Overview:दोहरी चुनौतियां, लेकिन सही समझ और सहयोग से संभव है संतुलित जीवन
ऑटिज़्म और एडीएचडी का एक साथ होना चुनौतीपूर्ण ज़रूर है, लेकिन असंभव नहीं। सही मार्गदर्शन, सहयोग और सकारात्मक वातावरण से प्रभावित व्यक्ति भी संतुलित और सफल जीवन जी सकता है। समाज की जागरूकता और स्वीकृति ही उनकी सबसे बड़ी ताक़त बन सकती है।
AuDHD : ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) दोनों ही न्यूरोडेवलपमेंटल स्थितियां हैं। जब ये दोनों साथ होती हैं, तो बच्चों और बड़ों के लिए जीवन और भी जटिल हो सकता है। लेकिन सही जानकारी, सहयोग और समर्थन से यह सफर आसान बनाया जा सकता है।
ऑडएचडी क्या है

ऑडएचडी (AuDHD) तब कहा जाता है जब किसी व्यक्ति में ऑटिज़्म (ASD) और एडीएचडी (ADHD) दोनों की प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं। यह एक जटिल न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति होती है जो अलग-अलग लोगों को अलग तरीकों से प्रभावित कर सकती है। यह कोई अलग आधिकारिक बीमारी का नाम नहीं है, लेकिन शोध बताते हैं कि करीब 70% ऑटिज़्म वाले बच्चों में एडीएचडी के लक्षण भी देखे जा सकते हैं, और लगभग दो-तिहाई एडीएचडी वाले बच्चों में ऑटिज़्म जैसी विशेषताएं मिल सकती हैं।
ऑडएचडी के लक्षण

ऑडएचडी वाले बच्चों या बड़ों में एडीएचडी और ऑटिज़्म दोनों के लक्षण देखे जा सकते हैं। इनमें ध्यान की कमी, बहुत ज़्यादा एक्टिव रहना, अचानक फैसले लेना, किसी काम पर लंबे समय तक ध्यान न लगा पाना, या काम को व्यवस्थित तरीके से पूरा न कर पाना शामिल है।
साथ ही, उन्हें तेज आवाज़, तेज रोशनी या कुछ खास कपड़ों की बनावट से बहुत ज़्यादा परेशानी हो सकती है। सामाजिक संकेत समझने में कठिनाई, बातचीत शुरू करने या दोस्ती बनाने में दिक्कत, टाइम मैनेजमेंट में कमजोरी, चीज़ों को प्लान करने और व्यवस्थित रखने में कठिनाई भी हो सकती है। कई बार वे भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते, जिससे तनाव, चिंता या अचानक गुस्सा आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
पहचान और इलाज
ऑडएचडी का सही निदान करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके कई लक्षण दूसरी मानसिक समस्याओं से भी मिलते-जुलते हैं। इसके लिए किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से पूरा मूल्यांकन कराना ज़रूरी होता है।
इलाज में आमतौर पर कई तरीके शामिल होते हैं , जैसे बेहवियरल थेरेपी जिससे ध्यान, सेल्फ – कंट्रोल और सोशल स्किल्स बेहतर किए जा सकें। डॉक्टर ज़रूरत पड़ने पर एडीएचडी के लिए दवाइयां भी दे सकते हैं। साथ ही, ऑटिज़्म से जुड़ी थेरेपी और दिनचर्या बनाना भी मददगार होता है।
इसके अलावा, लाइफस्टाइल में बदलाव, आत्म-देखभाल और सपोर्ट ग्रुप्स से जुड़ना भी बहुत लाभकारी होता है।
ऑडएचडी के साथ जीवन
ऑडएचडी वाले लोगों के लिए रोज़मर्रा का जीवन चुनौती भरा हो सकता है। उन्हें एक तरफ व्यवस्थित माहौल चाहिए होता है, तो दूसरी तरफ वे अचानक कुछ नया करने की इच्छा भी रखते हैं। वे जल्दी थक जाते हैं क्योंकि उन्हें अपनी दिक्कतें छुपाने या संभालने में बहुत मानसिक मेहनत करनी पड़ती है।
फिर भी, ऐसे लोग बहुत रचनात्मक और नवाचारी हो सकते हैं और अपनी पसंद की चीज़ों में दिल से जुड़कर काम कर सकते हैं। अगर उन्हें मानसिक सहयोग, आत्म-स्वीकार, सही मार्गदर्शन, और शिक्षा या नौकरी में जरूरी सुविधाएं दी जाएं, तो वे अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल कर एक अच्छा जीवन जी सकते हैं।
Input By – डॉ. आस्तिक जोशी , चाइल्ड व एडलसेंट और फॉरेंसिक साइकाइट्रिस्ट, वेदा चाइल्ड & एडोलसेंट डेवलपमेंटल -बिहेवियरलक्लिनिक , नई दिल्ली और फोर्टिस हेअल्थ्केयर
