Hindi Short Story: ज़िन्दगी में कुछ ऐसे क़िस्से होते है …
जो हमारी यादों और दिल के अहम् हिस्से होते है ।
बात 1968 की है, दरसल उस दिन माँ और पापा कानपुर के “हीरपैलेस” सिनेमा हॉल से ‘मनोजकुमार’ की “उपकार” फ़िल्म देखकर घर को लौट रहे थे कि ज़ोरदार बिजली की घरघराहट के साथ मूसलाधार बरसात होने लगी।
अगस्त की इस बारिश में भीगते माँ -पापा ने माल रोड की उस दुकान के पास अपनी राजदूत मोटर साइकल को रोककर, भागकर एक छज्जे के नीचे शरण ली ।
डर था कि, माँ कहीं बीमार ना पड़ जाए ; क्यूँकि उस वक्त उनके गर्भ में एक नन्ही सी जान यानि की हम पल रही थी ।
पल्लू से सिर को ढाँके हुए माँ नज़रों से मॉल रोड की आलीशान दुकानो को निहार रही थी कि अचानक माँ की नज़र साड़ी की मशहूर दुकान “छत्ता राम“ सॉन्स के शो केस में रखी mannequin पर अटक गयी।
जिस पर बेहद खूबसूरत, आकर्षक, गुलाबी बनारसी सिल्क की साड़ी सजी थी। माँ बड़ी हसरत भरी नज़रों से निहार रही थी , उस गुलाबी रेशमी साड़ी को और पापा माँ की नज़रों में उस लुभावनी साड़ी की चमक को देख रहे थे ।
पापा तुरन्त भाँप गए और माँ से बोले …. कि लगता है तुम्हारा दिल आ गया है , इस साड़ी पर …
( माँ को बाज़ार जाने का या खुद के लिए ख़रीददारी का क़तई चाव नहीं था)। बाहर बारिश धीरे-धीरे थम रही थी और माँ के दिल में साड़ी लेने की ख्वाहिश जम रही थी ।
लिहाज़ा पापा साड़ी का दाम पूछने के लिए शोरूम में जा पहुँचे लेकिन साड़ी की क़ीमत सुनते ही माँ ने पापा का हाथ ज़ोर से पकड़ा और बड़े ही प्यार से बोली …. …. दूर से ही अच्छी लग रही थी, ऐसा तो कुछ भी ख़ास नहीं चलो,चलो घर चलो ।
उस वक्त उस साड़ी की क़ीमत 350/- रुपये थी और पापा को तनख़्वाह मात्र 100/- रुपये माह थी ।
रात भर गुणा-भाग करते पापा की आँखो से नींद कोसों दूर थी और साड़ी दिल के एकदम क़रीब ; कुछ भी हो साड़ी तो मैं ला कर ही रहूँगा और सुबह होते ही उठाई मोटर-साइकल जा पहुँचे ”छत्ताराम” की दुकान और इस तरह ये रेशमी गुलाबी साड़ी ‘उपकार’ सिनेमा के बाद ‘उपहार’ बन कर मिली मेरी माँ को मेरी माँ बनने का तोहफ़े के रूप में ।
बचपन से जवानी तक हमने इस साड़ी में माँ को ना जाने कितने विवाह समारोह, कितने उत्सव , तीज़ – त्यौहारों को मानते देखा है सजते संवारते देखा और यही है, वो ख़ूबसूरत साड़ी जिसे पहली बार हमने अपनी स्कूल की सखी की शादी में पहना था ।
आज भी इस साड़ी की चमक़ वैसे ही बरकरार है ,
माँ और मेरा इस गुलाबी रेशमी साड़ी से प्यार बेशुमार है ।
मां की गुलाबी रेशमी साड़ी—गृहलक्ष्मी की कहानियां
