहीं जाऊंगा तो उससे कहें ठीक है, अंधेरे से सबको डर लगता है चलो हम साथ में कमरे में चलते हैं, पहले हम लाइट चलाएंगे फिर वहां खेलेंगे।

उनके हार को स्वीकारें पर हारने ना दें: अगर आपका बच्चा किसी खेल में हार जाता है तो उससे कहें गेम है, गेम में हारना और जितना चलता है, कोई बात नहीं हम दोबारा प्रयास करेंगे, तुम अच्छा करोगे मैं जानती हूं तुम फिर से कोशिश करो।

निशा निक ने एमए हिंदी किया है और वह हिंदी क्रिएटिव राइटिंग व कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। वह कहानियों, कविताओं और लेखों के माध्यम से विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। साथ ही,पेरेंटिंग, प्रेगनेंसी और महिलाओं से जुड़े मुद्दों...