parental mental fatigue and child development
parental mental fatigue and child development Credit: Istock

Child Development Tips: आज के भाग-दौड़ भरे जीवन में पेरेंटिंग एक मुश्किल काम बनता जा रहा है। तेज रफ्तार जीवन में जिम्मेदारियां लगातार बढ़ती जा रही है। जैसे, ऑफिस की जिम्मेदारी, घर की जिम्मेदारी, खुद को अच्छा दिखाने का दबाव, सोशल मीडिया पर बने रहने का दबाव, उस पर पेरेंटिंग का दबाव, खुद को परफेक्ट पेरेंट्स बनाने का दबाव। इन सभी जिम्मेदारियों और दबाव में आज के माता-पिता खुद को मानसिक रूप से थका हुआ महसूस करते हैं। मानसिक थकान के कारण माता-पिता अपने बच्चों की अच्छी परवरिश से चूक रहे हैं। पेरेंट्स के मानसिक थकान का बच्चों के विकास पर बुरा असर पड़ता है। आइए इसके बारे में और अधिक जानते हैं, क्या है मानसिक थकान और किस तरह पड़ रहा है बच्चों पर इसका असर।

व्यक्ति जब लगातार तनाव और चिंता में रहता है और अपने ऊपर हर समय जिम्मेदारियों का दबाव महसूस करता है तो उसका दिमाग स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करता है, जिससे व्यक्ति मानसिक रूप से थका हुआ महसूस करता है। मानसिक थकान का असर शारीरिक थकान से अलग है। मानसिक थकान आपके सोचने की क्षमता या कहे मस्तिष्क के कार्य क्षमता पर असर डालता है। जिस कारण व्यक्ति के अंदर निर्णय लेने की क्षमता में कमी आती है तथा उसके सहनशीलता पर भी असर पड़ता है, उसे जल्दी क्रोध आता है।

parental mental fatigue and child development
parental mental fatigue and child development

माता-पिता के किसी भी परेशानी का सीधा असर पेरेंटिंग पर होता है। मानसिक दबाव के कारण पेरेंट्स बच्चों की परवरिश में ध्यान नहीं दे पाते। गुस्से में, चिड़चिड़े रहते हैं, इसका बच्चों पर बुरा असर पड़ता है। जैसे,

भावनात्मक जुड़ाव में कमी: पेरेंट्स अपने मानसिक थकान के कारण बच्चों को समय नहीं दे पाते। वह उनकी बातों को अनसुना या इग्नोर करते हैं। जिससे बच्चा महसूस करता है कि उसके माता-पिता के पास उसके लिए समय नहीं है। इस तरह माता-पिता का बच्चे पर ध्यान की कमी के कारण बच्चा भावनात्मक रूप से माता पिता से कम जुड़ाव महसूस करता है।

नकारात्मक व्यवहार: मानसिक थकान के कारण पेरेंट्स जल्दी ही अपने बच्चों पर गुस्सा हो जाते हैं, उन्हें डांटे हैं या चिड़चिड़े रहते हैं। बच्चे माता-पिता का अपने प्रति इतना असंवेदनशील व्यवहार देखकर दुखी हो जाते हैं और उनके अंदर नकारात्मक विचार भरने लगते हैं। जैसे, हमारे माता-पि।ता को हम पसंद नहीं या वह हमें प्यार नहीं करते

गलत व्यवहार सीखना: बच्चा जिस तरह का व्यवहार माता-पिता को करते देखा है, वही व्यवहार वह भी सीखता है। उसके व्यवहार में भी गुस्सा और चिड़चिड़ापन आ जाता है।

आत्मविश्वास में कमी: माता-पिता के अनदेखा करने पर बच्चों को अपने द्वारा किए गए कार्य में कमी नजर आती है। जिससे बच्चा सोचता है वह कोई भी काम ऐसा नहीं कर पाता जिससे माता-पिता खुश हों और उसके आत्मविश्वास में कमी आ जाती है।

खुद की देखभाल करें: अपना दिन शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठकर कर कम से कम खुद को हर रोज एक घंटा दें। इस 1 घंटे में आप योग, व्यायाम, वॉक या अपने पसंद का कोई भी काम करें। इससे आप पूरे दिन खुद को अच्छा महसूस करवा सकते हैं।

बच्चों को गुणवत्तापूर्ण समय दें: ऐसा नहीं है कि आप सारा दिन अपना काम छोड़कर बच्चों के साथ रहें, बल्कि आप जितना समय बच्चों को दें, उस समय में अपना पूरा ध्यान उसकी बातों को सुनने और उसके साथ उसके पसंद के कार्यों में लगाएं।

मदद लें: अगर आपको लगता है, आपकी परेशानी के लिए आपको किसी से बात करने की जरूरत है तो अपने परिवार, दोस्त या काउंसलर की मदद लें।


निशा निक ने एमए हिंदी किया है और वह हिंदी क्रिएटिव राइटिंग व कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। वह कहानियों, कविताओं और लेखों के माध्यम से विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। साथ ही,पेरेंटिंग, प्रेगनेंसी और महिलाओं से जुड़े मुद्दों...