Women Health Checkup: कई महिलाएं घर के काम और ऑफिस के बीच बैलेंस करने के लिए बहुत मेहनत करती है। ऐसे में वो खुद के सेहत पर ध्यान नहीं देती है। महिलाएं अक्सर छोटे वार्निंग साइन को नजरअंदाज कर देती हैं जो किसी बड़ी बीमारी का संभावित लक्षण हो सकता है। इसलिए 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को टेस्ट कराना चाहिए।
आइए आपको उन टेस्ट के बारे में बताते हैं जो महिलाओं को जरूर कराना चाहिए-
Women Health Checkup:ब्लड प्रेशर टेस्ट

ज्यादातर महिलाएं हाइपरटेंशन से पीड़ित होती हैं, खासकर गर्भावस्था के बाद। ब्लड प्रेशर की समस्या दिल की बीमारियों की समस्या को बढ़ा देती है और इसे नियमित रूप से चेक कराते रहना बहुत जरूरी है।
बोन डेंसिटी टेस्ट

एक निश्चित उम्र के बाद पुरुषों की तुलना में महिलाएं अपना बोन डेंसिटी बहुत जल्दी खो देती हैं। इसलिए, 50 साल की उम्र में टेस्ट करवाना शुरू कर देना चाहिए।
थायराइड टेस्ट

थायरोक्सिन और ट्राईआयोडोथायरोनिन दो आवश्यक हार्मोन हैं। हाइपरएक्टिव या अंडरएक्टिव थायरॉयड ग्लैंड की समस्या ज्यादातर महिलाओं को प्रभावित करती है। इस प्रकार, यह महिलाओं के लिए नियमित रूप से थायराइड की जांच करवाना अनिवार्य है।
यह भी देखे-बॉलीवुड की वो 10 फिल्में जिन्होंने उठाई महिलाओं के लिए आवाज: Women’s Day Special
पैप और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) टेस्ट

शुरुआती स्टेज में सर्वाइकल कैंसर और एचपीवी वायरस के लक्षणों की पहचान करने के लिए 20 से 30 वर्ष की आयु के बीच पैप और एचपीवी स्क्रीनिंग कराने की सिफारिश की जाती है। 21 और 29 के बीच की महिलाओं को हर तीन साल में पैप टेस्ट करवाना चाहिए और 25 से 29 साल की महिलाओं के लिए अकेले एचपीवी टेस्ट पर विचार किया जा सकता है।
ममोग्राम
40 साल की उम्र से ही ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए सालाना स्क्रीनिंग कराने की सलाह दी जाती है।
बीएमआई इंडेक्स

18 साल की उम्र से अपने बॉडी मास इंडेक्स पर नज़र रखना आवश्यक है क्योंकि मोटापा हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है और आपके अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है क्योंकि यह ब्लड टेंशन और हाइपरटेंशन का मुख्य कारण है।
आंखों की जांच

18 साल की उम्र से ही नियमित जांच कराने की सलाह दी जाती है। आपको अगर नियमित रूप से सिर में दर्द होता है तो अपनी आंखों की जांच जरूर कराएं।
कोलेस्ट्रॉल टेस्ट

हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से हार्ट प्रॉब्लम्स का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल में रखने के लिए नियमित जांच करानी चाहिए।
यौन संचारित रोग (एसटीडी)

एसटीडी का एक नुकसान यह है कि यह शुरुआती फेज में कोई उचित लक्षण नहीं दिखाता है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि यदि कोई महिला यौन रूप से सक्रिय है तो नियमित जांच करवाएं।
कोलोनोस्कोपी
इस टेस्ट की मदद से कोलोन कैंसर के लक्षणों को शुरुआती चरण में ही पता लगाया जा सकता है और समय पर चेक करने से उचित उपचार किया जा सकता है।
हियरिंग टेस्ट

इन दिनों लोगों में सुनने की समस्या बढ़ रही है। इतना ही नहीं, इससे व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है। हर 10 साल में महिलाओं को 50 साल की उम्र के बाद हियरिंग स्क्रीनिंग कराने की सलाह दी जाती है।
ये सभी टेस्ट हर महिला को जरूर करानी चाहिए। साथ ही अपने डॉक्टर से बढ़ती उम्र के लिए सही डाइट की भी सलाह लें।
