Cervical Cancer: मॉडल और एक्ट्रेस पूनम पांडे की अचानक मौत की खबर ने सबको चौंका दिया है। सोशल मीडिया पर अपनी बोल्ड और बिंदास छवि के लिए जानी जाने वाली पूनम का 32 साल की उम्र में सर्विकल कैंसर की वजह से निधन हो गया। उनकी मौत अपने होमटाउन कानपुर में हुई। इस बात का खुलासा हुआ है कि वो काफी समय से सर्विकल कैंसर से जूझ रही थी, लेकिन जागरूकता के अभाव में सही समय पर उपचार न हो पाने के कारण मौत का कारण बनी। एक्ट्रेस की मौत के बाद सर्विकल कैंसर को लेकर चारों तरफ चर्चा होने लगी है। सर्विकल कैंसर क्या है? और कितना खतरनाक है आइए जानते हैं।
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हर साल लाखों महिलाएं गंवा देती हैं जान

सर्विकल कैंसर महिलाओं में होने वाली दूसरी जानलेवा बीमारी है। इससेे दुनिया भर मेें हर साल लाखों महिलाओं की मौत हो जाती है। भारत में हर साल तकरीबन 18.3 प्रतिशत महिलाओं में कैंसर की जानलेवा बीमारी का पता चलता है। एचपीवी सेंटर के आंकड़ों के हिसाब से हर साल तकरीबन 123,900 मामले सर्विकल कैंसर के होते हैं। करीब 80 हजार महिलाएं हर साल अपनी जान गंवा देती हैं। मौत के बढ़ते आंकड़ोें को देखते हुए हाल ही में जारी किए अंतरिम बजट 2024-25 में सर्विकल कैंसर की रोकथाम में भारत सरकार सराहनीय कदम उठाए हैं।
सर्विकल कैंसर के खिलाफ वैक्सीनेशन
मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत बच्चों की रेगुलर वैक्सीनेशन प्रोग्राम के रूप में सर्विकल कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए टीकाकरण अभियान शुरू करने की घोषणा की है। जिसमें 9-14 साल की लड़कियों को सभी सरकारी अस्पतालों में एचपीवी वैक्सीनेशन मुफ्त में लगाई जाएगी। इस दिशा में सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने सर्विकल कैंसर को रोकने के लिए सर्वाविक नाम का टीका बनाया गया है। अगर एचपीवी वैक्सीन सही उम्र में लगवा ली जाए तो सर्विकल कैंसर को 98 फीसदी रोका जा सकता है। अब तक बाहर से मंगवाई जाने वाली सर्विकल कैंसर कीे वैक्सीन के लिए 2500-3200 रुपये अदा करने पड़ते थे जो आम जनता की पहुंच से बाहर थी। सरकार द्वारा उठाया गया कदम निश्चय ही कई महिलाओं की जिंदगी बचाई जा सकती है।
क्या है सर्विकलकैंसर
सर्विकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) से होता है। यह कैंसर गर्भाशय के निचले सिरे से शुरू होता है जो वजाइना के ऊपरी भाग को भी प्रभावित करता है। यही वजह है कि इसे गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विकल कैंसर कहा जाता है। सर्विकल कैंसर 21-40 साल की महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला यौन कैंसर है। एचपीवी वायरस मूलतः सहवास के दौरान हाइजीन का ध्यान न रखने, एक से अधिक सेक्सचुअल पार्टनर होने, कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाने या असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचता है। कई लोगों के शरीर में यह वायरस पहले से ही मौजूद होता है।
ज्यादातर मामलों में बिना किसी इलाज के हमारा शरीर इस वायरस को खत्म कर देता है। मल्टीपल पार्टनर न होने के बावजूद यह वायरस कई सालों तक निष्क्रिय रहता है। ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संबंधों और शारीरिक संपर्क बनाने से फैल सकता है। एचपीवी की बढ़ी मात्रा यूटरस और वजाइना को जोड़ने वाले हिस्से सर्विक्स यानी बच्चेदानी के मुंह को संक्रमित करती है। सर्विक्स के अंदरूनी (इंडो-सर्विक्स) या बाहरी (एक्टो-सर्विक्स) किसी भी भाग में असामान्य तरीके से प्री-कैंसरस सेल्स के रूप में विकसित होने लगता है। धीरे-धीरे कैंसर सेल्स गर्भाशय, पेल्विक एरिया, वजाइना के निचले हिस्से तक फैल जाते हैं और यूरिन ट्यूब को ब्लॉक कर सकते है। आखिरी स्टेज में सर्विकल कैंसर ब्लैडर, लीवर और फेफड़ों तक भी फैल जाता है।
क्या हैं लक्षण

यूं तो सर्विकल कैंसर के लक्षण कई सालें तक नहीं दिखते, जब तक कि कैंसर की अवस्था तक नहीं पहुंच जाता। ऐसे में महिला को सतर्क रहना जरूरी है। इस तरह के लक्षणों को नजरअंदाज न कर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।शुरू में इस तरह के लक्षण मिलते हैं- बदबूदार श्वेत प्रदर होना, गंदा पानी आना, पीरियड्स के अलावा मासिक चक्र के बीच में कभी भी रक्तस्राव होना, शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द और रक्तस्राव होना जैसे लक्षण मिलते हैं। एडवांस स्टेज पर कैंसर सेल्स बढने पर महिला के पेट के निचले हिस्से और वजाइना में दर्द होना, पेशाब करते समय दर्द होना, पीठ और पैरों में दर्द रहना, थकान रहना जैसे समस्याएं होती हैं।
क्या हैं कारण
सर्विकल कैंसर मूलतया एचपीवी वायरस के कारण होते हैं। इसके अलावा सेक्स के दौरान हाइजीन का ध्यान न रखना, एक से अधिक सेक्सुअल पार्टनर होना, कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाना या असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचता है।
कैसे होता है डायग्नोज
सर्विकल कैंसर का अंदेशा होने पर पैप स्मीयर स्क्रीनिंग से सर्विक्स में असामान्य रूप से बढ़ रही कोशिकाओं की जांच की जाती है। स्पेकुलम से गर्भाशय ग्रीवा से कुछ कोशिकाएं और तरल पदार्थ लेकर बॉयोप्सी परीक्षण किया जाता है।
क्या है उपचार

चैक किया जाता है कि कैंसर किस स्टेज पर है। शुरुआती स्टेज में लेजर सर्जरी की जाती है जिसमें यूटरस के नीचे के हिस्से की असामान्य कोशिकाओं को बर्न किया जाता है या फिर यूटरस के आसपास की लिम्फनोड्स को निकाल दिया जाता है। पेल्विक एरिया, वजाइना जैसे अंगों तक विकसित हुए कैंसर-सेल्स का उपचार कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी से किया जाता है। इससे 60-80 प्रतिशत मरीज ठीक हो सकते हैं। आखिरी स्टेज में हिस्ट्रैक्टॉमी ऑपरेशन करके पूरे यूटरस रिमूव कर दिया जाता है जिसकी वजह से महिला भविष्य में मां नही बन पाती।
बचाव है संभव
महिलाओं का जागरूक होना जरूरी है- एचपीवी गार्डासिल या गार्डासिल-9 वैक्सीन लगवाना और समय-समय पर पैप स्मीयर टेस्ट करवाना चाहिए। वैक्सीन छोटी उम्र में ही लड़कियों को लगाई जाती है जिससे यौन संबंध कायम करने पर भविष्य में तकरीबन 80 फीसदी मामलों को कम किया जा सकता है। 9-14 साल की लड़कियों को 0-6 महीने पर 2 बार और 14- 20 साल में 0-1-6 महीने पर 3 बार लगाई जाती है। अगर किसी महिला ने बचपन में एचपीवी वैक्सीन नहीं लगवाई है, तो 42 साल की उम्र में वैक्सीन लगवा सकती है।
शादी के बाद या यौन संबंध कायम करने के बाद व्यस्क महिलाओं को केंसर से बचाव के लिए साल में एक बार रेगुलर पैप स्मीयर स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना चाहिए। 30 साल की उम्र के बाद हर 3 साल में एक बार और 40-65 साल तक हर 5 साल में एक बार जरूर करवाना चाहिए।
बरतें सावधानी
- शादी के बाद साल में एक बार डॉक्टर के पास विजिट जरूर करें। युवा महिलाओं को रूटीन मेडिकल स्क्रीनिंग या चेकअप करवाना जरूरी है।
- प्राइवेट पार्ट्स को नहाते समय मिरर से नियमित रूप् से बाहरी तौर पर चैक करना चाहिए। कुछ भी एब्नॉर्मल हो, डिस्चार्ज हो रहा हो, हाइजीन मेंटेन है या नहीं।
- नहाते समय प्राइवेट पार्ट्स में साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वजाइनल वॉश या वी-वॉश का उपयोग अवायड करें।
- सर्विकल केंसर से बचाव के लिए महिलाओं को अपनी हाइजीन मेंटेन करें। कम उम्र में असुरक्षित यौन संबंध, मल्टीपल पार्टनर, बार-बार गर्भपात कराना अवायड करें।
(डॉक्टर सारिका गुप्ता, गाइनाकोलॉजिकल एंकोलोजिस्ट, दिल्ली )
