Cervical cancer सर्विक्स सेल्स यानी गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में होता है। यह यूटरस (गर्भाशय) का निचला हिस्सा है, जो वजाइना से जुड़ता है। फरीदाबाद स्थित एशियन हॉस्पिटल की रेडिएशन ऑनकोलॉजी की असोसिएट डायरेक्टर, डॉ नीतू सिंघल से सर्वाइकल कैंसर के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में जानते हैं।
महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर बढ़ने का कारण
ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के विभिन्न स्ट्रेन, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन, अधिकांश सर्विकल कैंसर पैदा करने में भूमिका निभाते हैं। एचपीवी के संपर्क में आने पर, शरीर का इम्यून सिस्टम आमतौर पर वायरस को नुकसान पहुंचाने से रोकता है। बहुत कम लोगों में वायरस सालों तक जिंदा रहता है और इस प्रक्रिया में कुछ सर्विकल सेल्स कैंसर सेल्स बन जाते हैं।

सर्विकल कैंसर के लक्षण
- पेल्विक में दर्द
- वजाइना से बदबू वाला डिस्चार्ज
- वजाइना में जलन
- पेट फूलना
- पीरियड से पहले और बाद में भी ब्लीडिंग
- सेक्स के दौरान दर्द
- हमेशा थकान महसूस होना
- शरीर में तरल पदार्थ की कमी

सर्विकल कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट यानी पैप स्मीयर क्या है?
पैप स्मीयर सर्विकल कैंसर (गर्भाशय कैंसर) के लिए एक जांच प्रक्रिया है। इस जांच से गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) पर कैंसर पूर्व या कैंसर सेल्स की उपस्थिति का पता चलता है। गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय के मुंह को कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, गर्भाशय के मुंह (ग्रीवा) पर से कोशिकाओं को धीरे से निकाल लिया जाता है और असामान्य विकास का पता लगाने के लिए इसकी जांच की जाती है। यह प्रक्रिया अस्पताल में की जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान हल्की असुविधा हो सकती है, लेकिन आम तौर पर इससे लंबे समय तक दर्द नहीं होता है।
किसे पैप स्मीयर टेस्ट कराने की आवश्यकता है?
- सभी महिलाओं को 21 साल की उम्र से ही हर तीन साल में पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए।
- जिन महिलाओं को कैंसर या इंफेक्शन का अधिक खतरा रहता है, उन्हें नियमित रूप से यह टेस्ट करवाना चाहिए। इसके अलावा, एचआईवी पाॅजिटिव महिलाओं या कीमोथेरेपी या अंग प्रत्यारोपण के कारण कमजोर इम्यून सिस्टम वाली महिलाओं को भी यह टेस्ट नियमित रूप से कराना चाहिए।
- 30 से अधिक उम्र की महिलाएं जिनके पैप स्मीयर परीक्षण की रिपोर्ट सामान्य आयी है, वे डाॅक्टर से सलाह लेकर हर पांच साल में एक बार यह टेस्ट करा सकती हैं, साथ ही ह्युमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) स्क्रीनिंग भी करा सकती हैं।

- एचपीवी एक वायरस है, जो वार्ट्स पैदा कर सकता है और सर्विकल कैंसर की आशंका को बढ़ा सकता है। किसी महिला के एचपीवी से संक्रमित होने पर उसमें सवाईकल कैंसर होने का खतरा हो सकता है।
- 65 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं जिनके पैप स्मीयर जांच की रिपोर्ट सामान्य आती हो, वे भविष्य में यह जांच कराना रोक सकती हैं।
- महिलाओं को अपनी उम्र के अनुसार नियमित रूप से पैप स्मीयर जांच करानी चाहिए, चाहे उनकी यौन गतिविधि कुछ भी हो। ऐसा इसलिए क्योंकि एचपीवी वायरस सालों तक निष्क्रिय रह सकता है और फिर अचानक सक्रिय हो जाता है।
पैप स्मीयर टेस्ट के दौरान क्या होता है?
इस टेस्ट के लिए डाॅक्टर वजाइना में स्पेकुलम नामक डिवाइस डालते हैं। यह डिवाइस वजाइना की दीवारों को फैलाकर रखता है, जिससे सर्विक्स तक पहुंचने में आसानी होती है। डाॅक्टर सर्विक्स से खुरचकर सेल्स का एक छोटा सा नमूना लेते हैं। ज्यादातर महिलाओं को हल्की स्क्रैपिंग के दौरान हल्का झटका जैसा महसूस होता है और जलन महसूस होती है। सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) से सेल्स के नमूने लेकर उसे सुरक्षित कर दिया जाता है और असामान्य सेल्स की उपस्थिति का पता लगाने के लिए उसे टेस्ट के लिए लैब भेजा जाता है।

परीक्षण के बाद, रोगी को खरोंच के कारण थोड़ी ऐंठन या हल्की असुविधा महसूस हो सकती है। रोगी को परीक्षण के तुरंत बाद वजाइना से हल्की ब्लीडिंग भी हो सकती है। टेस्ट के दिन के बाद भी असुविधा या ब्लीडिंग होते रहने पर डाॅक्टर को बताना चाहिए।
सर्विकल कैंसर के लिए पहली स्वदेशी वैक्सीन
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने जानकारी दी कि गर्भाशय ग्रीवा (सर्विकल) कैंसर की रोकथाम के लिए पहला स्वदेश विकसित ‘क्वाड्रीवैलेंट’ ह्यूमन पैपिलोमा वायरस’ (एचपीवी) टीका जल्द ही बहुत ही किफायती दाम पर उपलब्ध होने वाला है। मार्किट में आने वाली एचपीवी वैक्सीन की कीमत 200 से 400 रुपये के बीच बताई जा रही है।