बचपन में वैक्सीन लगवाकर जानलेवा सर्वाइकल कैंसर से कर सकते हैं बचाव: Cervical Cancer Prevention
Cervical Cancer Prevention

Cervical Cancer Prevention: सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) से महिलाओं में होने वाली दूसरी जानलेवा बीमारी है। यह कैंसर गर्भाशय के निचले सिरे से शुरू होता है जो वजाइना के उपरी भाग को भी प्रभावित करता है। यही वजह है कि इसे गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। हालांकि इससे बचाव के लिए करीब 120 देशों में युवाओं के लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है, जो बीमारी के खतरे को 90 फीसदी तक कम कर सकती है। लेकिन वैक्सीन के प्रति जागरुकता के अभाव और जांच-सुविधाओं की कमी के कारण दुनिया भर में हर साल तीन लाख से ज्यादा महिलाओं की मौत हो जाती है। अकेले भारत में हर साल तकरीबन 80 हजार महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से जान गंवा देती हैं। बचपन में ली जाने वाली वैक्सीन इससे बचाव में सहायक है। इसे लेकर जागरूकता के लिए जनवरी माह को सर्वाइकल कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है।

सर्वाइकल कैंसर 21-40 साल की महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला यौन कैंसर है। एचपीवी वायरस मूलतः सहवास के दौरान हाइजीन का ध्यान न रखने, एक से अधिक सेक्सुअल पार्टनर होने, कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाने या असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचता है। कई लोगों के शरीर में यह वायरस पहले से ही मौजूद होता है।

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ज्यादातर मामलों में बिना किसी इलाज के हमारा शरीर इस वायरस को खत्म कर देता है। मल्टीपल पार्टनर न होने के बावजूद यह वायरस कई सालों तक निष्क्रिय रहता है। ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संबंधों और शारीरिक संपर्क बनाने से फैल सकता है। एचपीवी की बढ़ी मात्रा यूटरस और वजाइना को जोड़ने वाले हिस्से सर्विक्स यानी यानी बच्चेदानी के मुंह को संक्रमित करती है। सर्विक्स के अंदरूनी (इंडो-सर्विक्स) या बाहरी (एक्टो-सर्विक्स)किसी भी भाग में असामान्य तरीके से प्री-कैंसरस सेल्स के रूप में विकसित होने लगता है। धीरे-धीरे कैंसर सेल्स गर्भाशय, पेल्विक एरिया, वजाइना के निचले हिस्से तक फैल जाते हैं और यूरिन ट्यूब को ब्लॉक कर सकते है। आखिरी स्टेज में सर्वाइकल कैंसर ब्लैडर, लीवर और फेफड़ों तक भी फैल जाता है।

लक्षण

Cervical Cancer Prevention
Cervical Cancer Symptoms

यूं तो सर्वाइकल कैंसर के लक्षण कई सालों तक नहीं दिखते, जब तक कि कैंसर की अवस्था तक नहीं पहुंच जाता। ऐसे में महिला को सतर्क रहना जरूरी है। इस तरह के लक्षणों को नजरअंदाज न कर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।शुरू में इस तरह के लक्षण मिलते हैं- बदबूदार श्वेत प्रदर होना, गंदा पानी आना, पीरियड्स के अलावा मासिक चक्र के बीच में कभी भी रक्तस्राव होना, शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द और रक्तस्राव होना जैसे लक्षण मिलते हैं। एडवांस स्टेज पर कैंसर सेल्स बढ़ने पर महिला के पेट के निचले हिस्से और वजाइना में दर्द होना, पेशाब करते समय दर्द होना, पीठ और पैरों में दर्द रहना, थकान रहना जैसे समस्याएं होती हैं।

क्या है कारण

सर्वाइकल कैंसर मूलतया एचपीवी वायरस के कारण होते हैं। इसके अलावा सेक्स के दौरान हाइजीन का ध्यान न रखना, एक से अधिक सेक्सचुअल पार्टनर होना, कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाना या असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचता है।

कैसे होता है डायगनोज

सर्वाइकल कैंसर का अंदेशा होने पर पैप स्मीयर स्क्रीनिंग से सर्विक्स में असामान्य रूप से बढ़ रही कोशिकाओं की जांच की जाती है। स्पेकुलम से गर्भाशय ग्रीवा से कुछ कोशिकाएं और तरल पदार्थ लेकर बॉयोप्सी परीक्षण किया जाता है।

क्या है उपचार

चैक किया जाता है कि कैंसर किस स्टेज पर है। शुरुआती स्टेज में लेजर सर्जरी की जाती है जिसमें यूटरस के नीचे के हिस्से की असामान्य कोशिकाओं को बर्न किया जाता है या फिर यूटरस के आसपास की लिम्फनोड्स को निकाल दिया जाता है। पेल्विक एरिया, वजाइना जैसे अंगों तक विकसित हुए कैंसर-सेल्स का उपचार कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी से किया जाता है। इससे 60-80 प्रतिशत मरीज ठीक हो सकते हैं। आखिरी स्टेज में हिस्ट्रैक्टॉमी ऑपरेशन करके पूरे यूटरस रिमूव कर दिया जाता है जिसकी वजह से महिला भविष्य में मां नहीं बन पाती।

बचाव है संभव

महिलाओं का जागरूक होना जरूरी है-एचपीवी गार्डासिल या गार्डासिल-9 वैक्सीन लगवाना और समय-समय पर पैप स्मीयर टेस्ट करवाना चाहिए। वैक्सीन छोटी उम्र में ही लड़कियों को लगाई जाती है जिससे यौन संबंध कायम करने पर भविष्य में तकरीबन 80 फीसदी मामलों को कम किया जा सकता है। 9-14 साल की लड़कियों को 0-6 महीने पर 2 बार और 14- 20 साल में 0-1-6 महीने पर 3 बार लगाई जाती है। अगर किसी महिला ने बचपन में एचपीवी वैक्सीन नहीं लगवाई है, तो 42 साल की उम्र में वैक्सीन लगवा सकती है। शादी के बाद या यौन संबंध कायम करने के बाद व्यस्क महिलाओं को कैंसर से बचाव के लिए साल में एक बार रेगुलर पैप स्मीयर स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना चाहिए। 30 साल की उम्र के बाद हर 3 साल में एक बार और 40-65 साल तक हर 5 साल में एक बार जरूर करवाना चाहिए।

बरतें सावधानी

  • शादी के बाद साल में एक बार डॉक्टर के पास विजिट जरूर करें। युवा महिलाओं को रूटीन  मेडिकल स्क्रीनिंग या चेकअप करवाना जरूरी है। 
  • प्राइवेट पार्ट्स को नहाते समय मिरर से नियमित रूप् से बाहरी तौर पर चैक करना चाहिए। कुछ भी एब्नॉर्मल हो, डिस्चार्ज हो रहा हो, हाइजीन मेंटेन है या नहीं।
  • नहाते समय प्राइवेट पार्ट्स में साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वजाइनल वॉश या वी-वॉश का उपयोग भी अवायड करें।
  • सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए महिलाओं को अपनी हाइजीन मेंटेन करें। कम उम्र में असुरक्षित यौन संबंध, मल्टीपल पार्टनर, बार-बार गर्भपात कराना अवायड करें।

(डॉक्टर सारिका गुप्ता,  गाइनाकोलॉजिकल एंकोलॉजी,  दिल्ली )