भारत कथा माला
उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़ साधुओं और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं
Brother Story: विंध्य प्रदेश में विन्ध्यवासनी देवी सर्वपूज्य हैं। विन्ध्यासनी देवी के बारह पुत्र थे। उन बारह भाइयों को ‘वेनकार’ कहा जाता था। एक बार वे बारह भाई अपना अपना तीर कमान लेकर शिकार करने के लिए जंगल में गए। जंगल में एक हृष्ट-पुष्ट जंगली सूअर दिखने पर उसका शिकार करने के लिए वे उसका पीछा करने लगे। पीछा करते-करते बहुत देर हो गयी। सूअर कभी दिखता, कभी छिप जाता। ऐसी शंका हुई कि सूअर भाग न जाए, इसलिए एक भाई ने झटपट तीर चला दिया। निशाना ठीक से न साध पाने के कारण बाण निशाने पर नहीं लगा और सूअर बच गया। वह बाण बाहर वेग से दौड़ते हुए चलाया गया था इसलिए तीव्र गति से जाते हुए जगन्नाथपुरी के जगन्नाथ मंदिर के मुख्य दरवाजे के पल्ले में बिंध गया।
कुछ ही देर में चारों और हल्ला हो गया। लोगों ने तीर को खींचकर निकालने के लिए खूब जोर लगाया पर तीर टस से मस न हुआ। राजा को खबर मिली तो उसने हाथी भेजकर उसके पैरों में रस्सी बाँधकर तीर को खिंचवाया पर असफल रहा।
तब तक वे बारह वेनकार भाई अपने शिकार का पीछा करते-करते जगन्नाथपुरी जा पहुंचे। उन्होंने आसानी से तीर को पकड़कर खींच निकाला। उनकी एकता और शक्ति से राजा बाहर प्रभावित हुआ और उन्हें बख्शीश में जमीन का एक बड़ा हिस्सा देकर अपने राज्य में बसा लिया। वेनकार भाइयों के वंशज तीर से अचूक निशाना बंधने की विरासत के कारण बिंझवार कहलाए।
वेनकार भाइयों ने वराह पर तीर चलाकर, उसका पीछा कर भूमि पाई इसलिए वे बिंझवार जो भूमि के स्वामी होते हैं बरिहा (वराह के कारण संपन्न-समृद्ध) कहे जाते हैं। जैसे वेनकारों को अपनी कुशलता और एकता का फल मिला, वैसा ही सबको मिले।
भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’
