महिलाओं में गर्भाश्य के मुख को सर्विक्स कहा जाता है, जिसकी जांच योनी के ज़रिए की जाती है। अगर सर्विक्स में असामान्य या प्री-कैंसेरियस कोशिकाएं विकसित होने लगें तो सरवाईकल कैंसर हो जाता है। मनुष्य की सर्विक्स में दो भाग होते हैं- एक्टोसर्विक्स जो गुलाबी रंग को होता है और स्क्वैमस कोशिकाओं से ढका होता है। दूसरा- एंडोसर्विक्स जो सरवाईकल कैनाल है और यह काॅलमनर कोशिकाओं से बना होता है। जिस जगह पर एंडोसर्विक्स और एक्टोसर्विक्स मिलते हैं उसे ट्रांसफोर्मेशन ज़ोन कहा जाता है, यहं असामान्य एवं प्री-कैंसेरियस कोशिकाएं विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
एचपीवी सरवाईकल कैंसर का मुख्य कारण हैं
सरवाईकल कैंसर के 70-80 फीसदी मामलों में इसका कारण एचपीवी यानि हृुमन पैपीलोमा वायरस होता है। 100 विभिन्न प्रकार के एचपीवी हैं, इनमें से ज़्यादातर के कारण सरवाईकल कैंसर की संभावना नहीं होती। हालांकि एचपीवी-16 और एचपीवी-18 के कारण कैंसर की संभावना बढ़ जाती है, अगर किसी महिला को एचपीवी इन्फेक्शन हो, तो उसे तुरंत डाॅक्टर की सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि उसमें सरवाईकल कैंसर की संभवना बढ़ जाती है।
पैप टेस्ट का महत्व
प्रीकैंसेरियस सरवाईकल कोशिकाओं के कारण स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते, इसलिए पैप एवं एचपीवी टेस्ट के द्वारा नियमित जांच कराना जरूरी है। इस तरह की जांच से प्री-कैंसेरियस कोशिकाओं का जल्दी निदान हो जाता है और सरवाईकल कैंसर होने से रोका जा सकता है।
नीचे दिए गए लक्षणों पर ध्यान दें
अडवान्स्ड सरवाईकल कैंसर के कुछ संभावी लक्षण हैंः
- पीरियड्स के बीच अनियमित ब्लीडिंग, यौन संबंध के बाद ब्लीडिंग, मेनोपाॅज़ के बाद ब्लीडिंग, पेल्विक जांच के बाद ब्लीडिंग
- श्रोणी में दर्द, जो माहवारी की वजह से न हो
- असामान्य या हैवी डिस्चर्ज, जो बहुत पतला, बहुत गाढ़ा हो या जिसमें बदबू आए
- पेशाब के दौरान दर्द और बार-बार पेशाब आना
- ये लक्षण किसी अन्य स्थिति के कारण भी हो सकते हैं, इसलिए डाॅक्टर से जांच कराएं।
जोखिम के कारक
निम्नलिखित कारकों से सरवाईकल कैंसर की संभावना बढ़ जाती है
- अगल लड़कियां जल्दी सेक्स शुरू कर दें
- 10 साल से अधिक समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने से उन महिलाओं में सरवाईकल कैंसर की संभावना चार गुना बढ़ जाती है जो एचपीवी पाॅज़िटिव हैं।
- जिनकी बीमारियों से लड़ने की ताकत कमज़ोर हो।
- जिन महिलाओं के एक से अधिक सेक्स पार्टनर हों।
- जिन महिलाओं में यौन संचारी रोग यानि एसटीडी का निदान हो।
सरवाईकल कैंसर की जांच और निदान
- पैनीनिकोलाओ टेस्ट (पैप स्मीयर) सरवाईकल कैंसर की जांच का आधुनिक तरीका है, जो महिलाओं की नियमित जांच प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। इसके लिए डाॅक्टर महिला के सर्विक्स से कोशिकाएं लेता है और माइक्रोस्कोप में इनकी जांच करता है। अगर इस जांच में कुछ असामान्य पाया जाता है और बायोप्सी के लिए सरवाईकल टिश्यू लेकर आगे जांच की जाती है।
- एक और तरीका है कोल्पोस्कोपी जिसमें डाॅक्टर एक हानिरहित डाई या एसिटिक एसिड से सर्विक्स को स्टेन करत है जिससे असामान्य कोशिकाएं आसानी से दिख जाती हैं। इसके बाद कोलपोस्कोप की मदद से असामान्य कोशिकाओं की जांच की जाती है, जिसमें सर्विक्स का आकार 8 से 15 गुना दिखाई देता है।
- एक और तरीका है लूप इलेक्ट्रोसर्जिकल एक्सीज़न प्रोसीजर (एलईईपी) जिसमें डाॅक्टर वायर के इलेक्ट्रिाईड लूप की मद से सर्विक्स में सैम्पल टिश्यू लेकर बायोप्सी करता है।
लम्बे समय तक एचपीवी इन्फेक्शन होने से कोशिकाएं कैंसर के ट्यूमर में बदल सकती हैं। नियमित रूप से पैप स्मीयर के द्वारा सरवाईकल कैंसर की जांच की जा सकती है। इससे समय पर निदान कर इलाज किया जा सकता है।